ट्रंप के टैरिफ वार का निकल गया तोड़...! FTA की दिशा में और करीब आए भारत-यूरोपीय संघ, आज फिर महत्वपूर्ण बैठक
भारत और यूरोपीय संघ अगले एक महीने में अपने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने के लिए दो महत्वपूर्ण दौर की वार्ता करेंगे. इस दौरान दोनों पक्ष गैर-टैरिफ बाधाओं, बाजार पहुंच और सार्वजनिक खरीद के मुद्दों पर ध्यान देंगे. साथ ही वाइन और डेयरी उत्पादों पर शुल्क संबंधी मतभेद भी सुलझाने की कोशिश होगी. दोनों पक्ष इस साल के अंत तक FTA पर हस्ताक्षर करना चाहते हैं.
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भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) अपने महत्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने के लिए अगले एक महीने में दो निर्णायक दौर की वार्ता करने जा रहे हैं. आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान दोनों पक्ष गैर-टैरिफ बाधाओं, बाजार पहुंच और सार्वजनिक खरीद जैसे प्रमुख मुद्दों पर विशेष ध्यान देंगे.
वहीं, इस दौरान वाइन और डेयरी उत्पादों पर शुल्क के क्षेत्रों में मतभेदों को दूर करने की भी कोशिश की जाएगी. इस समय यूरोपीय आयोग के कृषि आयुक्त क्रिस्टोफ हैनसेन और व्यापार प्रमुख मारोस सेफ्कोविक भारत का दौरा कर रहे हैं ताकि भारतीय वार्ताकारों के साथ सीधा संवाद स्थापित किया जा सके. सूत्रों के मुताबिक, दोनों पक्ष इस साल के अंत तक एफटीए पर हस्ताक्षर करना चाहते हैं. इससे न केवल व्यापारिक संबंधों में मजबूती आएगी बल्कि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भारत की स्थिति भी मजबूत होगी. अमेरिकी प्रशासन की टैरिफ नीतियों के कारण वैश्विक व्यापार में पैदा हुई अस्थिरता के बीच यह समझौता और अधिक महत्वपूर्ण बन गया है.
वार्ता का 13वां दौर
मुक्त व्यापार समझौते पर 13वां दौर की वार्ता सोमवार, 8 सितंबर से शुरू होगी. इसके बाद यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त मारोस सेफ्कोविक और कृषि आयुक्त क्रिस्टोफ हेन्सन नई दिल्ली का दौरा करेंगे. सूत्रों ने बताया कि यह दौरा वार्ता में राजनीतिक गति लाने के उद्देश्य से किया जा रहा है. अब तक दोनों पक्षों ने एफटीए के 23 नीतिगत क्षेत्रों में से 11 पर चर्चा पूरी कर ली है. इसमें बौद्धिक संपदा, सीमा शुल्क और व्यापार सुविधा, पारदर्शिता, नियामक प्रथाएं, पारस्परिक प्रशासनिक सहायता, लघु और मध्यम उद्यम (SME), टिकाऊ खाद्य प्रणाली, विवाद निपटान, प्रतिस्पर्धा और सब्सिडी, डिजिटल व्यापार और धोखाधड़ी विरोधी खंड शामिल हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अब कैपिटल मूवमेंट पर बातचीत को अंतिम रूप देना शेष है. इस कदम से निवेश और वित्तीय सहयोग के मार्ग और स्पष्ट होंगे.
भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है यूरोपीय संघ
यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है फुलस्टॉप वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय वस्तु व्यापार 135 अरब अमेरिकी डॉलर रहा. इस व्यापारिक संबंध के साथ ही भारत और ईयू कई परिवर्तनकारी पहलों को भी आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में हैं. इन पहलों में नया राजनीतिक-रणनीतिक नजरिया, रक्षा सहयोग का विस्तार और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के मद्देनजर साझेदारी को मजबूत करना शामिल है. विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम भारत और यूरोपीय संघ के बीच न केवल आर्थिक बल्कि सुरक्षा और रणनीतिक संबंधों को भी नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा.
ईयू के 27 सदस्य देशों के दूत वार्ता में शामिल
यूरोपीय संघ 17 सितंबर को भारत के साथ अपने नए रणनीतिक दृष्टिकोण की घोषणा करेगा. इस घोषणा को भारत-ईयू वार्षिक शिखर सम्मेलन में जारी किए जाने की संभावना है. इसके साथ ही अगले तीन महीनों में कई उच्च-स्तरीय बैठकें और वार्ताएं आयोजित की जाएंगी. इन बैठकों में यूरोपीय संघ की राजनीतिक और सुरक्षा समिति का भारत दौरा भी शामिल है. इस दौरे में ईयू के 27 सदस्य देशों के दूत शामिल होंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि ये बैठकें दोनों पक्षों को न केवल आपसी समझ को और गहरा करने का मौका देंगी बल्कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक और राजनीतिक संतुलन को भी प्रभावित कर सकती हैं.
वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की अहम होती भूमिका
भारत और यूरोपीय संघ के बीच यह मुक्त व्यापार समझौता सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा. यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा और नई वैश्विक नीतियों के निर्माण में भारत को सक्रिय भागीदार बनाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि FTA के सफल निष्कर्ष से भारतीय निर्यातकों को नए बाजार खुलेंगे, निवेश बढ़ेगा और उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद सुलभ होंगे. इसके अलावा, यह समझौता दोनों पक्षों के लिए टिकाऊ विकास और डिजिटल व्यापार के क्षेत्र में नए अवसर भी खोलेगा.
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ऐसे में अगले एक महीने में होने वाले ये वार्तालाप भारत और यूरोपीय संघ के बीच एक नए आर्थिक युग की नींव रखने जा रहे हैं. व्यापार, रणनीति और वैश्विक सहयोग के सभी क्षेत्रों में यह कदम महत्वपूर्ण साबित होगा.
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