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सर्द मौसम में बढ़ेगी सियासी गर्मी... संसद के शीतकालीन सत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच होगा टकराव, सरकार पेश करेगी 10 बड़े विधेयक

दिल्ली की सर्दी के बीच संसद का माहौल गर्म होने वाला है क्योंकि 1 दिसंबर से शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है. केवल 15 कार्य दिवसों वाले इस सत्र में मोदी सरकार 10 बड़े विधेयक पेश करेगी. सबसे ज्यादा ध्यान परमाणु ऊर्जा विधेयक 2025 पर है, जो निजी कंपनियों के लिए असैन्य परमाणु क्षेत्र खोलने का प्रावधान करता है.

23 Nov, 2025
( Updated: 04 Dec, 2025
12:32 AM )
सर्द मौसम में बढ़ेगी सियासी गर्मी... संसद के शीतकालीन सत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच होगा टकराव, सरकार पेश करेगी 10 बड़े विधेयक
Parliament Session

Parliament Winter Session 2025: देश की राजधानी दिल्ली में ठंडी हवा भले ही रफ्तार पकड़ चुकी हो और लोग सर्दी से बचने के नए तरीके तलाश रहे हों, लेकिन सियासी माहौल इसके बिल्कुल विपरीत गर्म होने वाला है. वजह है 1 दिसंबर से शुरू होने वाला संसद का शीतकालीन सत्र. महज 15 कार्य दिवसों का यह सत्र आकार में छोटा जरूर है, लेकिन इसका एजेंडा इतना व्यापक है कि राजनीतिक गलियारों में हलचल अभी से तेज हो गई है. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक, सभी दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं.

मोदी सरकार 10 अहम विधेयक करेगी पेश

केंद्र सरकार ने इस सत्र के लिए अपना खाका तैयार कर लिया है. कुल 10 महत्वपूर्ण विधेयक एजेंडे में शामिल हैं, लेकिन सबसे अधिक चर्चा जिस बिल को लेकर है वह है परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025. यह बिल भारत के असैन्य परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए आंशिक रूप से खोलने का रास्ता साफ कर सकता है. सरकार का कहना है कि वैश्विक तकनीक, निवेश और सुरक्षित परमाणु उपयोग की दिशा में यह कानून जरूरी है. भारत पहले से ही नई ऊर्जा क्षमता बढ़ाने की चुनौती से जूझ रहा है और ऐसे में यह बिल ऊर्जा सुरक्षा के नजरिए से भी अहम साबित हो सकता है. साथ ही सरकार उच्च शिक्षा आयोग विधेयक भी सत्र में पेश करने जा रही है. लोकसभा बुलेटिन के मुताबिक यह कानून विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अधिक स्वायत्तता देगा. इसका उद्देश्य एक ऐसा ढांचा खड़ा करना जो भारत की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक, पारदर्शी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप बना सके. नई शिक्षा नीति के बाद यह कानून उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है.

विपक्ष की रणनीति तैयार

विपक्ष भी इस सत्र को हल्के में लेने के मूड में नहीं है. बिहार चुनाव के नतीजों से लेकर एसआईआर मुद्दे तक, कई ऐसे विषय हैं जिन पर विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश करेगा. विपक्ष के नेताओं का कहना है कि चुनाव आयोग के कामकाज पर भी संसद में चर्चा होनी चाहिए. हालांकि सरकार का स्पष्ट रुख है कि चुनाव आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था है और उसके कामकाज पर सीधे सवाल उठाना उचित नहीं है. देश में चार महीने बाद पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में यह सत्र राजनीतिक रूप से और भी संवेदनशील माना जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि यह सत्र चुनावी हवा को और तेज कर सकता है. एक तरफ विपक्ष आरोपों की बौछार करने की तैयारी में है, वहीं सरकार इस बहस के बीच यह बताना चाहती है कि उसके पास ठोस विधायी काम है जो देश के विकास की दिशा तय करेगा.

उच्च शिक्षा को नया ढांचा देंगे नए कानून

सरकार इस सत्र में राष्ट्रीय उच्च शिक्षा आयोग बनाने वाला बिल लाने जा रही है. इसका मकसद है ऐसे विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान तैयार करना जो अधिक स्वतंत्र हों और अपने स्तर पर उत्कृष्टता हासिल कर सकें. बुलेटिन में कहा गया है कि यह आयोग भविष्य में पारदर्शिता और गुणवत्ता दोनों को बढ़ावा देगा. इस कदम को उच्च शिक्षा के ढांचे में परिवर्तनकारी बदलाव माना जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह बिल विश्वविद्यालयों के कामकाज को आधुनिक और कुशल बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा.

सड़क, कारोबारी और वित्तीय सुधार भी सरकार का फोकस

सरकार केवल शिक्षा पर ही नहीं, बल्कि विकास से जुड़े अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है. इस सत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग संशोधन विधेयक पेश होगा. लक्ष्य है हाईवे निर्माण से जुड़ी जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाना. अक्सर जमीन से जुड़े विवादों के कारण प्रोजेक्ट अटक जाते हैं और समय व बजट दोनों बढ़ जाते हैं. नए संशोधनों का उद्देश्य है कि इस प्रक्रिया को सरल बनाया जाए ताकि इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की रफ्तार बढ़ सके. इसके अलावा सरकार कॉरपोरेट कानून संशोधन विधेयक 2025 भी लेकर आएगी. इसमें कंपनी अधिनियम 2013 और एलएलपी अधिनियम 2008 में बदलाव किए जाएंगे. सरकार का दावा है कि इन संशोधनों से भारत में व्यवसाय करना आसान होगा और निवेश आकर्षित होगा. स्टार्टअप्स और नए उद्यमियों के लिए यह महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है.

एक ढांचे में होंगे तीन पुराने कानून

शीतकालीन सत्र में एक और बड़ा बिल है प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक, 2025. अभी भारत का प्रतिभूति बाजार तीन अलग-अलग कानूनों के जरिए संचालित होता है. SEBI अधिनियम 1992, डिपॉजिटरी अधिनियम 1996 और प्रतिभूति अनुबंध अधिनियम 1956. नया बिल इन तीनों को समेटकर एक तार्किक और एकीकृत ढांचा तैयार करेगा. सरकार का कहना है कि इससे बाजार नियमन आसान होगा और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा. विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यह कदम भारतीय बाजार को वैश्विक मानकों के और करीब ले जाएगा.

मध्यस्थता और सुलह कानून में भी बड़े बदलाव

सरकार मध्यस्थता और सुलह कानून में बदलाव की तैयारी में है. धारा 34 में संशोधन और सुप्रीम कोर्ट की कुछ टिप्पणियों के बाद यह मुद्दा समिति के पास भेजा गया था. अब सरकार इसे आगे बढ़ाने के लिए तैयार है. लक्ष्य है कि कानूनी प्रक्रियाओं को और सरल और समयबद्ध बनाया जाए. ट्रिब्यूनल और अदालतों में लटके मामलों की संख्या को देखते हुए यह बदलाव बेहद आवश्यक माना जा रहा है.

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बताते चलें कि इस सेशन में सरकार कई ऐतिहासिक और दूरगामी विधेयक पेश करने की तैयारी में है. विपक्ष भी अपनी रणनीति के साथ मैदान में उतर चुका है. ऐसे में यह सत्र राजनीति ही नहीं, बल्कि शिक्षा, ऊर्जा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और वित्तीय व्यवस्था के भविष्य पर भी गहरा असर डालने वाला है. 

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