तेजस्वी यादव के चलते राबड़ी देवी को खाली करना पड़ेगा बंगला! बेटे का वो कदम, जिसके चलते ठिकाना बदलने की आई नौबत
राबड़ी देवी अभी 10 सर्कुलर रोड़ स्थित बंगले में रहती थी. लेकिन अब प्रशासन की तरफ़ से उन्हे बंगला खाली करने का आदेश दे दिया गया है. इसके पीछे की वजह तेजस्वी यादव का आठ साल पहले उठाया गया वह कदम है जो इस फैसले का कारण बना है.
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राजनीति में कहा जाता है कि पावर सत्ता के साथ आती है और सत्ता के साथ ही चली जाती है. लेकिन हिंदुस्तान की राजनीति में सत्ता के जाने के बाद नेताओं की ना तो भनक जाती है और ना ही नेता अपनी सुख सुविधा छोड़ना चाहते हैं. लेकिन बिहार में अब ऐसा नहीं हो पाएगा. क्योंकि बिहार में हार के बाद तेजस्वी की माता राबड़ी देवी को अपना सरकारी आवास छोड़ना पड़ेगा वो भी अपने बेटे तेजस्वी की वजह से?
दरअसल राबड़ी देवी अभी 10 सर्कुलर रोड़ स्थित बंगले में रहती थी. लेकिन अब प्रशासन की तरफ़ से उन्हे बंगला खाली करने का आदेश दे दिया गया है और उनके लिए नया बंगला भी आवंटित कर दिया गया है. आपको बता दें कि राबड़ी देवी क़रीब 16 जनवरी 2006 से 10 सर्कुलर रोड स्थित बंगले में रह रही थीं. अब सरकारी आदेश के तहत उन्हें हार्डिंग रोड स्थित केंद्रीय पूल आवास बंगला नंबर 39 में देने की बात कही गई है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि राबड़ी देवी पूर्व सीएम भी रह चुकी हैं. और वर्तमान में विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष भी हैं तो उन्हें बंगला क्यों खाली करना पड़ रहा है..तो उसके पीछे की वजह तेजस्वी यादव का आठ साल पहले उठाया गया वह कदम है जो इस फैसले का कारण बना है.
राबड़ी देवी को कैसे मिला 10, सर्कुलर रोड?
दरअसल राबड़ी देवी को ये बंगला पूर्व सीएम होने के नाते मिला था. लेकिन 2005 में जब नीतीश कुमार सत्ता में वापस आए तो एक बड़ा फैसला किया गया. इस फैसले में बिहार के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास, सुरक्षा और अन्य सुविधाओं पर चर्चा हुई. उसके बाद इन सुविधाओं को लेकर एक्शन लिया गया और ये नियम बदल दिया गया.
तेजस्वी का वो केस जिसके बाद बदली बिहार की परंपरा
दरअसल, ये पूरी कहानी साल 2017 की है. तेजस्वी यादव उस समय बिहार के उपमुख्यमंत्री हुआ करते थे और 5, देशरत्न मार्ग स्थित आधिकारिक आवास में रहते थे. लेकिन तभी नीतीश कुमार ने आरजेडी से अलग होकर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. नीतीश के इस फैसले के बाद तेजस्वी को बंगला खाली करने का आदेश दे दिया गया..उस वक्त नीतीश सरकार की ओर से कहा गया कि वह बंगला उपमुख्यमंत्री के पद पर आसीन नेता का है, न कि किसी व्यक्ति का. सरकारी नोटिस के बाद तेजस्वी यादव हाईकोर्ट पहुंचे और सरकारी आवास और सुविधाओं में नियमों का स्पष्ट निर्धारण करने की बात कही.
मामला हाईकोर्ट में पहुंचने पर हुआ बड़ा खुलासा
तेजस्वी की इस याचिका के बाद हाईकोर्ट की डबल बेंच में मुख्य न्यायाधीश एपी शाही और जस्टिस अंजना मिश्रा ने सुनवाई के दौरान भवन निर्माण विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी…उसके बाद बड़ा खुलासा हुआ कि 2010 में सरकारी नियमों में बदलाव किया गया था और उसके बाद राबड़ी देवी, लालू यादव, जीतन राम मांझी, डॉ. जगन्नाथ मिश्रा और सतीश प्रसाद सिंह जैसे नेताओं को आजीवन सरकारी आवास, सुरक्षा और स्टाफ की सुविधा दी गई थी…इस बात को लेकर अदालत असहमत हुई.
2019 में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
खुलासे के बाद 19 फरवरी 2019 को पटना हाईकोर्ट ने तेजस्वी यादव की याचिका को खारिज करके उसे बंगला खाली कराने के लिए कहा. लेकिन इस आदेश के साथ साथ अदालत ने एक बड़ा बदलाव लागू करते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला और सुविधाएं देने की व्यवस्था को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि अब सरकारी आवास केवल पद से जुड़े होंगे, किसी व्यक्ति से नहीं.
हाईकोर्ट के फैसले के चलते राबड़ी को बदलना होगा बंगला
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हाईकोर्ट के उस आदेश के आधार पर अब राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड छोड़ना होगा और उन्हें नया आवास 39, हार्डिंग रोड पर जाना होगा. दिया जा रहा है, क्योंकि वे अब विधान परिषद में विपक्ष की नेता हैं. तेजस्वी खुद इस समय विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, इसलिए उन्हें एक पोलो रोड वाला बंगला मिला है, लेकिन वे अभी भी 10, सर्कुलर रोड में ही रहते हैं और ऐसे में अब उन्हें भी औपचारिक रूप से अपना पता बदलना होगा.
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