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PM, CM या हो कोई मंत्री… 30 दिन से ज्यादा जेल में रहे तो जाएगी कुर्सी, अपराध मुक्त राजनीति की ओर मोदी सरकार का बड़ा कदम, संसद में आज पेश होगा बिल

बुधवार को मोदी सरकार संसद में चार अहम बिल पेश करने जा रही है. इनमें सबसे बड़ा बिल राजनीति के अपराधीकरण पर रोक से जुड़ा है. सदन में पेश किए जाने वाले बिल के अनुसार, अगर कोई पीएम, सीएम या मंत्री गंभीर आरोप में लगातार 30 दिन तक न्यायिक हिरासत में रहता है और इस्तीफा नहीं देता, तो 31वें दिन उसका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा. इसके लिए संविधान में 113वां संशोधन होगा. केंद्र के लिए Article 75 और राज्यों के लिए Article 164 में बदलाव किया जाएगा.

20 Aug, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
06:06 AM )
PM, CM या हो कोई मंत्री… 30 दिन से ज्यादा जेल में रहे तो जाएगी कुर्सी, अपराध मुक्त राजनीति की ओर मोदी सरकार का बड़ा कदम, संसद में आज पेश होगा बिल
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देश की राजनीति के लिए आज का दिन बेहद खास माना जा रहा है. संसद में मोदी सरकार चार बड़े बिल पेश करने जा रही है, जिनका असर देश की राजनीति, प्रशासन और समाज पर गहराई से पड़ेगा. इन बिलों में सबसे अहम है राजनीति के अपराधीकरण पर रोक लगाने वाला बिल, जिसके तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री तक इसके दायरे में आएंगे. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन अमेंडमेंट बिल, गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरी अमेंडमेंट बिल और ऑनलाइन गेमिंग रेगुलेशन बिल भी पेश किए जाएंगे. माना जा रहा है कि इस पर संसद में जमकर बहस और हंगामा होगा.
 

मंत्रियों की अनिवार्य बर्खास्तगी का बिल

सरकार संविधान में 113वां संशोधन करने जा रही है. इसके तहत अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री पांच साल या उससे ज्यादा सजा वाले अपराध में लगातार 30 दिन तक न्यायिक हिरासत में रहता है और इस्तीफा नहीं देता, तो 31वें दिन से उसका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा.

  • केंद्र स्तर पर इसके लिए Article 75 में संशोधन होगा.
  • राज्यों के लिए Article 164 में संशोधन किया जाएगा.
  • दिल्ली जैसे केंद्र शासित प्रदेशों पर भी यही नियम लागू होंगे.

मोदी सरकार का इस बिल को लाने का साफ मकसद साफ है. भ्रष्टाचार और गंभीर अपराध में शामिल कोई भी व्यक्ति सत्ता की कुर्सी पर नहीं बना रह पाएगा. अगर सरकार टालमटोल भी करे, तो 31वें दिन पद अपने आप खत्म हो जाएगा.
 

विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे खतरनाक बताया है. उनका कहना है कि विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां अक्सर मनमाने ढंग से की जाती हैं. ऐसे में यह कानून सत्ता पक्ष के लिए विपक्ष को अस्थिर करने का आसान हथियार बन सकता है. उन्होंने कहा कि अगर पक्षपाती एजेंसियां विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लेंगी, तो उन्हें पद से हटाने का यह नया नियम राजनीतिक संतुलन बिगाड़ सकता है.


जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन अमेंडमेंट बिल

सरकार का दूसरा बड़ा कदम जम्मू-कश्मीर से जुड़ा है. इस बिल के जरिए प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने की तैयारी है. सूत्रों के मुताबिक, इसमें यह संकेत भी दिया जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कब और किन परिस्थितियों में मिलेगा. यानी यह बिल केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के भविष्य की दिशा में भी एक अहम कदम हो सकता है.

 
यूनियन टेरिटरी अमेंडमेंट बिल

केंद्र सरकार गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरी अमेंडमेंट बिल, 2025 भी पेश करने जा रही है. इसका उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेशों में प्रशासन को और पारदर्शी बनाना है. इसमें मंत्रियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही को और कड़ा किया जाएगा. भ्रष्टाचार या गंभीर अपराध में लिप्त पाए जाने वालों पर त्वरित कार्रवाई का प्रावधान होगा.


ऑनलाइन गेमिंग पर लगाम

आज का चौथा बड़ा बिल है ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन एंड रेगुलेशन बिल, 2025. हाल के वर्षों में ऑनलाइन बेटिंग और सट्टेबाजी वाले गेमिंग ऐप्स ने युवाओं को बुरी तरह प्रभावित किया है. इस बिल में ऐसे गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर सख्त दंड और पेनाल्टी का प्रावधान है. किसी भी सेलिब्रिटी को इन ऐप्स का विज्ञापन करने से रोका जाएगा. नियम तोड़ने पर कंपनियों और प्रचारकों दोनों पर कानूनी कार्रवाई होगी.  सरकार का मकसद युवाओं को इस लत से दूर करना और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण स्थापित करना है.


सरकार का बड़ा संदेश

इन चारों बिलों से यह साफ झलकता है कि सरकार एक साथ कई मोर्चों पर काम कर रही है.

  • राजनीति में अपराधीकरण पर रोक
  • जम्मू-कश्मीर के भविष्य पर स्पष्टता
  • केंद्र शासित प्रदेशों में बेहतर प्रशासन और युवाओं को ऑनलाइन सट्टेबाजी से बचाने का प्रयास

इस बिल को लाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि सरकार चाहती है कि जनता को यह संदेश मिले कि वह कड़े और साहसी फैसले लेने से पीछे नहीं हटेगी. हालांकि विपक्ष का मानना है कि इन प्रावधानों का दुरुपयोग भी हो सकता है. अब देखना यह है कि संसद में इन बिलों को लेकर क्या तस्वीर बनती है और क्या सरकार इन्हें पास कराने में सफल हो पाती है.

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बताते चलें कि आज पेश होने वाले चारों बिल केवल कानून नहीं, बल्कि आने वाले समय में भारतीय राजनीति और समाज के लिए दिशा तय करने वाले अहम कदम हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये बिल देश को और पारदर्शी, जिम्मेदार और जवाबदेह शासन की ओर ले जाएंगे, या फिर विपक्ष के आरोपों के अनुसार यह राजनीतिक हथियार बन जाएंगे.

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