लाल किले से पीएम मोदी ने पहली बार किया RSS का जिक्र, कहा- संघ की 100 वर्षों की यात्रा पर देश को गर्व; जानिए इस बयान के मायने
Independence Day 2025 Highlights: 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से संबोधन में पीएम मोदी ने पहली बार आरएसएस का ज़िक्र करते हुए उसकी 100 साल की सेवा भावना की सराहना की और इसे राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा बताया.
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देश ने आज़ादी के 79 साल पूरे होने का जश्न धूमधाम से मनाया जा रहा है. राजधानी दिल्ली के लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरंगा फहराकर परंपरा को निभाया और उसके बाद देशवासियों को संबोधित किया. इस बार का संबोधन कई मायनों में खास रहा. न केवल इसकी बातों ने देशवासियों के दिल को छुआ, बल्कि इसमें एक ऐसा उल्लेख भी हुआ जो पीएम मोदी ने अपने लाल किले से दिए गए किसी भी पिछले भाषण में कभी नहीं किया था. यह जिक्र था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सेवा भावना का. पीएम मोदी ने डंके की चोट पर आरएसएस जमकर प्रशंसा की.
भाषण में आरएसएस का जिक्र
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, "आज मैं बहुत गर्व के साथ एक बात का जिक्र करना चाहता हूं. आज से 100 साल पहले एक संगठन का जन्म हुआ था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ. 100 साल तक राष्ट्र की सेवा एक बहुत ही गौरवपूर्ण स्वर्णिम पृष्ठ है." उन्होंने आगे कहा कि व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का संकल्प लेकर संघ ने मां भारती के कल्याण का लक्ष्य अपनाया और हजारों स्वयंसेवकों ने अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया. प्रधानमंत्री ने आरएसएस की पहचान सेवा, समर्पण, संगठन और अनुशासन को दुनिया में अद्वितीय बताया. उन्होंने इसे "दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ" कहते हुए इसके 100 साल के समर्पण के इतिहास को सम्मानपूर्वक याद किया. लाल किले से उन्होंने कहा, "मैं आज इस राष्ट्र सेवा की यात्रा में योगदान देने वाले सभी स्वयंसेवकों को आदरपूर्वक स्मरण करता हूं और देश गर्व करता है इस 100 साल की भव्य समर्पित यात्रा पर. यह हमेशा प्रेरणा देता रहेगा."
आरएसएस की यात्रा एक सदी की यात्रा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी. इसका मुख्य उद्देश्य था हिंदू समाज को संगठित करना, राष्ट्रीय चेतना को जागृत करना और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना. शुरुआती दौर में संघ ने शाखाओं के माध्यम से स्वयंसेवकों को शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से प्रशिक्षित किया. ऐसे में धीरे-धीरे इसका प्रभाव पूरे भारत में फैलता गया. संघ का काम केवल शाखाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सेवा कार्यों के माध्यम से सक्रिय रहा. बाढ़, भूकंप या किसी प्राकृतिक आपदा के समय आरएसएस के स्वयंसेवकों को राहत और बचाव कार्य में सक्रिय देखा गया है. यही वजह है कि इसे सेवा, अनुशासन और संगठन का पर्याय माना जाता है.
सेवा की परंपरा और पहचान
पीएम मोदी के भाषण में आरएसएस का जिक्र इस बात का संकेत है कि 100 साल की यह यात्रा केवल संगठनात्मक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज में सेवा की भावना को गहराई से स्थापित करती है. संघ के हजारों स्वयंसेवक गांवों, कस्बों और शहरों में बिना किसी राजनीतिक लाभ की अपेक्षा के समाज सुधार और मदद के कार्यों में जुटे रहते हैं. पीएम मोदी का यह कहना कि "आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है" एक तरह से इसकी व्यापकता और पहुंच का प्रमाण है. 100 साल के इस सफर में संघ ने शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में अपनी अहम भूमिका निभाई है.
लाल किले से पहली बार ऐसी सराहना
स्वतंत्रता दिवस का भाषण किसी भी प्रधानमंत्री के लिए केवल औपचारिकता नहीं होता, बल्कि यह देश की दिशा, नीतियों और प्राथमिकताओं को तय करने वाला संदेश भी होता है. पीएम मोदी ने पहली बार लाल किले की प्राचीर से सार्वजनिक रूप से आरएसएस की सेवा भावना की प्रशंसा की. यह न केवल एक ऐतिहासिक उल्लेख है, बल्कि संघ के योगदान को राष्ट्रीय मंच पर मान्यता देने जैसा भी है.
प्रधानमंत्री का महत्वपूर्ण संदेश
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने यह स्पष्ट किया कि राष्ट्र निर्माण की नींव व्यक्ति निर्माण से शुरू होती है. यही सिद्धांत आरएसएस के मूल में है. संघ का प्रशिक्षण केवल शारीरिक शक्ति या अनुशासन पर आधारित नहीं है, बल्कि यह आत्मिक और वैचारिक मजबूती भी देता है. इसीलिए पीएम मोदी ने इसे "मां भारती के कल्याण का लक्ष्य लेकर चलने वाला संगठन" बताया.
कांग्रेस ने दी प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में आरएसएस की सराहना पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी का कहना है कि पीएम मोदी 75 साल की उम्र पार करने के बाद भी प्रधानमंत्री बने रहने की इच्छा रखते हैं, और इसी कारण वे इस तरह खुलकर संघ की तारीफ कर रहे हैं. बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 के पहले एक बार बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरएसएस को लेकर बयान दिया था कि उस दौरान उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि पहले हम थोड़ा कम थे तो हमें संघ की जरूरत थी लेकिन अब हम सक्षम हैं" इसके बाद आरएसएस की नाराज़गी का कई जगह बीजेपी को खामियाजा उठाना पड़ा था.
मोहन भागवत के बयान से बढ़ी अटकलें
दरअसल, कुछ समय पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सुझाव दिया था कि सार्वजनिक जीवन में काम करने वाले लोग 75 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद सेवानिवृत्ति पर विचार करें. संयोग से प्रधानमंत्री मोदी 17 सितंबर को 75 वर्ष के होने वाले हैं. इस बयान के बाद कांग्रेस लगातार यह संकेत दे रही है कि भागवत का इशारा मोदी के राजनीतिक भविष्य और रिटायरमेंट की ओर था.
देश की प्रतिक्रिया
पीएम मोदी के इस बयान पर सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आईं. समर्थकों ने इसे संघ की 100 साल की सेवा के प्रति सम्मान का प्रतीक माना, वहीं राजनीतिक हलकों में भी इसपर चर्चा छिड़ गई. कई लोगों ने इसे प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत विचारधारा और संगठनात्मक पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ कदम बता रहे हैं, तो कई ने इसे स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर पर सेवा भावना को उजागर करने का स्वागत किया.
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