कौन है कानपुर का कानूनगो आलोक दुबे? दिल्ली-नोएडा तक बेहिसाब संपत्तिया, जमीनों का हेरफेर कर बना करोड़पति!
कानूनगो आलोक दुबे का ऐसा कारनामा सामने आया है जिसने सिस्टम में हड़कंप मचा दिया. दुबे के नाम पर 30 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति सामने आई है. कानपुर के कलेक्टर जितेंद्र सिंह ने आलोक दुबे का डिमोशन कर लेखपाल बना दिया. साथ-साथ आलोक दुबे पर केस भी दर्ज कर लिया गया है.
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राजस्व विभाग में मामूली सा एक पद मिला और शख्स करोड़पति बन गया. बेहिसाब पैसा, दिल्ली से नोएडा तक प्रॉपर्टी. पत्नी और बच्चों के नाम अनगिनत संपत्ति और कई जगह जमीनें मिलीं. भला एक अदने से पद पर बैठे शख्स के पास इतनी संपत्ति आई कहां से? कानपुर के कानूनगो आलोक दुबे को देख हर किसी के मन में ये ही सवाल है.
यूपी की ब्यूरोक्रेसी में एक नाम इन दिनों खासा चर्चा में है. वो है आलोक दुबे. कानूनगो आलोक दुबे का ऐसा कारनामा सामने आया है जिसने सिस्टम में हड़कंप मचा दिया. दुबे के नाम पर 30 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति सामने आई है. आरोप है कि कानूनगो ने फर्जी डॉक्यूमेंट्स और जमीनों में धांधली कर कई अचल संपत्तियां खड़ी की हैं. इसके बाद कानपुर के कलेक्टर जितेंद्र सिंह ने आलोक दुबे का डिमोशन कर लेखपाल बना दिया. साथ-साथ आलोक दुबे पर केस भी दर्ज कर लिया गया है.
विवादित जमीन की खरीद-फरोख्त कर बनाया कैशलोक!
जांच में सामने आया कि, आलोक दुबे के पास करीब 41 भू-संपत्तियां हैं. इन सभी संपत्तियों की कीमत करोड़ों में है. जांच में ये भी सामने आया कि, आलोक दुबे की पत्नी और बच्चों के नाम से भी कई संपत्तिया हैं.
घोटाले में लेखपाल का भी हाथ!
इस हेराफेरी में कानूनगो आलोक दुबे अकेले नहीं था. इस मामले में लेखपाल अरुणा द्विवेदी का नाम भी सामने आया है. अरुणा कई संपत्तियों में आलोक की हिस्सेदार हैं. दोनों ने दो साल में कानपुर की अलग-अलग जगहों पर करीब 8.62 हेक्टेयर जमीन खरीदी है.
बताया जा रहा है आलोक दुबे ने साल 2016 से 2025 तक करोड़ों की संपत्ति खरीद ली. साल 2023 में आलोक ने 4 जमीनें खरीदी थीं. इसके बाद साल 2024 में अपनी 4 जमीनें बेचीं और फिर 5 जमीनें खरीदीं. आलोक दुबे ने सभी विभागीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए करोड़ों की अचल संपत्ति खड़ी की है.
मामले की जांच के लिए गठित टीम
आलोक दुबे पर दर्ज हेराफेरी के इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की गई है. इस टीम में न्यायिक एडीएम, एसडीएम सदर और एसीपी कोतवाली शामिल हैं. जांच के दौरान टीम ने पाया कि, आलोक दुबे ने दो ऐसी संपत्तियों पर भी बैनामा करवाया है जिन पर कानूनी रोक थी. इन्हीं में से एक जमीन बेची भी है. आलोक दुबे पर पद के दुरुपयोग के आरोप भी लगे हैं.
मार्च में दर्ज FIR, बड़े खुलासे
आलोक दुबे पहले से ही आलाधिकारियों की रडार पर था. मार्च 2025 में उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई. फिर विभागीय जांच बैठी और एक के बाद एक कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. जांच में सामने आया कि आलोक दुबे लंबे समय से विवादित जमीनों की खरीद-फरोख्त कर रहा था. वहीं, जो संपत्तियां पत्नी और बच्चों के नाम दर्ज हैं वह नोएडा और दिल्ली में हैं. इनकी कीमत करीब 50 करोड़ रुपए बताई जा रही है.
आलोक दुबे के मामले में DM जितेंद्र प्रताप सिंह ने क्या कहा?
इस मामले में DM जितेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि, जांच में पाया गया कि आलोक दुबे ने निजी संस्थाओं के साथ मिलकर कई संपत्तियां अपने नाम करवाईं. मामले को गंभीरता से लेते हुए आलोक दुबे पर केस दर्ज कर उसका डिमोशन किया गया. इसके अलावा आगे की कार्रवाई भी जारी है. DM जितेंद्र सिंह का कहना है कि यूपी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है. इसी कड़ी में आलोक दुबे पर कार्रवाई की गई है. इस मामले में आलोक दुबे की साझेदार अरुणा द्विवेदी पर भी केज दर्ज किया गया है.
कौन है ‘धनकुबेर’ कानूनगो आलोक दुबे
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आलोक दुबे कानपुर के दयानंद विहार का रहने वाला है. साल 1993 में उसकी नियुक्ति लेखपाल के पद पर सदर तहसील में हुई थी. इसके बाद इटावा में तैनाती हुई. साल 1995 में उनका ट्रांसफर कानपुर हो गया. इसके बाद से ही वह कानपुर तहसील में कार्यरत हैं. आरोप है कि वह अधिकारियों की मिलीभगत से 29 साल से तहसील में जमे हुए हैं. कई बार उनका ट्रांसफर किया गया लेकिन साठ-गांठ कर यहीं बने रहे. साल 2023 में आलोक दुबे का प्रमोशन हुआ और कानूनगो बना. साल 2022 से 2025 तक वह तहसील लेखपाल संघ का अध्यक्ष भी रहा.
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