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देश धूमधाम से मना रहा 79वां स्वतंत्रता दिवस, आइए जानते हैं क्या है झंडा फहराने और ध्वजारोहण में फर्क?

इस साल देश 15 अगस्त को 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है.ऐसे में अक्सर लोग ध्वजारोहण और झंडा फहराने को लेकर कंफ्यूज रहते हैं. आइए समझते हैं इन दोनों में क्या अंतर है और इनके पीछे क्या महत्व है.

15 Aug, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
03:42 AM )
देश धूमधाम से मना रहा 79वां स्वतंत्रता दिवस, आइए जानते हैं क्या है झंडा फहराने और ध्वजारोहण में फर्क?

भारत का हर नागरिक हर साल 15 अगस्त को आज़ादी का जश्न मनाता है और इस बार देश 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. यह दिन भारतीय इतिहास में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजी हुकूमत से स्वतंत्रता मिली थी. पूरे देश में इस दिन का माहौल त्यौहार जैसा होता है। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और हर गली-मोहल्ले में तिरंगा लहराता है. लाल किले से प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं और पूरे देश को संबोधित करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने का तरीका अलग होता है? अक्सर लोग ध्वजारोहण और झंडा फहराने को लेकर कंफ्यूज रहते हैं. आइए समझते हैं इन दोनों में क्या अंतर है और इनके पीछे क्या महत्व है.

ध्वजारोहण होता है आजादी का प्रतीक

15 अगस्त को किया जाने वाला ध्वजारोहण एक बहुत ही विशेष प्रक्रिया है. इस दिन तिरंगा झंडा पोल के नीचे से बंधा होता है. जैसे ही प्रधानमंत्री रस्सी खींचते हैं, झंडा नीचे से ऊपर की ओर चढ़ता है. ऊपर पहुँचते ही यह खुलता है और लहराने लगता है. ध्वजारोहण की यह प्रक्रिया हमारी आज़ादी की शुरुआत और पहली बार तिरंगे के फहराने का प्रतीक है. यही कारण है कि 15 अगस्त को यह समारोह दिल्ली के लाल किले से होता है. 1947 में इसी दिन पहली बार ब्रिटिश झंडे की जगह तिरंगा फहराया गया था. यह हर भारतीय को याद दिलाता है कि हमने आजादी पाई और सिर ऊंचा करके खड़े हुए. ध्वजारोहण सिर्फ एक रिवाज नहीं, बल्कि देशवासियों के मनोबल और आज़ादी की भावना का प्रतीक है. हर साल यह समारोह न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि पूरे देश में एकजुटता और गर्व की भावना भी भर देता है.

झंडा फहराना है गणराज्य का जश्न

26 जनवरी को झंडा फहराना होता है. इस दिन तिरंगा पहले से ही पोल के ऊपर बंधा होता है. राष्ट्रपति उसे बस खोलते हैं और झंडा फहराना शुरू हो जाता है. झंडा खुलते ही फूलों की वर्षा होती है और पूरे समारोह का माहौल गौरवपूर्ण बन जाता है. 26 जनवरी का दिन इसलिए खास है क्योंकि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ और देश गणराज्य बना. इस दिन झंडा फहराना यह दिखाता है कि हम अब स्वतंत्र राष्ट्र हैं और अपने संविधान के नियमों के अनुसार चल रहे हैं.

बताते चलें कि इस प्रकार, 15 अगस्त और 26 जनवरी दोनों ही दिन देशभक्ति और गर्व से भरे हुए हैं, लेकिन उनका प्रतीकात्मक महत्व अलग है. 15 अगस्त पर झंडा नीचे से ऊपर उठता है, जो आज़ादी की शुरुआत को दर्शाता है. वहीं 26 जनवरी पर झंडा पहले से ऊंचाई पर होता है और उसे सिर्फ खोला जाता है, जो स्वतंत्र गणराज्य के स्थायित्व और संविधान के पालन को दर्शाता है.

क्यों जरूरी है फर्क समझना

ध्वजारोहण और झंडा फहराने के बीच का यह फर्क सिर्फ रस्मों तक सीमित नहीं है. यह हमें यह भी सिखाता है कि आजादी और गणराज्य दोनों ही हमारे इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय हैं. 15 अगस्त हमें याद दिलाता है कि हमने अंग्रेजों से आज़ादी पाई और अपना संघर्ष सफल किया. 26 जनवरी हमें यह एहसास कराता है कि आज हम अपने संविधान के तहत एक गणराज्य के रूप में सुरक्षित और सशक्त हैं. इस जानकारी को समझकर देशवासियों में देशभक्ति की भावना और राष्ट्रीय गर्व और भी मजबूत होता है. स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी संस्थानों में जब बच्चे और युवा झंडा फहराते हैं या ध्वजारोहण करते हैं, तो यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि इतिहास और सम्मान का प्रतीक बन जाता है.

जानिए तिरंगे का महत्व

तिरंगा सिर्फ एक झंडा नहीं है, बल्कि भारत की पहचान, स्वतंत्रता और एकता का प्रतीक है. इसका हर रंग और प्रतीक कुछ खास दर्शाता है. 15 अगस्त पर इसे नीचे से ऊपर खींचकर फहराना हमें यह याद दिलाता है कि स्वतंत्रता संघर्ष के बिना यह ऊँचाई नहीं मिलती. 26 जनवरी को इसे पहले से ऊंचाई पर रखना और बस खोलना हमें यह बताता है कि अब यह हमारे संविधान के नियमों के अनुसार स्थिर और सुरक्षित है. इस तरह, 15 अगस्त और 26 जनवरी दोनों ही देश के नागरिकों को गौरव और जिम्मेदारी का एहसास कराते हैं. यही कारण है कि हर साल इन समारोहों को पूरे देश में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है.

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गौरतलब है कि 15 अगस्त और 26 जनवरी के इन दो राष्ट्रीय समारोहों में झंडा फहराने का तरीका अलग हो सकता है, लेकिन उद्देश्य एक ही है,  देशभक्ति और राष्ट्रीय गर्व को मजबूत करना. 15 अगस्त हमें हमारी आज़ादी की याद दिलाता है और 26 जनवरी हमें यह सिखाता है कि स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी आती है.

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