Advertisement

BRICS की मीटिंग से PM मोदी ने बनाई दूरी, वजह क्या है? ट्रंप के बदले सुर या भारत की पुरानी रणनीति- क्या है इसके पीछे की कूटनीति, जानें

ट्रंप का सुर बदलना मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की हालिया मुलाकात का नतीजा है. SCO शिखर सम्मेलन में तीनों नेताओं की हंसी-मजाक और हाथ थामे तस्वीरें वॉशिंगटन के लिए सीधा संदेश थीं कि वैश्विक ध्रुवीकरण अब बदल रहा है. इसी के बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “हमने भारत और रूस को सबसे गहरे, अंधेरे चीन के हाथों खो दिया है.” इसी बीच पीएम मोदी ने BRICS की बैठक से दूरी बनाकर चीन और अमेरिका दोनों को संदेश दिया है.

Created By: केशव झा
09 Sep, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
07:59 PM )
BRICS की मीटिंग से PM मोदी ने बनाई दूरी, वजह क्या है? ट्रंप के बदले सुर या भारत की पुरानी रणनीति- क्या है इसके पीछे की कूटनीति, जानें
Image: BRICS (File Photo)

ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी ने पूरी दुनिया को हिलाकर रखा है. इसी को देखते हुए हाल में ही तियानजिन में संपन्न हुए SCO समिट पर पूरी दुनिया की नजर रही. इस मीटिंग की सबसे बड़ी सुर्खी थे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. उन्होंने अपने इस दौरे के जरिए वॉशिंगटन को सख्त चेतावनी दी कि वो किसी के दबाव में नहीं झुकेगा और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति से कोई समझौता नहीं करेगा. अब इसी कड़ी में एक और बड़ी बैठक होने जा रही है और भारत इसका फाउंडिंग मेंबर है.

दरअसल ब्राज़ील की मेजबानी में BRICS की एक उच्चस्तरीय वर्चुअल बैठक हो रही है. इसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी शामिल हो रहे हैं. इसमें डोनाल्ड ट्रंप की हालिया ट्रेड पॉलिसी पर चर्चा होगी. वहीं भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शामिल नहीं होंगे, बल्कि उनकी जगह एक वरिष्ठ प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. आपको बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भागीदारी की पुष्टि पहले ही क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने की थी.

ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा के इस बैठक के बुलाने के दो मकसद हैं. पहला है ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ पर चर्चा हो सके वहीं विश्व की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के प्रमुख नेताओं को मल्टीपोलर वर्ल्ड (Multilateralism) के समर्थन में एकजुट किया जाए.

ट्रंप के निशाने पर ब्रिक्स

BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के हो रहे लगातार विस्तार को ट्रंप खतरे के तौर पर देखते हैं और इसे निशाने पर भी लेते रहे हैं. जुलाई में अमेरिकी राष्ट्रपति ने धमकी दी थी कि जो भी देश BRICS की "एंटी-अमेरिकन पॉलिसीज़" से जुड़ेगा, उस पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा. उन्होंने बार-बार आलोचना की है कि BRICS देश डॉलर को दरकिनार कर अपनी मुद्रा में व्यापार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.

लेकिन ट्रंप की टैरिफ नीति ने उल्टा BRICS देशों को बीजिंग के और करीब ला दिया है. हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में शी जिनपिंग ने पुतिन और मोदी दोनों की मेज़बानी की थी. साथ ही 3 सितंबर को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ पर बीजिंग में आयोजित सैन्य परेड में उन्होंने उत्तर कोरिया के किम जोंग उन समेत कई अन्य नेताओं का भी स्वागत किया.

नई दिल्ली ने हाल के दिनों में वॉशिंगटन से रिश्तों में सावधानी भरा रुख अपनाया है, खासकर तब से जब ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद अपने तेवर कुछ नरम किए. भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने शुक्रवार को बताया कि मोदी इसमें शामिल नहीं होंगे, बल्कि भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री करेंगे.

भारत के लिए आने वाला BRICS शिखर सम्मेलन अवसरों और चुनौतियों से भरा हो सकता है. एक ओर भारत इस मंच को अन्य उभरती ताकतों के साथ मिलकर काम करने का अहम साधन मानता है, वहीं दूसरी ओर वह BRICS के भीतर ऐसे प्रस्तावों से दूरी बनाए रखता है जिन्हें सीधे तौर पर अमेरिका-विरोधी रुख, जैसे डि-डॉलराइजेशन पर बयानबाज़ी, समझा जा सकता है.

BRICS के जरिए पीएम मोदी का अमेरिका को डबल 'संदेश'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भेजने का फैसला इस बात का संकेत देता है कि भारत BRICS को महत्व तो देता है, लेकिन वॉशिंगटन को नाराज़ भी नहीं करना चाहता. यह सतर्क रणनीति भारत की व्यापक विदेश नीति को दर्शाती है, जिसका मकसद एक ओर अमेरिका के साथ गहरी साझेदारी बनाना है, वहीं दूसरी ओर रूस, चीन और ब्राज़ील के साथ सहयोग का दरवाज़ा भी खुला रखना है. डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की दोस्ती अक्सर “स्पेशल रिलेशनशिप” कहकर संबोधित किया. लेकिन हालिया घटनाक्रम इस रिश्ते में उतार-चढ़ाव को साफ दिखाता है.

50% टैरिफ लगाकर भारत को मुश्किल में डालने के बाद ट्रंप ने पिछले दिनों अचानक नरमी दिखाई. व्हाइट हाउस में उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका रिश्तों में “चिंता की कोई बात नहीं है” और पीएम मोदी को “ग्रेट प्राइम मिनिस्टर” बताते हुए दावा किया कि वे हमेशा उनके दोस्त रहेंगे. कुछ घंटों बाद मोदी ने भी एक्स पर ट्रंप की “पॉजिटिव असेसमेंट” की सराहना की, लेकिन इस बार उन्होंने ट्रंप को अपना दोस्त नहीं कहा. यही बदलाव न्यूयॉर्क और दिल्ली के बीच दूरी का संकेत माना जा रहा है.

कैसे नरम हुए ट्रंप के भारत को लेकर सुर?

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का सुर बदलना मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की हालिया मुलाकात का नतीजा है. SCO शिखर सम्मेलन में तीनों नेताओं की हंसी-मजाक और हाथ थामे तस्वीरें वॉशिंगटन के लिए सीधा संदेश थीं कि वैश्विक ध्रुवीकरण अब बदल रहा है. इसी के बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “हमने भारत और रूस को सबसे गहरे, अंधेरे चीन के हाथों खो दिया है.”

यह भी पढ़ें

फिर भी, गर्मजोशी भरे शब्दों के बावजूद अमेरिका-भारत के बड़े विवाद अब भी सुलझे नहीं हैं. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक और सलाहकार पीटर नवारो भारत पर सख्त बयानबाज़ी जारी रखे हुए हैं, जबकि मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय हित से कोई समझौता नहीं होगा.

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
'मुसलमान प्रधानमंत्री बनाने का प्लान, Yogi मारते-मारते भूत बना देंगे इनका’ ! Amit Jani
अधिक
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें