SDRF, NDRF और सेना को PM मोदी का सैल्यूट… उत्तराखंड सहित देशभर में आई आपदा से निपटने में जुटे जवान, प्रधानमंत्री ने की तारीफ
रविवार को रेडिया कार्यक्रम 'मन की बात' के 125वें एपिसोड में पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा ने हर हिंदुस्तानी को दुखी किया है. जिन परिवारों ने अपने प्रियजन खोए, उनका दर्द हम सबका दर्द है. मौके पर पीएम मोदी ने आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों में जुटे सेना, SDRF और NDRF समेत तमाम बचाव दलों की प्रशंसा की.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बारिश के मौसम में देश के कुछ हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदाओं पर दुख व्यक्त किया है. रविवार को रेडिया कार्यक्रम 'मन की बात' के 125वें एपिसोड में पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा ने हर हिंदुस्तानी को दुखी किया है. जिन परिवारों ने अपने प्रियजन खोए, उनका दर्द हम सबका दर्द है.
‘लोगों का जीवन संकट में फंस गया…’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मानसून के इस मौसम में प्राकृतिक आपदाएं देश की कसौटी कर रही हैं. पिछले कुछ हफ्तों में हमने बाढ़ और भूस्खलन का बड़ा कहर देखा है. कहीं घर उजड़ गए, कहीं खेत डूब गए. इन घटनाओं में परिवार के परिवार उजड़ गए. पानी के तेज बहाव में कहीं पुल बह गए और सड़कें बह गईं, लोगों का जीवन संकट में फंस गया.
पीएम ने की सेना, SDRF और NDRF की प्रशंसा
प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों में जुटे सेना, SDRF और NDRF समेत तमाम बचाव दलों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि जहां भी संकट आया, वहां के लोगों को बचाने के लिए हमारे SDRF और NDRF के जवान और अन्य सुरक्षा बल हर कोई दिन-रात जुटे रहे. जवानों ने तकनीक का सहारा भी लिया है. थर्मल कैमरे, लाइव डिटेक्टर, और स्निफर डॉग्स की मदद के साथ ड्रोन से निगरानी की गई. ऐसे अनेक आधुनिक संसाधनों के सहारे राहत कार्य में तेजी लाने की भरपूर कोशिश की गई. हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई गई, और घायलों को एयरलिफ्ट किया गया.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आगे कहा, "आपदा की घड़ी में सेना मददगार बनकर सामने आई. स्थानीय लोग, सामाजिक कार्यकर्ता, डॉक्टर, और प्रशासन, संकट की इस घड़ी में सभी ने हर संभव प्रयास किया." इस दौरान प्रधानमंत्री ने हर उस नागरिक का हृदय से धन्यवाद किया, जिन्होंने आपदा के समय मानवीयता को सबसे ऊपर रखा.
उत्तराखंड में कुदरत का कहर
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अगस्त का महीना उत्तराखंड के लिए आफत लेकर आया. महीने में आपदा की शुरूआत उत्तरकाशी जिले के धराली से शुरू हुई. पांच अगस्त को धराली में जलप्रलय आई. जिसमें यहां का पूरा बाजार समा गया. खीरगाड़ में भीषण बाढ़ से 4 लोगों की मौत हुई. कई लोगों के मलबे में दब गये.
धराली आपदा के अगले ही दिन पौड़ी जिले में भी बादल फटा और भारी बारिश से सैंजी, रैदुल समेत कई गांवों में भूस्खलन हुआ, जिससे मकान और खेती की जमीन तबाह हो गई.
इतना ही नहीं श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुये केदारनाथ धाम यात्रा स्थगित की गई. 6 अगस्त के बाद 15 अगस्त तक कई बार केदारनाथ धाम की यात्रा रोकनी पड़ी.
21 अगस्त को उत्तरकाशी के स्यानाचट्टी में झील का जलस्तर बढ़ने से कस्बा डूब गया, वहीं 22 अगस्त की रात चमोली के थराली क्षेत्र में अतिवृष्टि से चेपड़ों गांव बुरी तरह प्रभावित हुआ और सड़कें टूटने पर रेस्क्यू के लिए हेलीपैड बनाना पड़ा.
28 अगस्त की रात रुद्रप्रयाग के बसुकेदार में बादल फटने से छेनागाड़ बाजार मलबे में तब्दील हो गया, 18 भवन दब गए और 8 लोग लापता हैं.
अलकनंदा नदी के उफान से धारी देवी मंदिर व आसपास का इलाका जलमग्न हो गया, मंदिर के पिलर और श्रीनगर के घाट डूब गए, देवप्रयाग संगम भी पानी में समा गया.
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