Advertisement

अटारी-वाघा बॉर्डर पर बदला रिट्रीट सेरेमनी का टाइम, अब शाम 6 से 6:30 बजे तक दिखेगा जोश और जज़्बा

अटारी-वाघा बॉर्डर पर रोज होने वाली रिट्रीट सेरेमनी जब 12 दिनों तक बंद रही तो लोग यही सोचते रह गए कि क्या यह परंपरा अब बदल जाएगी? और अब जब इसका आयोजन दोबारा शुरू हुआ है तो कई नए बदलावों ने सभी को चौंका दिया है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर क्यों रोक दी गई जवानों के बीच होने वाली हैंडशेक की परंपरा और क्यों तय कर दिया गया इसका नया समय? जवाबों में छुपी है सुरक्षा से जुड़ी बड़ी वजह…

Author
16 Aug 2025
( Updated: 11 Dec 2025
03:59 AM )
अटारी-वाघा बॉर्डर पर बदला रिट्रीट सेरेमनी का टाइम, अब शाम 6 से 6:30 बजे तक दिखेगा जोश और जज़्बा
भारत-पाकिस्तान सीमा पर होने वाला ऐतिहासिक रिट्रीट सेरेमनी, जिसे बीटिंग रिट्रीट भी कहा जाता है, 8 मई 2025 को सुरक्षा कारणों से रोक दिया गया था. करीब 12 दिनों तक इस आयोजन को बंद रखा गया. इसके बाद जब 20 मई से समारोह दोबारा शुरू हुआ तो दर्शकों के लिए कई नए बदलाव लागू किए गए.
 
अब तय समय पर होगा आयोजन
 
बीएसएफ (BSF) अधिकारियों ने घोषणा की है कि समारोह अब हर दिन शाम 6 बजे शुरू होकर 6:30 बजे तक चलेगा. पहले इसका समय मौसम और दिन की परिस्थितियों के अनुसार थोड़ा बदलता था, लेकिन अब सुरक्षा कारणों से एक निश्चित समय निर्धारित कर दिया गया है.
 
सुरक्षा कारणों से बड़े बदलाव
 
नए नियमों के तहत इस बार समारोह में कई अहम बदलाव किए गए हैं.
  • सीमा पर स्थित गेट अब समारोह के दौरान पूरी तरह बंद रहेंगे.
  • भारतीय और पाकिस्तानी जवानों के बीच होने वाली पारंपरिक हैंडशेक की प्रक्रिया को रोक दिया गया है.
इन बदलावों का उद्देश्य सीमा पर किसी भी प्रकार की सुरक्षा चूक से बचना है.
 
क्या है रिट्रीट सेरेमनी?
 
रिट्रीट सेरेमनी 1959 से प्रतिदिन अटारी (भारत) और वाघा (पाकिस्तान) बॉर्डर पर आयोजित की जाती है. इसमें दोनों देशों के सुरक्षा बल ऊँचे कदमों वाली परेड, राष्ट्रध्वज उतराने की प्रक्रिया और जोशीले अंदाज़ में मार्च करते हैं. इस दौरान देशभक्ति के नारों से माहौल गूंज उठता है और दर्शकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिलता है.
 
देश-विदेश से आते हैं हजारों दर्शक
 
यह समारोह केवल एक सुरक्षा प्रक्रिया ही नहीं बल्कि एक बड़ा पर्यटन आकर्षण भी है. हर शाम हज़ारों लोग अमृतसर के अटारी बॉर्डर पर इस नज़ारे को देखने पहुँचते हैं. विदेशी पर्यटक भी यहाँ बड़ी संख्या में आते हैं और भारत-पाक सीमा पर इस अनोखे आयोजन का अनुभव करते हैं.
 
बदलते समय के साथ बदल रहा स्वरूप
 
पहले इस समारोह में दोनों देशों के जवान गेट खोलकर एक-दूसरे से हाथ मिलाते थे. यह दृश्य दर्शकों के लिए खास आकर्षण था और भाईचारे का प्रतीक माना जाता था. लेकिन मौजूदा सुरक्षा परिस्थितियों में यह प्रक्रिया रोक दी गई है. अब फोकस केवल झंडा उतारने और परेड की परंपरा पर होगा. 
 
अटारी-वाघा बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी समय में बदलाव सिर्फ दर्शकों की सुविधा के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है. शाम 6 से 6:30 बजे तक होने वाला यह आयोजन पहले की तरह देशभक्ति और जोश से भरपूर रहेगा, फर्क सिर्फ इतना है कि अब इसमें कुछ परंपरागत प्रक्रियाएँ नज़र नहीं आएँगी.

यह भी पढ़ें

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
Gautam Khattar ने मुसलमानों की साजिश का पर्दाफ़ाश किया, Modi-Yogi के जाने का इंतजार है बस!
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें