कोई गिलास ले गया, तो कोई कुर्सी रगड़ता रहा… पुतिन से बैठक के बाद किम जोंग उन की छींक तक उठा ले गया बॉडीगार्ड, गायब किए हर सबूत
रूसी राष्ट्रपति पुतिन से किम जोंग उन की मुलाकात खत्म होते ही उत्तर कोरियाई स्टाफ सतर्क हो गया। जिस कुर्सी पर बैठा था तानाशाह उसे बारीकी से साफ किया गया और किम की परछाई के भी सारे सबूत मीटिंग हॉल से एक-एक करके मिटा दिए.
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उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन की हालिया चीन यात्रा केवल कूटनीतिक कारणों से ही नहीं, बल्कि उनकी सुरक्षा व्यवस्था की वजह से भी चर्चा का विषय बनी हुई है. पूरी दुनिया को पता है कि वैसे तो किम विदेश यात्रा बहुत कम करते हैं लेकिन, अगर कहीं जाते भी हैं तो पूरी सतर्कता के साथ. हालांकि बीते सालों में देखें तो उनकी चीन, वियतनाम, सिंगापुर और रूस की यात्रा हुई है. वो जहां भी जब भी जाते हैं तो उनके बॉडीगार्ड्स हर चीज का ख्याल रखते हैं. अगर भूल होती है तो इसकी सजा काफी भयानक होती है. इस बार भी वो चीनी मिलिट्री परेड में शामिल होने के लिए अपने विशेष बख़्तरबंद हरे रंग की ट्रेन से पहुंचे, जिसे उनकी सुरक्षा के लिहाज़ से सबसे सुरक्षित साधन माना जाता है.
इसी बीच उनकी चीन यात्रा के दौरान का एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि किम के स्टाफ उनकी बैठी हुई, वॉर्ता वाली जगह पर छुए हर निशान को मिटा रहा है. जिस गिलास से उन्होंने पानी पिया, उसे तुरंत पैक कर लिया गया. जिस कुर्सी पर वे बैठे, उसे कपड़े से पोंछ दिया गया और जिस मेज़ को उन्होंने छुआ, उसे भी साफ़ कर दिया गया. और तो और टिश्यू पेपर को भी अपने साथ ले गया.
क्या है पूरा मामला
यह हैरान करने वाला वाकया बुधवार को सामने आया, जब नॉर्थ कोरिया और रूस के नेता बीजिंग में एक भव्य सैन्य परेड के बाद बैठक करने पहुंचे. इस दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने देश की बढ़ती कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया.
टेलीग्राम पर पोस्ट की गई फुटेज में किम के दो सहयोगी मीटिंग खत्म होते ही तेज़ी से काम करते दिखाई दे रहे हैं. एक कर्मचारी किम की कुर्सी के पिछले हिस्से को सावधानी से पॉलिश कर रहा था, जबकि दूसरा गिलास ट्रे को फॉरेंसिक स्तर की तरह संभालकर साथ ले गया. किम द्वारा छुए गए सभी सामान की बारीकी से सफाई की गई, और कुछ वस्तुएँ अधिकारी अपने साथ ले गए.
कुर्सी के हैंडल से लेकर साइड टेबल तक सब कुछ तब तक पोंछा गया जब तक कि नॉर्थ कोरियाई नेता की मौजूदगी का हर निशान मिट न गया हो. रूसी पत्रकार अलेक्जेंडर युनाशेव ने अपने चैनल युनाशेव लाइव पर कहा, “बातचीत के बाद, डीपीआरके प्रमुख के साथ आए कर्मचारियों ने किम की मौजूदगी के सभी निशानों को सावधानी से मिटा दिया.”
The staff accompanying the North Korean leader meticulously erased all traces of Kim's presence.
— Russian Market (@runews) September 3, 2025
They took the glass he drank from, wiped down the chair's upholstery, and cleaned the parts of the furniture the Korean leader had touched. pic.twitter.com/JOXVxg04Ym
क्यों की होगी फिंगर प्रिंट की सफाई?
सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स बताते हैं कि यह सब इसलिए किया जाता है ताकि कोई भी विदेशी फुफिया एजेंसी उनके फिंगरप्रिंट, DNA या जैविक नमूने इकट्ठा न कर सके. आधुनिक तकनीक से ऐसे नमूनों के ज़रिए किसी भी व्यक्ति की सेहत, उपयोग की जा रही दवाइयों और संभावित बीमारियों तक का पता लगाया जा सकता है. उत्तर कोरिया जैसे बंद और अजूबे देश के लिए यह कोई नया मामला नहीं है. जिस देश के तानाशाह को प्लेन में सफर करने से डर लगता है उसके लिए ये आम बात है और यह सीधे-सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है.
नॉर्थ कोरियाई नेता किम द्वारा छुए गए सामान की फॉरेंसिक स्तर की सफाई का ठोस कारण अभी तक पता नहीं चला है. कुछ लोगों का अनुमान है कि यह रूस की मजबूत डिफेंस सर्विस से बचाव के लिए किया गया कदम है, जबकि कुछ इसे चीन की निगरानी से बचने का संकेत भी मानते हैं. किम ऐसे अकेले नेता नहीं हैं जो अपने बायोलॉजिकल फुटप्रिंट्स को लेकर बेहद सतर्क हैं. दूसरी
पुतिन के अमेरिकी दौरे पर साथ गया था पूप सूटकेस
ये रणनीति केवल किम जोंग तक सीमित नहीं है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बारे में भी कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टें आ चुकी हैं. कहा जाता है कि जब पुतिन विदेश यात्राओं पर जाते हैं तो उनके सुरक्षाकर्मी एक विशेष सूटकेस साथ रखते हैं, जिसमें उनका मल-मूत्र तक इकट्ठा करके रूस वापस ले जाया जाता है. इसका मक़सद भी यही है – किसी विदेशी एजेंसी को उनके डीएनए या स्वास्थ्य संबंधी जानकारी हासिल न हो पाए. इस सूटकेस को मीडिया ने व्यंग्य में "पूप सूटकेस" नाम दिया था.
यह कोई पहला मौका नहीं!
इतिहास में भी इस तरह के उदाहरण मिलते हैं. शीत युद्ध के दौर में अमेरिकी और सोवियत खुफ़िया एजेंसियां एक-दूसरे के नेताओं के स्वास्थ्य पर नज़र रखने के लिए हर संभव तरीके अपनाती थीं. यह माना जाता है कि किसी भी नेता की बीमारियों या स्वास्थ्य संबंधी कमजोरियों का पता चलना राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर बड़ा हथियार बन सकता है. यहां तक कि फ्रांस के राष्ट्रपति शार्ल द गॉल और ईरान के शाह तक के बारे में कहा जाता है कि उनकी विदेश यात्राओं के दौरान सुरक्षा टीम उनके बाथरूम और इस्तेमाल की वस्तुओं पर विशेष ध्यान देती थी.
ब्लैकमेलिंग से बचने के लिए रखी जाती है सतर्कता
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मौजूदा दौर में अब "बायो-इंटेलिजेंस" यानी जैविक जानकारी भी खुफ़िया युद्ध का अहम हिस्सा बन चुकी है. यही वजह है कि कई देशों के नेता अपने सार्वजनिक दौरों में इस हद तक सतर्क रहते हैं कि उनके शरीर से जुड़ा कोई भी अंश किसी और के हाथ न लगे. ये इसलिए भी होता है ताकि कोई भी देश उसके लीडर की मेडिकल कंडीशन के बारे में पता न कर पाए, ब्लैकमेल न कर पाए.
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