अफगानिस्तान के बरगाम एयरबेस पर ट्रंप की नजर, चीन की चुनौती या मकसद कुछ और? क्या है अमेरिका का प्लान तालिबान?
क्या ट्रंप फिर से अपने सैनिको को रियासतों के लिए कब्रगाह माने जाने वाले अफगानिस्तान में मौत के मुंह में धकेलने की तैयारी में हैं? क्या चीन की चुनौती के कारण बरगाम पर कब्जा चाहते हैं या मकसद कुछ और है. क्या है अमेरिका का प्लान तालिबान, जानिए.
Follow Us:
अमेरिका दक्षिण एशिया में फिर से अपनी नजरें गड़ा रहा है. अगस्त 2021 में तालिबान के राजधानी काबुल पर कब्जे और अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद लगातार पिछड़ रहे दुनिया के सबसे बड़े सुपर पावर ने महसूस करना शुरू कर दिया है कि उसके द्वारा खाली किए गए ब्लैंक स्पेस को चीन तेजी से भर रहा है और पाकिस्तान उसकी मदद कर रहा है, लेकिन अब ऐसा लगता है चीजें बदल रही हैं. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने लंदन दौरे के दौरान कहा कि US बरगाम एयरबेस को फिर से वापस लेने का प्रयास कर रहा है.
अमेरिकी सेना का ठिकाना था बरगाम बेस
काबुल से 50 किलोमीटर उत्तर में स्थित बगराम एयरबेस अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना का मुख्य ठिकाना था. यहां से अमेरिका और उसके सहयोगी 20 साल तक संचालित होते रहे. अगस्त 2021 में सेना की वापसी के साथ ही अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन का अध्याय समाप्त हुआ और मौजूदा अफगान शासन के हाथों सत्ता का हस्तांतरण हुआ.
दरअसल, ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन पर 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी के दौरान बगराम एयरबेस छोड़ने को लेकर आलोचना की थी. उन्होंने गुरुवार को लंदन में पत्रकारों से कहा था, “हम इसे (बगराम एयरबेस) वापस लेना चाहते हैं.”
कितना बड़ा है बरगाम एयरबेस?
आपको बताएं कि ये एयरबेस करीब 3300 एकड़ में फैला है. ये कभी अफगानिस्तान में अमेरिका का सबसे बड़ा और व्यस्त सैन्य अड्डा हुआ करता था. यही नहीं इसका मुख्य रनवे 7 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा है. जब तक अमेरिका की यहां से वापसी नहीं हुई थी तब यहा पर करीब 40,000 US सैनिक और नागरिक कॉन्ट्रैक्टर तैनात थे.
बरगाम ही वह मुख्य सैन्य ठिकाना था जहां से तालिबान के खिलाफ पूरे अफगानिस्तान में ऑपरेशन ऑपरेट होते थे. लेकिन जुलाई 2021 में अमेरिका और उसके पश्चिमी देशों के सहयोगियों ने यहां से सेना हटा ली थी. ये वही साल था जब तालिबान तेजी से एरियाज गेन कर रहा था और अशरफ गनी की फौजों पर हावी हो रहा था. ट्रंप के 2016 में सत्ता में आने के बाद से ही अमेरिका का मन यहां से वापसी का मन बनने लगा था.
ट्रंप ने कहा था कि ये उसकी जंग नहीं है और उसके यंग सैनिक मारे जा रहे हैं इसलिए सेना को वापस बुला लेगा. हालांकि 2020 में ट्रंप की सत्ता से विदाई हो गई लेकिन, बाइडेन ने राष्ट्रपति बनते ही ये काम कर दिया. अब जबकि चीन अपने पैर तेजी से काबुल और पाकिस्तान में पसार रहा है, ऐसे में वॉशिंगटन आंखें मूंदकर लंबे समय तक नहीं बैठ सकता और वो कतई नहीं चाहेगा कि दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले क्षेत्र में उसकी मौजूदगी न हो.
आसान नहीं अमेरिका का बरगाम कब्जाने का सफर?
एक अमेरिकी अधिकारी ने बगराम एयरबेस को लेकर ट्रंप प्रशासन के प्लान को लेकर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि इसकी फिर से वापस की फिलहाल 'कोई सक्रिय योजना' नहीं है. उन्होंने कहा कि 'मुझे नहीं लगता कि यह व्यावहारिक रूप से संभव है.' इतने बड़े एयरबेस को इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे आतंकी खतरों से सुरक्षित करना बड़ी चुनौती होगी.
