'सिखों को पगड़ी पहनने का अधिकार नहीं', बुरे फंसे राहुल गांधी, इलाहाबाद हाईकोर्ट से लगा तगड़ा झटका
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने एक बयान में कहा था कि भारत में सिखों को पगड़ी और कड़ा पहनने का अधिकार नहीं है. ना ही उन्हें गुरुद्वारा में जाने की इजाजत है. इस मामलें पर अब हाईकोर्ट से राहुल गांधी को झटका लगा है.
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सिखों की पगड़ी पर बयान देना राहुल गांधी को भारी पड़ गया है. HC ने एमपी एमएलए कोर्ट द्वारा निगरानी याचिका स्वीकार करने के खिलाफ दायर राहुल की याचिका को खारिज कर दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहुल गांधी को झटका
रायबरेली से कांग्रेस सांसद व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को एक भड़काऊ बयान मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया जो एमपी एमएलए कोर्ट द्वारा निगरानी याचिका स्वीकार करने के खिलाफ दायर की गई थी.
जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद 3 सितंबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था. राहुल गांधी ने वाराणसी के स्पेशल जज एमपी/एमएलए कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी. राहुल गांधी की याचिका खारिज होने के बाद अब वाराणसी की एमपी/एमएलए कोर्ट में निगरानी याचिका पर आगे सुनवाई जारी रहेगी. इसे राहुल गांधी के लिए झटका माना जा रहा है.
धर्म विशेष की भावनाओं को भड़काने का आरोप
सांसद राहुल गांधी के अमेरिका दौरे पर दिए गए एक बयान पर आरोप है कि उसने एक धर्म विशेष की भावनाओं को भड़काया है. मामले में कहा गया है कि इस बयान से सिख सम्प्रदाय के करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं.
राहुल ने कहा था कि भारत में सिखों को पगड़ी और कड़ा पहनने का अधिकार नहीं है. ना ही उन्हें गुरुद्वारा में जाने की इजाजत है. 28 नवंबर 2024 को दाखिल की गई इस याचिका को एमपी/एमएलए कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया था. इसके बाद नागेश्वर मिश्रा ने वाराणसी सत्र न्यायालय में निगरानी याचिका दाखिल की, जिसे 21 जुलाई 2025 को स्पेशल जज ने स्वीकार कर लिया था.
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राहुल गांधी ने इसी आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. 3 सितंबर को सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. राहुल गांधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका में यह मांग की है कि आपराधिक पुनरीक्षण (Criminal Revision) संख्या-61/2025 में धारा 147, 148 एवं 152 के तहत वाराणसी के थाना सारनाथ में हाईकोर्ट के समक्ष हाल में आपराधिक पुनरीक्षण के लंबित रहने तक वाराणसी के अपर सत्र न्यायाधीश की ओर से 21 जुलाई को पारित आदेश पर रोक लगाई जाए या हाईकोर्ट ऐसा कोई अन्य आदेश पारित करे जिसे न्यायालय पुनरीक्षण के तथ्यों एवं परिस्थितियों के आधार पर उचित समझे. याचिका में राज्य सरकार और शिकायतकर्ता नागेश्वर मिश्रा को प्रतिवादी बनाया गया था. लेकिन HC ने इसे खारिज कर दिया है अब जिला अदालत में ये मामला जारी रहेगा.
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