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नसबंदी...सड़क पर खाना खिलाने पर पाबंदी, फीडिंग जोन का निर्धारण, आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पूरे देश में होगा लागू

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर अपने पिछले आदेश में संशोधन करते हुए एक नया अंतरिम फैसला सुनाया है. इस फैसले को अब पूरे देश में लागू किया जाएगा. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया कि शेल्टर होम में लिए गए कुत्तों को वैक्सीनेशन के बाद छोड़ा जाएगा, उनके स्थानों पर रिलोकेट किया जाएगा. हां, बीमार कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा. दूसरी तरफ इन्हें सड़कों पर खाना खिलाने पर पाबंदी लगा दी गई है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जब कोई भी अगर नगर निगम के काम में बाधा डालेगा तो उस पर कार्रवाई होगी.

Created By: केशव झा
22 Aug, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
09:54 PM )
नसबंदी...सड़क पर खाना खिलाने पर पाबंदी, फीडिंग जोन का निर्धारण, आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पूरे देश में होगा लागू
तस्वीर: स्ट्रीट डॉग (प्रतीकात्मक तस्वीर)

आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने को लेकर देश में मचे बवाल और पेट लवर्स के प्रदर्शन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में स्ट्रीट डॉग्स को लेकर अपने पिछले आदेश में संशोधन करते हुए एक नया अंतरिम फैसला सुनाया है. इस फैसले को अब पूरे देश में लागू किया जाएगा. SC ने अपने पिछले आदेश में बदलाव करते हुए कहा कि वैक्सीनेशन के बाद कुत्तों को उनके मूल इलाकों में ही छोड़ा जाएगा, लेकिन रेबीज (रेबीज) पीड़ित या आक्रामक कुत्तों को छोड़ने की अनुमति नहीं होगी. 

बीमार कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा, सड़क पर खाना खिलाने पर भी पाबंदी

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सड़कों पर कुत्तों को खाना खिलाने (फीडिंग) पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है. इसके बजाय, नगर निगम (एमसीडी) को कुत्तों के लिए विशेष फीडिंग स्थल बनाने का निर्देश दिया गया है, ताकि व्यवस्थित तरीके से उनकी देखभाल हो सके. कोर्ट ने ये भी कहा कि किसी भी बीमार कुत्तों को किसी भी कीमत पर बाहर न छोड़ा जाए.

नगर निगम के काम में बाधा डालने पर होगी कार्रवाई 

कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ निर्धारित जगहों पर ही कुत्तों की फीडिंग की जाएगी. इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई इन नियमों की अवहेलना करता हुआ पाया गया, तो निश्चित तौर पर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को फीडिंग करने की अनुमति नहीं दी है.

तीन जजों की बेंच, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया, ने यह निर्णय लिया है. इसके साथ ही देशभर की सभी अदालतों में लंबित संबंधित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का भी आदेश दिया गया है.

पूरे भारत में लागू होगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट का आदेश केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित था, लेकिन अब इसे पूरे भारत में लागू करने का निर्णय लिया गया है. अदालत ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण यह समस्या बढ़ी है, इसलिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है. देशभर की अदालतों में लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने से एकरूपता सुनिश्चित होगी और नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा.

क्या है पूरा मामला?
बता दें कि 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक को लेकर फिक्र जाहिर करते हुए एमसीडी और न्यू दिल्ली म्युनिसिपल काउंसिल (एनडीएमसी) को तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी आवारा कुत्तों को पकड़ने और हटाने का निर्देश दिया था. अपने फैसले में कहा, "बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है."

सुप्रीम कोर्ट के आदेश को प्वांइट्स में समझिए: 


1. फीडिंग ज़ोन (Feeding Zones)

आवारा कुत्तों को निर्धारित जगहों (फीडिंग जोन) पर ही खाना खिलाया जाएगा.

इन फीडिंग ज़ोन को स्थापित करने के लिए एनजीओ को ₹25,000 की सहायता राशि दी जाएगी.

कोई भी व्यक्ति या संस्था इस व्यवस्था में व्यवधान नहीं डाल सकता.

2. गोद लेना (Adoption)

पशु प्रेमी यदि चाहें तो आवारा कुत्तों को गोद ले सकते हैं.

गोद लेने के बाद यह जिम्मेदारी उस व्यक्ति की होगी कि कुत्ते को फिर से सड़कों पर न छोड़ा जाए.

3. क्लब किए गए सभी केस (Unified Case)

कुत्तों से जुड़े सभी राज्यों की अदालतों में लंबित मामलों को एक ही केस में तब्दील कर दिया जाएगा.

सभी राज्यों को केस में शामिल किया गया है.

4. नसबंदी और देखभाल

आवारा कुत्तों की नसबंदी (Sterilization) की जाएगी ताकि उनकी जनसंख्या नियंत्रित हो सके.

आक्रामक कुत्तों को विशेष एनिमल शेल्टर में रखा जाएगा.

5. एमसीडी को निर्देश

एमसीडी (नगर निगम) को कहा गया है कि वह निर्धारित स्थानों पर ही फीडिंग ज़ोन बनाए.

SC के इस आदेश का महत्व

यह फैसला पशु अधिकारों और सार्वजनिक सुरक्षा दोनों के बीच संतुलन स्थापित करता है.

पशु प्रेमियों को सकारात्मक रूप से भाग लेने का मौका देता है, लेकिन उत्तरदायित्व भी तय करता है.

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यह आदेश कानूनी स्पष्टता और व्यवहारिक समाधान दोनों प्रदान करता है.

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