'असम की स्थिति अलग है...', मतदाता सूची संशोधन पर सीएम हिमंत की दो टूक
बिहार की तरह असम में भी मतदाता सूची में संशोधन की मांग उठ रही है. जिसपर सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने असहमती जताई है. मुख्यमंत्री ने कहा, "मतदाता सूची संशोधन से असम में अवैध प्रवासियों द्वारा जनसांख्यिकीय घुसपैठ को रोकने में मदद नहीं मिलेगी, असम की स्थिति अलग है."
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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में संशोधन किया जा रहा है. असम में भी जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं. वहां पर भी मतदाता सूची में संशोधन की मांग उठ रही है. राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा मतदाता सूची संशोधन के पक्ष में नहीं हैं. गुवाहाटी में एक प्रेस कांफ्रेंस करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "मतदाता सूची संशोधन से असम में अवैध प्रवासियों द्वारा जनसांख्यिकीय घुसपैठ को रोकने में मदद नहीं मिलेगी, असम की स्थिति अलग है."
‘असम में नागरिकता की सीमा 1951 नहीं, बल्कि 1971 है’
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को उपायुक्त ने बेदखल किया था, उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं. मतदाता सूची संशोधन जनसांख्यिकीय घुसपैठ को नहीं रोक सकता. असम में नागरिकता की सीमा 1951 नहीं, बल्कि 1971 है. असम का मामला देश के बाकी हिस्सों से अलग है."
‘अब तक 1.19 लाख बीघा से अधिक जमीन को अतिक्रमण मुक्त’
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के बेदखली अभियान के जरिए 2021 से अब तक 1.19 लाख बीघा से अधिक जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया जा चुका है. यह असमिया-बहुल इलाकों में प्रवासियों द्वारा राजनीतिक रूप से पांव जमाने की इस कथित कोशिश को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
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‘अवैध रूप से बसने का टारगेट…’
उन्होंने कहा, बेदखली अभियान के दौरान यह पाया गया है कि अतिक्रमणकारी अधिकतर वे लोग हैं जिनकी अपने मूल जिलों में जमीन है, फिर भी वे राज्य के दूर-दराज के इलाकों में अवैध रूप से बसने के लिए चले जाते हैं. ये लोग राज्य के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में बसते हैं, वे नए इलाके में मतदाता के रूप में अपना नाम दर्ज कराते हैं.