'यूक्रेन में शांति का रास्ता दिल्ली से...', टैरिफ की आग में खुद झुलसे ट्रंप तो बदल गए व्हाइट हाउस के सुर, कहा- हमें भारत से प्यार है, मोदी ग्रेट लीडर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए सब कुछ सही नहीं चल रहा है. मिड टर्म चुनाव से पहले हाथ पैर मार रहे ट्रंप को हर मोर्चे पर मात खानी पड़ रही है. उन्होंने नोबल पीस प्राइस पाने के उद्देश्य से न सिर्फ भारत-पाकिस्ताम सैन्य तनाव की मध्यस्थता का एकतरफा दावा किया, बल्कि भारत के इनकार के बाद भी इस तरह की बात वो लगातार करते रहे. इसी सिलसिले में उन्होने रूस पर दबाव बढ़ाने को लेकर नई दिल्ली पर टैरिफ लगा दिए, जुर्माने ठोके लेकिन हिंदुस्तान टस से मस नहीं हुआ...आज स्थिति ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति पूरी तरह फ्रस्टेट हो गए हैं, उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा है कि वो अपने फैसलों को जस्टिफाई कैसे करें, लिए गए एक्शन को रिवर्स कैसे करें. इसी का नतीजा है कि ट्रंप ने रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को रूकवाने से हाथ पीछे खींच लिया है और अब उन्हीं के सलाहकार कह रहे हैं कि यूक्रेन में शांति का रास्ता नई दिल्ली से जाता है.
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अब लग रहा है कि अमेरिका अपने टैरिफ की तपिश में झुलसने लगा है. सामान की कीमतें बढ़ रही हैं. ग्रोसरी स्टोर्स खाली हैं. महंगाई बढ़ रही है और देश के अंदर से ही तीखी आलोचना हो रही है. फरीद जकारिया से लेकर जैफरी सैक्स तक ने, ट्रंप की नीति की आलोचना की है और कहा है कि उन्होंने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है. 25 साल की कड़ी मेहनत के बाद भारत से सुधारे गए रिश्तों और मजबूत साझीदारी पर एक झटके में पानी फेर दिया गया है. इसी बीच व्हाइट हाउस के ट्रेड एडवाइजर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी पीटर नवारो ने जो बयान दिए हैं उससे संकेत मिल रहे हैं कि ट्रंप पूरी तरह बेचैन हो उठे हैं. एक तरफ तो नोवारो भारत की आलोचना कर रहे हैं, दूसरी तरफ भारत की कूटनीतिक ताकत, आर्थिक शक्ति का लोहा भी मान रहे हैं.
'यूक्रेन में शांति का रास्ता नई दिल्ली से होकर जाता है'
पीटर नवारो यूक्रेन की जंग का गोल पोस्ट भारत की ओर शिफ्ट कर रहे हैं. बकौल अमेरिकी अर्थशास्त्री जैफरी सैक्स, यूक्रेन में जंग का मुख्य जिम्मेदार अमेरिका है. उसी ने रूस को उकसाया, उसके इर्द-गिर्द ऐसे माहौल बनाए, शांति समझौते से पीछे हटा, 2014 में तख्तापलट को सपोर्ट किया वो आज शांति कि बातें कर रहा है, जबकि जमीन पर उसने कोई कदम नहीं उठाए. पीटर नवारो इसी युद्ध का जिम्मेदार भारत को जता रहे हैं.
'भारत अपना हित नहीं साध रहा है, अपने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रख रहा है'
नवारो ने अपने बयान में भारत की ऊर्जा नीति और वैश्विक कूटनीति को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि बार-बार यह दावा किया जा रहा है कि भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखने के लिए रूसी तेल की आवश्यकता है, लेकिन वास्तव में भारत को इसकी कोई ज़रूरत नहीं है. उनका कहना है कि भारत यह तर्क देकर केवल अपने आर्थिक हित साध रहा है, जबकि इससे वैश्विक स्तर पर यूक्रेन संकट को टालने के प्रयास प्रभावित हो रहे हैं. अब पीटर नवारो को कौन बताए कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा उर्जा खपत वाला देश है, जिसमें तेल उसका मुख्य स्त्रोत है. जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो बाइडेन प्रशासन ने भारत से गुहार लगाई कि वो मॉस्को से ज्यादा से ज्यादा तेल खरीदे ताकि तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिर रहे. लेकिन आज वह भारत को कह रहा है कि तेल क्यों खरीद रहा है और खुद भी कैमिकल-फर्टिलाइजर आयात कर रहा है.
नवारो ने यह भी कहा कि 'यूक्रेन में शांति का रास्ता नई दिल्ली से होकर जाता है", जिसका आशय यह है कि भारत चाहे तो इस युद्ध को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है. नवारो ने कहा कि भारत रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदकर उसे रिफाइन कर रहा है और पश्चिमी देशों को बेच रहा है. इस प्रक्रिया को उन्होंने "रिफाइनिंग लॉन्ड्रोमैट" की संज्ञा दी है. उनके अनुसार भारत न सिर्फ इस तेल व्यापार से आर्थिक लाभ कमा रहा है, बल्कि परोक्ष रूप से रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को भी फंडिंग कर रहा है. अब नवारो को कौन बताए कि उन्हीं का राष्ट्रपति कह रहा है कि वो रूस पर दबाव बनाने के लिए भारत पर टैरिफ लगा रहे हैं.
