टोल पर छंटे हुए गुंडे कर रहे काम...हो 'जड़-मूल समेत नाश'...सेना के जवान के साथ पिटाई पर खौल गया वकील अश्विनी उपाध्याय का खून, खोल दिया मोर्चा
मेरठ के भुनी टोल प्लाज़ा पर भारतीय सेना के जवान के साथ हुई मारपीट पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने मोर्चा खोल दिया है और माफियाओं से भरे पूरे टोल सिस्टम की पोल खोलनी शुरू कर दी है. उन्होंने इसको अंजाम तक पहुंचाने की बात कही है.
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मेरठ के भुनी टोल प्लाज़ा पर भारतीय सेना के जवान कपिल के साथ हुई मारपीट की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है. देश की रक्षा करने वाला जवान, जो ऑपरेशन सिंदूर जैसे अहम सैन्य मिशन में भाग ले चुका है, जब छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौट रहा था, तब टोल कर्मियों द्वारा उसके साथ की गई बदसलूकी और मारपीट न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान का भी सीधा अपमान है. यह घटना कैमरे में कैद हुई, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ और जनता का गुस्सा उफान पर आ गया. अब इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने मोर्चा संभालते हुए न सिर्फ पीड़ित जवान के साथ मजबूती से खड़े हो गए हैं बल्कि पूरे टोल सिस्टम पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक सैनिक की पिटाई नहीं है, बल्कि यह पूरे राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र की असफलता का प्रतीक है. अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि जब नागरिक पहले ही हर चीज़ पर टैक्स चुका रहे हैं, तो फिर टोल के नाम पर बार-बार वसूली का औचित्य क्या है? उन्होंने साफ तौर पर कहा, "अब समय आ गया है कि देशभर के टोल प्लाज़ा या तो फ्री किए जाएं या एक ऐसी पारदर्शी, डिजिटल और नागरिक-सम्मानक व्यवस्था लागू की जाए, जो इस तरह की घटनाओं पर पूरी तरह रोक लगाए." उन्होंने देश से टोल सिस्टम को ही खत्म करने की मांग की है.
उपाध्याय ने पूरे व्यवस्था की पोल खोलते हुए कहा है कि आज आपने कंपनी का ठेका रद्द किया है, ब्लैक लिस्ट किया है, बिडिंग से रोका है, कल जाके वो दूसरी जगह बोली लगाएंगे, नाम, पता बदल लेंगे, फिर क्या करेंगे. उन्होंने NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केवल जुर्माना लगाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इन्हें जड़ मूल समेत नाश किया जाए. उपाध्याय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सरकार इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाती, तो वे इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में ले जाकर जनहित याचिका दायर करने से पीछे नहीं हटेंगे. उनके इस रुख के बाद सोशल मीडिया पर भी यह बहस छिड़ गई है कि क्या अब देश में टोल सिस्टम को खत्म कर देने का समय आ गया है? कई लोग उनके साथ सहमति जताते हुए लिख रहे हैं कि जब सैनिक सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों का क्या होगा? देश के करोड़ों लोगों को रोज़ टोल का सामना करना पड़ता है, जहां न सिर्फ पैसे वसूले जाते हैं, बल्कि कई बार दुर्व्यवहार भी झेलना पड़ता है.
इस बीच, NHAI ने टोल प्लाज़ा पर कार्रवाई करते हुए संबंधित कंपनी पर ₹20 लाख का जुर्माना लगाया है, पर विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम सिर्फ “डैमेज कंट्रोल” है. लोगों की मांग है कि इस पूरे सिस्टम की समीक्षा हो और एक नया मॉडल तैयार किया जाए जिसमें सुरक्षा, सम्मान और सुविधा—तीनों की गारंटी हो. सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय का यह हस्तक्षेप न सिर्फ कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जनता की भावनाओं को भी मज़बूती से आवाज़ दे रहा है. अब देखना यह होगा कि सरकार इस आवाज़ को किस गंभीरता से लेती है—क्या टोल सिस्टम में कोई बड़ा बदलाव होगा, या एक और मामला जल्द ही भुला दिया जाएगा?
वकील अश्विनी उपाध्याय ने पूरे मामले पर और क्या कहा है, जानें, वीडियो नीचे है!
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