'विचारधारा नहीं, नंबर से चलती है राजनीति...', CM फडणवीस ने बिहार चुनाव में बुरी तरह हारे प्रशांत किशोर को दी सियासी नसीहत
बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर को करारी हार मिली है, पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. इसी पर महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राजनीति सिर्फ विचारधारा से नहीं चलती, इसके लिए नंबर यानी जनप्रतिनिधियों की ताकत जरूरी होती है. उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर ने विचारधारा पर जोर दिया, लेकिन जमीन पर समर्थन नहीं जुटा पाए.
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बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की करारी हार के बाद राजनीतिक गलियारों में नई बहस छिड़ गई है. पहली बार मैदान में उतरे चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की पार्टी ने 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे. पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही. यह न सिर्फ प्रशांत किशोर के लिए झटका है बल्कि उन तमाम समर्थकों के लिए भी सवाल खड़ा करता है जो उन्हें एक नए राजनीतिक विकल्प के रूप में देखते रहे थे. इसी बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने प्रशांत किशोर को एक अहम सलाह दी है.
देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के सीएम फडणवीस ने पीके (Prashant Kishor) को नसीहत देते हुए कहा कि राजनीति सिर्फ विचारधारा से नहीं चलती. लोकतंत्र चलाने के दो तरीके हैं. विचारधारा और नंबर. और बिना नंबर के विचारधारा को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. फडणवीस के मुताबिक प्रशांत किशोर ने विचारधारा पर भले ही बड़ी बात की हो, लेकिन जनता ने उन्हें इतना समर्थन नहीं दिया कि वे एक भी सीट जीत पाते. उनका कहना है कि राजनीति में व्यवहारिक होना जरूरी है. प्रासंगिक बने रहने के लिए नंबर यानी जनप्रतिनिधियों की संख्या आपके साथ होनी चाहिए. तभी आपकी बात सुनी जाती है और तभी आपकी विचारधारा असर दिखा पाती है.
फडणवीस ने याद दिलाया 1990 का दौरा
देवेंद्र फडणवीस ने आगे गठबंधन की राजनीति पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि विचारधारा भले ही अलग हो, लेकिन एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत सरकारें सहजता से चल सकती हैं. उन्होंने याद दिलाया कि 1990 के दशक में देश को छह अलग-अलग प्रधानमंत्री देखने पड़े थे. तब गठबंधन राजनीति अपने शुरुआती दौर में थी. वहीं आज गठबंधन राजनीति काफी परिपक्व हो चुकी है. फडणवीस खुद एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं. इससे पहले करीब दो साल तक वह शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम भी रहे थे. 2014 से 2019 तक वह पांच साल तक गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री रहे. ऐसे में गठबंधन की बारीकियों को समझने का उनका लंबा अनुभव है.
क्यों खास है फडणवीस का बयान?
मुंबई के निकाय चुनाव भी नजदीक हैं और वहां गठबंधन रहेगा या नहीं, इस पर चर्चाएं जारी हैं. इसी माहौल में फडणवीस का यह बयान राजनीतिक दृष्टि से खास मायने रखता है. उन्होंने साफ कहा कि राजनीति में सफलता के लिए जमीनी ताकत जरूरी है. विचारधारा तभी सफल होती है जब जनता उसे नंबरों में बदलकर आपके साथ खड़ी हो. उधर बिहार में प्रशांत किशोर की राजनीतिक पारी की शुरुआत बेहद फीकी रही है. उनकी पार्टी को इतने वोट भी नहीं मिल पाए कि वह राज्य की मान्यता प्राप्त पार्टी बन सके. चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार किसी पार्टी को मान्यता के लिए कम से कम छह फीसदी वोट हासिल करने होते हैं. प्रशांत किशोर इस आंकड़े से काफी दूर रह गए.
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बहरहाल, बिहार चुनाव नतीजों ने एक बात स्पष्ट कर दी है कि राजनीति का मैदान सिर्फ रणनीति से नहीं जीता जाता. विचारधारा की चमक तभी दिखती है जब जनता आपका साथ देने के लिए तैयार हो. और इसके लिए जरूरी है नंबर, संगठन और समय के साथ संबंधित रहना.
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