बरगाम में किन चुनौतियों का सामना करेगा अमेरिका?
Assuming success in dealing with the prisoners/hostages issue between #USA and the Taliban, there will likely be more phases and additional issues to be agreed on and addressed. In time, I would not rule out enhanced security cooperation, including the use of facilities such as…
— Zalmay Khalilzad (@realZalmayMK) September 20, 2025
अमेरिकी अधिकारी ने इस संबंध में कहा कि बगराम पर कब्जा जमाने और उसे चालू रखने के लिए हजारों सैनिकों की जरूरत होगी. बेस को फिर से उपयोग में लाने और मरम्मत करने में भारी-भरकम खर्च आएगा और लॉजिस्टिक्स की सप्लाई में भी बड़ी समस्या होगी. अफगानिस्तान एक लैंडलॉक्ड देश है और काबुल पर उसका कोई अधिकार नहीं होगा, तालिबान के शासन में बरगाम अमेरिकी फौज का अलग-थलग ठिकाना होगा. ऐसे में उसे हर एक चीज के लिए तालिबान के रहमो करम पर रहना होगा जहां कभी उसका एकक्षत्र राज था.
आपको बता दें कि लंदन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने गुरुवार को कहा था कि अमेरिका बगराम में दोबारा अपनी मौजूदगी कायम करना चाहता है ताकि चीन पर निगरानी रखी जा सके. हालांकि रिपोर्ट्स बताते हैं कि ट्रंप ने चीन के परमाणु खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है.
अफगानिस्तान के लिए पूर्व US Envoy ने किया बड़ा इशारा
अमेरिका के प्लान बरगाम को लेकर अफगानिस्तान में अमेरिका के पूर्व दूत जल्मे खलीलजाद ने बड़ा इशारा किया है. उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान और अमेरिका दोनों को मज़बूत संबंधों से फ़ायदा होगा. अमेरिका के लिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एक बड़ा मुद्दा है. अफ़ग़ानों के लिए अमेरिका से अच्छे संबंध रखने या सुधारने के अपने कारण है जिनमें उनके पड़ोस (पाकिस्तान) से आने वाले ख़तरे और चुनौतियां भी शामिल हैं. फ़िलहाल, सबसे बड़ी बाधा कैदियों और बंधकों का मुद्दा है. यह ज़रूरी है कि इस बाधा को जल्द से जल्द दूर किया जाए.
#Afghanistan and the United States both would benefit from strengthened relations. For the US, an obvious and important area is counterterrorism. Afghans have their own reasons for seeking much better relations, including the threats and challenges they face from their…
— Zalmay Khalilzad (@realZalmayMK) September 19, 2025
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका और तालिबान के बीच कैदियों-बंधकों के मुद्दे को सुलझाने में सफलता मिलती है. संभवतः और भी प्रयास होंगे और अन्य मुद्दों पर सहमति और समाधान की आवश्यकता होगी. समय के साथ साझा आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए बगराम जैसी सुविधाओं के उपयोग सहित सिक्योरिटी कोऑपोरेशन में वृद्धि की संभावना है.
अफगानिस्तान ने की ट्रंप के प्लान बरगाम की आलोचना
अफगानिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बगराम एयरबेस दोबारा कब्जे में लेने संबंधी बयान की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि अफगान जनता कभी भी अपने देश में विदेशी सैन्य उपस्थिति को स्वीकार नहीं करेगी. यह जानकारी सरकारी प्रसारण संस्था रेडियो एंड टेलीविजन ऑफ अफगानिस्तान (आरटीए) ने दी.
यह भी पढ़ें
विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ राजनयिक जलाली के हवाले से आरटीए ने कहा, “अफगान इतिहास गवाह है कि यहां की जनता ने कभी विदेशी सैन्य उपस्थिति स्वीकार नहीं की. अफगानिस्तान और अमेरिका के बीच आर्थिक और राजनीतिक संबंधों की ज़रूरत है, जो आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित हों.”
टिप्पणियाँ 0
कृपया Google से लॉग इन करें टिप्पणी पोस्ट करने के लिए
Google से लॉग इन करें