पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को बेदखल करने पर सुप्रीम रोक, कोर्ट ने भेजा सरकार को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को बड़ी राहत दी है. अदालत ने उन्हें बेदखल करने पर फिलहाल रोक लगा दी है. यह आदेश दिल्ली हाईकोर्ट के 30 मई के फैसले पर रोक लगाते हुए दिया गया, जिसमें शरणार्थियों की याचिका को खारिज कर दिया गया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. शरणार्थियों की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और एक-पक्षीय अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी.
हिंदू शरणार्थियों को बेदखल करने पर सुप्रीम रोक
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें बेदखल करने पर फिलहाल रोक लगा दी है. यह आदेश दिल्ली हाईकोर्ट के 30 मई के फैसले पर रोक लगाते हुए दिया गया, जिसमें शरणार्थियों की याचिका को खारिज कर दिया गया था.
🚨 Big Victory for Hindu Refugees! 🚨
— Hindu Samman Foundation (@hsfbharat) August 29, 2025
Today, the Supreme Court of India granted a stay on the demolition of Majnu Ka Tila camp, where Hindu refugees from Pakistan were living under fear after receiving demolition notices from the Delhi High Court.
This historic relief was made… pic.twitter.com/yThGhOqdBK
विष्णु शंकर जैन के मुताबिक, दिल्ली के 'मजनू का टीला' इलाके में एक हजार से अधिक पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी रह रहे थे. डीडीए ने इन परिवारों को हटाने के लिए नोटिस जारी किया था. शरणार्थियों ने डीडीए के नोटिस को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी, लेकिन राहत नहीं मिली. हाईकोर्ट ने शरणार्थियों की याचिका को खारिज कर दिया था.
नीति निर्माण कोर्ट का कार्यक्षेत्र नहीं - दिल्ली हाईकोर्ट
विष्णु शंकर जैन ने बताया, "पहले सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकार इस मामले में कोई स्पष्ट नीति नहीं बना पा रही है और नीति निर्माण कोर्ट का कार्यक्षेत्र नहीं है, इसलिए अदालत कोई प्रभावी आदेश पारित नहीं कर सकती."
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अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि यह सबसे अहम है कि जब यह मामला पहली बार हाईकोर्ट पहुंचा था, तो कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. अब केंद्र सरकार की नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत यह स्पष्ट नीति है कि 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान से भारत आए सभी विस्थापित हिंदुओं को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. जैसे ही किसी को नागरिकता मिलती है, संविधान का अनुच्छेद 21, जीवन और सम्मान का अधिकार, उन पर लागू हो जाता है.
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