बिहार में 100 यूनिट मुफ्त बिजली पर सस्पेंस खत्म... नीतीश सरकार की सफाई आई सामने, जानें क्या कहा
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने की खबर ने राजनीतिक हलचल मचा दी थी. सुबह रिपोर्ट आई कि राज्य सरकार सभी परिवारों को 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त देगी और इसका प्रस्ताव ऊर्जा विभाग ने तैयार कर वित्त विभाग से मंजूरी भी ले ली है. लेकिन शाम होते-होते राज्य सरकार ने आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इन खबरों को गलत, भ्रामक और तथ्यहीन बताया. सरकार ने साफ कहा कि ऐसी कोई योजना स्वीकृत नहीं की गई है और फिलहाल इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है.
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बिहार में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. हर दल अपने-अपने एजेंडे और वादों के साथ मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में लगा है. इसी माहौल के बीच शनिवार की सुबह एक बड़ी खबर आई जिसने पूरे राज्य में हलचल मचा दी. दावा किया गया कि बिहार सरकार 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने जा रही है. सोशल मीडिया से लेकर कई न्यूज़ प्लेटफॉर्म पर यह खबर फैल गई. लेकिन जैसे-जैसे दिन ढलता गया, राज्य सरकार की ओर से इसका आधिकारिक खंडन भी सामने आ गया. सरकार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसी कोई योजना अभी तक स्वीकृत नहीं की गई है और न ही इस पर कोई अंतिम निर्णय लिया गया है. वित्त विभाग ने इसे पूरी तरह से भ्रामक और तथ्यहीन बताया है.
कहां से आई ‘फ्री बिजली’ वाली खबर?
दरअसल, बताया गया कि ऊर्जा विभाग ने 100 यूनिट तक फ्री बिजली देने का एक प्रस्ताव तैयार किया था. खबर के अनुसार यह प्रस्ताव पहले वित्त विभाग को भेजा गया, जहां से इसे स्वीकृति मिलने की बात कही गई. योजना में यह भी बताया गया था कि अगर उपभोक्ता की खपत 100 यूनिट से अधिक होती है तो अतिरिक्त यूनिट पर सामान्य दर से शुल्क देना होगा. वर्तमान में शहरी क्षेत्रों में 50 यूनिट तक बिजली का शुल्क ₹7.57 प्रति यूनिट और उसके बाद ₹7.96 प्रति यूनिट है. इस खबर को सुनकर लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई थी, खासकर उन उपभोक्ताओं के बीच जो महंगी बिजली दरों से परेशान हैं. लेकिन सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति ने इस उम्मीद पर ब्रेक लगा दिया.
चुनावी साल में कितना महत्व है इन बातों का
विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते हैं, जनता के बीच ऐसे वादों और अफवाहों का बाजार गर्म होने लगता है. मुफ्त बिजली, राशन, पेंशन या रोजगार से जुड़े मुद्दों को लेकर अक्सर खबरें सामने आती हैं, जिनका मकसद आम मतदाता की सोच को प्रभावित करना होता है. हालांकि, इस बार सरकार ने तुरंत प्रतिक्रिया देकर स्पष्ट कर दिया कि ऐसी कोई योजना मंजूर नहीं की गई है और गलत जानकारी फैलाने वालों पर भी नजर रखी जा रही है.
पेंशन योजना में बड़ा बदलाव
जहां एक ओर 'फ्री बिजली' की खबर झूठी निकली, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य की सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में बड़ा ऐलान कर दिया है. अब राज्य के बुजुर्गों, विधवाओं और अन्य पात्र लाभार्थियों को हर महीने ₹400 की जगह ₹1100 पेंशन दी जाएगी. यह बढ़ी हुई राशि जुलाई महीने से लागू हो जाएगी. इससे करीब 1 करोड़ 9 लाख 69 हजार से ज्यादा लाभार्थियों को सीधा लाभ मिलेगा. यह फैसला एक ऐसे समय में आया है जब सरकार जनता को राहत देने के उपायों पर गंभीरता से काम कर रही है और चुनावी मंच पर खुद को मजबूत स्थिति में रखना चाहती है.
महिला आरक्षण पर भी सरकार का बड़ा दांव
इसी क्रम में एक और बड़ा फैसला लिया गया है, जिसका असर आने वाले चुनावों में निश्चित रूप से देखने को मिलेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि बिहार की सभी सरकारी नौकरियों में 35% पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाएंगे. सरकार का कहना है कि इस फैसले का उद्देश्य महिलाओं को शासन और प्रशासन में अधिक भागीदारी देना है. इससे महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है, जिससे समाज में उनकी भूमिका को और मजबूती मिलेगी.
बताते चलें कि बिहार की राजनीति में एक बार फिर साबित हो गया है कि चुनावों से पहले अफवाहों का बाजार गर्म होना आम बात है. मुफ्त बिजली जैसी खबरें आम जनता की भावनाओं को भुनाने का जरिया बन जाती हैं. लेकिन इस बार सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्थिति साफ कर दी. जहां एक ओर ‘फ्री बिजली’ पर विराम लगा, वहीं दूसरी ओर पेंशन और महिला आरक्षण जैसी योजनाओं ने सत्तारूढ़ दल को जनहित के मोर्चे पर मजबूत बनाया है. आने वाले चुनाव में जनता किसे समर्थन देगी, यह तो वक्त बताएगा. लेकिन इतना तय है कि अब मतदाता भी जानता है कि हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती.
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