नेपाल में बेकाबू हुए हालात, Gen Z आंदोलनकारियों के दबाव में झुके PM केपी शर्मा ओली ने दिया इस्तीफा, संसद पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके सचिवालय ने खबर पर मुहर लगाई है. पीएम ओली ने हिंसक प्रदर्शन के बीच पद छोड़ा है. सोमवार से जेन जी प्रदर्शनकारी और विपक्षी नेता उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे. ओली 1 साल और 2 महीने ही पद पर रह सके. वे 15 जुलाई 2024 को तीसरी बार पीएम बने थे.
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नेपाल में कई दिनों से जारी उथल-पुथल और जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पद से इस्तीफा दे दिया है. लगातार बढ़ते दबाव, मंत्रियों के इस्तीफों और सड़क पर उतरे गुस्साए युवाओं ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया.
राजधानी काठमांडू में हालात बेहद हिंसक हो गए. प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और नेपाली कांग्रेस के हेडक्वार्टर को आग के हवाले कर दिया. भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस की आंसू गैस और वाटर कैनन नाकाम रही. हालात इतने बिगड़े कि पीएम आवास के बाहर सुरक्षाबलों की फायरिंग में दो प्रदर्शनकारी घायल हो गए.
#WATCH | Kathmandu, Nepal | A protestor says, "We are very happy that Nepal Prime Minister K.P. Sharma Oli has resigned..." pic.twitter.com/1Er1npszo5
— ANI (@ANI) September 9, 2025
राजनीतिक संकट तब और गहरा गया जब राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) के 21 सांसदों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया. वहीं, पहले से ही कई मंत्री इस्तीफा दे चुके थे, जिससे ओली पर दबाव कई गुना बढ़ गया. इन बेकाबू परिस्थितियों के बीच ओली ने आज शाम 6 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, लेकिन उससे पहले ही उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया.
पीएम ओली के इस्तीफे की घोषणा तब हुई जब प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, नेताओं के आवासों सहित कई महत्वपूर्ण कार्यालयों में तोड़फोड़ की और अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हुए. सोमवार को जेन जी के विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई के बाद प्रदर्शनकारी उग्र हो गए थे.
द काठमांडू पोस्ट के मुताबिक भ्रष्टाचार और व्यवस्थागत विफलताओं को समाप्त करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चलाई. सोमवार को इस गोलीबारी में छात्रों सहित करीब 19 प्रदर्शनकारी मारे गए और 400 से अधिक युवा घायल हो गए थे.
नेपाली कांग्रेस के समर्थन से जुलाई 2024 से प्रधानमंत्री के रूप में अपना चौथा कार्यकाल पूरा कर रहे ओली पर इस हिंसा के बाद लगातार दबाव बढ़ रहा था. प्रदर्शनकारियों ने उनके प्रशासन पर निहत्थे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक बल प्रयोग को अधिकृत करने का आरोप लगाया था.
केपी शर्मा ओली ने चार बार ली थी पीएम पद की शपथ
उन्होंने 2015-16, 2018-21, और 2021 में कुछ समय के लिए और फिर जुलाई 2024 से मंगलवार को अपने पद से हटने तक पद संभाला था. अपनी मुखर शैली और राष्ट्रवादी नीतियों के लिए जाने जाने वाले ओली स्थिरता और समृद्धि के वादों के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन बढ़ती अशांति के आरोपों के बीच सत्ता छोड़ दी. इनसे पहले देश के गृहमंत्री और कृषि मंत्री ने इस्तीफा सौंप दिया था. काठमांडू और देश भर में मंगलवार को भी विरोध प्रदर्शन जारी रहे, प्रदर्शनकारियों ने व्यवस्थागत सुधार और जवाबदेही सुनिश्चित होने तक आगे बढ़ने की कसम खाई.
गृह मंत्री, कृषि मंत्री का इस्तीफा
आपको बताएं कि केपी ओली के इस्तीफे से पहले ही उनकी सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे थे. कृषि और पशुपालन विकास मंत्री रामनाथ अधिकारी ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि हिंसा से देश की पीड़ा को देखते हुए वह अपने पद पर बने नहीं रह सकते थे.
कृषि और पशुधन विकास मंत्री रामनाथ अधिकारी ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा, "हिंसा ने यह सवाल उठाया है कि क्या मौजूदा सरकार एक अधिनायकवादी व्यवस्था की ओर बढ़ रही है." इससे पहले, नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
नेपाल की राजधानी काठमांडू और इसके बाहर सोमवार को हुए जेन-जी प्रदर्शनों के दौरान सरकार की हिंसक प्रतिक्रिया के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं. इस हिंसा में कम से कम 19 लोगों की जान गई. मंगलवार को भी काठमांडू के अलग-अलग हिस्सों से छिटपुट विरोध-प्रदर्शन की जानकारी सामने आई. इसके कारण स्थानीय प्रशासन ने लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाते हुए कर्फ्यू लगाया है. काठमांडू में गृह मंत्रालय के अधीन तीन जिला प्रशासन कार्यालयों (डीएओ) ने अलग-अलग नोटिस जारी करके कई स्थानों पर सुबह से कर्फ्यू लगा दिया, जिसमें शहर के प्रमुख एंट्री प्वाइंट शामिल हैं.
#WATCH | Nepal: Vehicles damaged and set on fire in Kathmandu, as protesters continue their demonstration against alleged corruption. pic.twitter.com/uGgx4rJvJM
— ANI (@ANI) September 9, 2025
काठमांडू डीएओ ने मंगलवार को राजधानी महानगरपालिका क्षेत्र में सुबह 8:30 बजे से अनिश्चितकाल तक के लिए कर्फ्यू लागू किया, जिसमें लोगों को आवाजाही, प्रदर्शन, सभाएं या धरने पर रोक है. कर्फ्यू के दौरान जरूरी सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, अग्निशमन वाहन, शव वाहन, स्वास्थ्यकर्मियों, पत्रकारों, पर्यटक वाहनों, हवाई यात्रियों और मानवाधिकार व राजनयिक मिशनों के वाहनों की आवाजाही की अनुमति होगी.
इसी तरह, ललितपुर के जिला प्रशासनिक अधिकारी ने भी अलग-अलग संगठनों के प्रदर्शनों के बीच सार्वजनिक शांति और सुरक्षा को प्रभावित करने वाली हिंसक गतिविधियों, दंगों या अशांति की संभावना का हवाला देते हुए जिले के विभिन्न स्थानों पर कर्फ्यू लगाया है.
नोटिस में कहा गया है कि ललितपुर जिले के निर्दिष्ट क्षेत्रों में सभी प्रकार की सभाएं, रैलियां, जुलूस, धरना या सामूहिक गतिविधियां प्रतिबंधित हैं. भक्तपुर के जिला प्रशासनिक अधिकारी ने भी जिले के विभिन्न स्थानों पर कर्फ्यू लगा दिया है, जिसमें विरोध-प्रदर्शन और सभाओं पर रोक लगा दी गई है.
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वहीं, लोग सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार को 'हत्यारी सरकार' कह रहे हैं. इसी बीच, प्रधानमंत्री ओली ने सोमवार देर रात एक बयान जारी कर विरोध प्रदर्शनों के दौरान अवांछित समूहों की घुसपैठ को इस दुखद घटना का कारण बताया था.
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