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उपराष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के साथ खेला, विपक्षी एकता की खुली कलई... जानें 15 सांसदों की क्रॉस वोटिंग की INSIDE STORY

VIDEO: उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने बड़ी जीत दर्ज कर ली है. वहीं विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को करारी हार मिली है. चुनाव नतीजों ने एक बार फिर INDIA ब्लॉक में एकजुटता की कलई खोल दी है. विधानसभा चुनाव में कथित वोट चोरी का आरोप लगा रही कांग्रेस को यहां भी झटका लगा, जब उसी के और सहयोगी दलों के सांसद चुनाव से पहले तक तो साथ रहे लेकिन वोटिंग के वक्त पाला बदल लिया और सत्ताधारी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर दिया. यानी कि क्रॉस वोटिंग की. कहा जा रहा है कि कांग्रेस के साथ यहां तक खेला हो गया और वोट चोरी हो गए. अब बीजेपी इसको लेकर जबरदस्त हमलावर है. अब बड़ा सवाल ये है कि ये धोखा किसने किया और राहुल गांधी के साथ कैसे गेम हुआ, पूरी स्ट्रैटेजी और INSIDE STORY जान लीजिए.

Created By: केशव झा
10 Sep, 2025
( Updated: 10 Sep, 2025
10:19 PM )
उपराष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के साथ खेला, विपक्षी एकता की खुली कलई... जानें 15 सांसदों की क्रॉस वोटिंग की INSIDE STORY

उपराष्ट्रपति चुनाव ने विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक की खोखली एकता की पोल खोल दी है. कांग्रेस ने बड़े शोर-शराबे के साथ बी. सुदर्शन रेड्डी को उतारा था, ताकि विपक्ष की “मजबूत एकजुटता” का संदेश जाए. लेकिन नतीजे ने साफ कर दिया कि विपक्ष का कुनबा भीतर ही भीतर बिखर रहा है. एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने 452 वोट बटोरकर रेड्डी को करारी शिकस्त दी, जिन्हें मात्र 300 वोट ही हासिल हुए. जीत के लिए जरूरी 392 वोटों का आंकड़ा एनडीए ने इतनी आसानी से पार किया कि विपक्ष की एकता की कहानी ध्वस्त हो गई.

विपक्षी दलों के किन 15 सांसदों ने की मौन बगावत?

बीजेपी ने दावा किया है कि विपक्ष के 15 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की. यानी, जिन सांसदों को कांग्रेस और सहयोगी दल अपना मानकर चल रहे थे, वही गुपचुप एनडीए के पाले में चले गए. यह सिर्फ वोट नहीं, बल्कि विपक्षी नेतृत्व के खिलाफ एक मौन बगावत थी. विपक्ष ने एकता का नारा दिया, लेकिन उसके अपने ही सांसदों ने पीठ दिखा दी. यह कांग्रेस की सबसे बड़ी नाकामी है, जिस गठबंधन को वह “मोदी हटाओ” के एजेंडे पर चलाना चाहती थी, उसी गठबंधन में दरारें पड़ गईं.

अपनों ही ने नहीं सुनी राहुल गांधी की अंतरात्मा की आवाज़!

सुदर्शन रेड्डी ने सांसदों से “अंतरात्मा की आवाज़” सुनने की अपील की थी. लेकिन हकीकत यह है कि कई सांसदों ने अंतरात्मा की नहीं, सत्ता समीकरण की सुनी और बीजेपी के पक्ष में चले गए. यह विपक्ष की रणनीति की सबसे बड़ी हार है. कांग्रेस का प्लान कि “एक साझा उम्मीदवार से ताकतवर संदेश जाएगा” पूरी तरह फेल हो गया. अब संदेश सिर्फ एक है, विपक्षी कुनबा बिखरा हुआ है, और कांग्रेस उसका नेतृत्व संभालने में नाकाम है.

क्रॉस वोटिंग ने यह भी साफ कर दिया कि INDIA Alliance के अंदर असंतोष और अविश्वास गहराई तक फैला है. गठबंधन का ढांचा खोखला है, जिसमें हर दल अपने-अपने स्वार्थ देख रहा है. यही वजह है कि चुनाव से पहले जिस “महागठबंधन” की तस्वीर पेश की गई थी, वह नतीजे आते ही हवाई महल साबित हो गई.

वहीं एनडीए इस जीत को विपक्षी खेमे की नाकामी के तौर पर पेश कर रहा है. बीजेपी इसे अपने संगठन की मजबूती और रणनीतिक बढ़त बता रही है. साथ ही संदेश दे रही है कि विपक्षी गठबंधन सिर्फ नाम का है, उसकी नींव खोखली है.

कुल मिलाकर, उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों ने INDIA Alliance के भीतर की कमजोरी को उजागर कर दिया है. कांग्रेस की रणनीति उलटी पड़ गई और विपक्षी दलों का कुनबा बिखरता हुआ नज़र आने लगा है. यह हार केवल एक पद गंवाने की नहीं, बल्कि विपक्ष की विश्वसनीयता और ताकत पर भी बड़ा सवाल है. इस चुनाव में कैसे कांग्रेस और राहुल गांधी के नारे ही नहीं पूरी उम्मीद ही ध्वस्त हो गई, जानिए विस्तार से, वीडियो लिंक नीचे है!

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