भारत कौन सा रास्ता बदले तो अमेरिका होगा खुश?
नेवारो जो कभी भारत को टैरिफ का महाराजा कहा करते थे वो आज कह रहे हैं कि भारत, चीन की ओर झुक रहा है. यानी कि उन्हें साफ समझ आ रहा है कि ट्रंप प्रशासन ने नई दिल्ली को धमकाने और दबाव में लाने के लिए जो फैसले लिए वो रणनीतिक आपदा की तरह है. हालांकि नेवारो ने भारत की नेतृत्व क्षमता की तारीफ़ भी की लेकिन ये भी कहा कि वो रास्ता बदले, ये नहीं बताया कि वे रास्ते कौन से हैं? शायद अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के फैसले लेना बंद कर दे? शायद अपनी संप्रभुता को गिरवी रख दे? ट्रंप के अनुसार भार उनके सामने झुक जाए तो सही है? शायद भारत अपने किसानों और डेयरी सेक्टर की चिंता छोड़ दे और अपने बाजार अमेरिका के लिए खोल दे. तब अमेरिका मानेगा कि भारत सही रास्ते पर जा रहा है.
नेवारो ने आगे कहा:
"मैं भारत से प्यार करता हूं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महान नेता हैं. लेकिन भारत जो कर रहा है उससे यूक्रेन में शांति नहीं आने वाली. भारत देखे कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उसकी भूमिका क्या है. अभी आप (भारत) शांति कायम करने के बजाय युद्ध को और लंबा खींच रहे हैं. ' शायद नेवारो को पता नहीं है कि भारत की अपनी एक स्वतंत्र नीति रही है, उसने कठिन संघर्ष के दिन देखे हैं, वो कभी भी अमेरिका के कहे में नहीं आएगा.
#WATCH | US | White House Trade Adviser Peter Navarro says, "India doesn't appear to want to recognise its role in the bloodshed... It's cosying up to Xi Jinping... They don't need the (Russian) oil. It's a refining profiteering scheme. It's a laundromat for the Kremlin... I love… pic.twitter.com/sDi6jYzp6L
— ANI (@ANI) August 21, 2025
नेवारो के इन बयानों के राजनीतिक और कूटनीतिक निहितार्थ काफी गहरे हैं. यह भारत की ऊर्जा नीति पर एक प्रकार का अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश मानी जा सकती है, जिसमें उसे रूस से तेल खरीद कम करने के लिए मजबूर किया जाए. हालांकि भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि उसकी प्राथमिकता राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा है, और वह किसी भी पक्ष के साथ युद्ध में खड़ा नहीं है. भारत बार-बार यह दोहराता रहा है कि वह शांति का पक्षधर है और सभी पक्षों के साथ संवाद का समर्थन करता है.
चीन के साथ बढ़ती नजदीकी, अमेरिका के होश उड़े
नवारो ने भारत और चीन के बीच बढ़ती नजदीकियों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि भारत चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ संबंध मजबूत कर रहा है, जो अमेरिका के लिए चिंता का विषय है. खासकर तब, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही चीन का दौरा करने वाले हैं और चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत दौरे पर आए हैं. नवारो ने चेतावनी दी कि अगर भारत रूस और चीन दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखता है, तो अमेरिका के लिए भारत को उन्नत सैन्य तकनीक सौंपना जोखिम भरा हो सकता है.
अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीद के लिए 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे भारतीय आयात पर कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया है. यह टैरिफ 27 अगस्त, 2025 से लागू होने वाला है. नवारो ने इस टैरिफ को सही ठहराते हुए कहा कि भारत को अपनी ऊर्जा नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए.
दूसरी ओर, भारत ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि रूस से तेल खरीद को केवल भारत को निशाना बनाना अनुचित है, क्योंकि अमेरिका और यूरोप भी रूस से व्यापार जारी रखे हुए हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत की ऊर्जा नीति का उद्देश्य वैश्विक ऊर्जा बाजारों को स्थिर करना है, और अमेरिका ने ही भारत से रूसी तेल खरीदने का आग्रह किया था.
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निक्की हेली ने ट्रंप को चेताया
नवारो के बयानों के विपरीत, अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की वकालत की है. उन्होंने चेतावनी दी कि भारत के साथ 25 साल की प्रगति को नष्ट करना रणनीतिक रूप से एक बड़ी गलती होगी. हेली ने कहा कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो एशिया में चीन के प्रभुत्व का मुकाबला कर सकता है, और ट्रंप को प्रधानमंत्री मोदी के साथ सीधी बातचीत कर इस तनाव को कम करना चाहिए. हेली ने आगे कहा कि भारत मुख्त विश्व सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण संपत्ति है. अत: भारत से संबंध खराब करना अमेरिका के लिए रणनीतिक आपदा होगी.
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