मुनीर की कठपुतली है शहबाज... तालिबान ने खोली PAK सेना और सरकार के बीच खाई की पोल, दोगलेपन को लेकर जबरदस्त घेरा
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच खाई की पोल खोल दी है. तालिबान हुकूमत के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने दावा किया है कि अमेरिका पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान में ड्रोन ऑपरेशन कर रहा है. उन्होंने एक तरह से शहबाज शरीफ को आसिम मुनीर की कठपुतली करार दिया है.
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल के दिनों में खूनी झड़पें हुईं, दोनों तरफ जान का नुकसान हुआ. भीषण जंग के बाद इस्लामी मुल्कों मसलन कतर, सऊदी अरब और तुर्की के बीच में पड़ने और मध्यस्थता के बाद पाक और तालिबान सरकार के बीच सीजफायर पर सहमति बनी, लेकिन कागज पर दर्ज शांति वार्ता जमीन पर कोई बड़ी सफलता हासिल करने में असफल रही है. इसी बीच दोनों देशों के बीच बंद कमरे में हुई बातचीत को लेकर बड़े खुलासे हुए हैं. इसने पूरी दुनिया के कान खड़े कर दिए हैं. इसने दक्षिण एशियाई देशों में चिंता बढ़ा दी है.
दावा किया जा रहा है कि बगराम एयरबेस को लेकर पहले से तालिबान हुकूमत से चिढ़ा अमेरिका पाकिस्तानी हवाई सीमा का इस्तेमाल कर अफगानिस्तान पर हवाई हमले कर रहा था, और पाकिस्तान की या तो उसमें सहमति थी या वो वाशिंगटन को रोकने में असमर्थ रहा.
सरकार शहबाज की, कंट्रोल मुनीर के पास: तालिबान
वहीं अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार के अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान वैसे तो सरकार शहबाज शरीफ और सहयोगियों की है, लेकिन कंट्रोल पूरी तरह आसिम मुनीर के हाथों में चली गई है. मुनीर सिविलियन सरकार को किनारे कर काबुल के साथ तनाव बढ़ा रहे हैं.
पाक-अमेरिका के बीच सीक्रेट ड्रोन डील!
इसी बीच खबर सामने आ रही है कि पाकिस्तान ने अमेरिका को अपनी हवाई सीमा के इस्तेमाल की इजाज़त दे दी है. इतना ही नहीं पाकिस्तान ने USA को अफगानिस्तान के खिलाफ ड्रोन ऑपरेशन चलाने की हरी झंडी दे दी है.
शहबाज-ट्रंप की मीटिंग में मुनीर क्यों?
तालिबान हुकूमत के साथ-साथ कूटनीतिक मामलों के जानकारों ने शहबाज शरीफ और डोनाल्ड ट्रंप के बीच बीते दिनों हुई मीटिंग में आसिम मुनीर की मौजूदगी पर सवाल उठाए हैं. सवाल उठे कि सैन्य प्रमुख यानी कि सेना के अध्यक्ष को दो डेमोक्रेटिक लीडर्स के बीच हो रही बैठक में क्यों बुलाया गया, क्या मकसद थे और क्या डील हुई? आपको मालूम होगा कि बीते दिनों अपने लंदन दौरे के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से बगराम एयरबेस लेने की इच्छा जताई थी.
तालिबान ने खोली पाक-अमेरिका के गुप्त समझौते की पोल
तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने दावा किया है कि अमेरिका पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान में ड्रोन ऑपरेशन कर रहा है. इतना ही नहीं उन्होंने दावा किया कि पाक ने किसी विदेशी, गुप्त समझौते के तहत इसे रोकने में असमर्थता जताई. उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तानी फौज में कई धड़े हैं, इसका एक गुट विदेशी ताकतों के इशारे और सांठगांठ से काबुल और इस्लामाबाद के बीच तनाव बढ़ाए रखना चाह रहा है. जबकि पाकिस्तान की सरकार दोनों देशों के रिश्ते में बेहतरी चाहती है.
तालिबान सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इधर पाकिस्तान के विशेष दूत सादिक खान काबुल में बातचीत कर रहे थे, बैठक सकारात्मक रूप से आगे बढ़ भी रही थी, उधर पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमले कर दिए. उन्होंने दावा किया कि सिविलियन सरकार रिश्तों को तो बेहतर करना चाहती है जबकि सेना इन्हें खराब करती है. उन्होंने कहा कि पूर्व पीएम इमरान खान के समय में पाक-अफगान सरकार के बीच रिश्ते बेहतर थे.
पाकिस्तान से अफगानिस्तान पर ड्रोन हमले कर रहा अमेरिका!
आपको बताएं कि पाक और अफगान के रिश्ते फिर से पुराने दौर में पहुंच रहे हैं. अमेरिका के वॉर ऑन टेरर के दौर में भी अफगानिस्तान के अंदर अमेरिकी और संयुक्त फोर्सेज की कार्रवाई पाकिस्तान की जमीन से ही होते थे, जो दोनों देशों के बीच तनाव की मुख्य वजहों में से एक थी. अब वही कुछ फिर से हो रहा है. दावों केे मुताबिक अमेरिका फिर से काबुल और इस से सटे इलाकों में ड्रोन ऑपरेशन कर रहा है. इसके लिए पाकिस्तानी हवाई सीमा और जमीन का इस्तेमाल कर रहा है. यानी कि अब दोनों देशों के बीच ड्रोन विवाद अब बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.
तालिबान ने शहबाज सरकार को बता दिया कठपुतली
तालिबान का आरोप है कि अमेरिकी ड्रोन बिना अनुमति के अफगानी सरजमीं पर उड़ रहे हैं और पाकिस्तान दलील दे रहा है कि उसे रोकना उसके बस में नहीं है, वो इन्हें नहीं रोक सकता. वहीं पाकिस्तान का दावा है कि तालिबान सरकार टीटीपी आतंकियों को पनाह दे रही है.
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कुल मिलाकर देखा जाए तो इस पूरे तनाव के बाद पाकिस्तान की सिविल-मिलिट्री रिलेशंस यानी कि सेना और सरकार के बीच रिश्तों में अफगानिस्तान के साथ संबंधों और अमेरिकी डॉलर के मुद्दे पर फिर से दरार सामने आ रही है. मुजाहिद के आरोपों की मानें तो पाकिस्तान का असली नियंत्रण सेना के पास है और शहबाज शरीफ की सरकार उसकी कठपुतली है यानी औपचारिक चेहरा.
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