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भारतीय सेना में पंडित, मौलवी, ग्रंथी, पुजारी और बौद्ध भिक्षुओं की होगी भर्ती...8 मिनट में 1.6 किलोमीटर की लगानी होगी दौड़, जानें पूरी प्रक्रिया

भारतीय सेना में पंडित, पादरी, मौलवी, ग्रंथी और बौद्ध भिक्षु की भर्ती होने जा रही है. सेना में इन पदों की भर्ती परमानेंट होगी. यह भर्ती प्रक्रिया 3 से 13 सितंबर के बीच नागपुर में आयोजित की जाएगी.

28 Aug, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
11:48 PM )
भारतीय सेना में पंडित, मौलवी, ग्रंथी, पुजारी और बौद्ध भिक्षुओं की होगी भर्ती...8 मिनट में 1.6 किलोमीटर की लगानी होगी दौड़, जानें पूरी प्रक्रिया

महाराष्ट्र के नागपुर शहर में 3 से 13 सितंबर के बीच सेना भर्ती रैली दौड़ का आयोजन किया जा रहा है. कमाल की बात यह है कि इस भर्ती में सेना में शामिल होने वाले अग्निवीर या अन्य नियमित कैडर के लिए कोई सामान्य पुरुष नहीं, बल्कि पंडित, पादरी, मौलवी, ग्रंथी और बौद्ध भिक्षु लोगों की भर्ती होगी. यह सभी लोग एकसाथ दौड़ लगाएंगे.  वहीं सेना में अग्निवीर और अन्य नियमित कैडरो के लिए भी भर्ती की जाएगी. अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर सेना में अलग-अलग धर्म के धर्मगुरुओं की क्या आवश्यकता है? आखिर इनकी भर्ती के क्या कुछ मानक हैं? तो चलिए जानते हैं इसके बारे में

सेना में पंडित, मौलवी, ग्रंथी, पुजारी और बौद्ध भिक्षु की होगी भर्ती

बता दें कि महाराष्ट्र के नागपुर शहर से 20 किलोमीटर दूर कैम्पटी छावनी में भारतीय सेवा के अग्निवीर और अन्य कैडरो की भर्ती के लिए दौड़ आयोजित की जाएगी. छावनी के अधिकारियों ने बताया है कि अगले महीने होने वाली सेना की भर्ती रैली में अग्निवीरों के साथ-साथ धार्मिक शिक्षक यानी पंडित, मौलवी, ग्रंथी, पुजारी और बौद्ध भिक्षु भी शामिल होंगे.

कैसी है भर्ती प्रक्रिया?

भारतीय सेना की इस भर्ती में सभी अभ्यर्थी एक मील की दौड़ सहित शारीरिक परीक्षणों में भाग लेंगे, जिसके बाद दिल्ली में उनकी धार्मिक दक्षता का मूल्यांकन होगा. इनमें चयनित उम्मीदवारों को धार्मिक और शिक्षक-जूनियर कमीशन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा. जानकारी के लिए बता दें कि यह सेना में स्थायी पद है, जबकि अग्निवीरों का कार्यकाल सिर्फ 4 साल का होता है. उनमें से सिर्फ 25% अग्निवीर ही पूर्णकालिक आधार पर नियुक्त किए जाते हैं. 

आखिर सेना में धार्मिक शिक्षकों का क्या काम?

इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर छावनी के अधिकारियों ने बताया कि 'धार्मिक शिक्षकों ने ऐतिहासिक रूप से बटालियनों में आध्यात्मिक मार्गदर्शन और नैतिक समर्थन दोनों प्रदान करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.'

क्या है आयु सीमा? 

इन पदों की धार्मिक पदों पर बहाली के इच्छुक पुरुष की आयु सीमा 19-34 रखी गई है. यानी इसी उम्र के बीच के पंडित, पादरी, मौलवियों और अन्य को दौड़कर अपनी फिटनेस साबित करनी होगी. 

8 मिनट से 1.6 KM की दौड़ लगानी होगी

इस भर्ती में चिन-अप्स, लंबी और ऊंची कूद जैसी शारीरिक परीक्षाओं के लिए अभ्यर्थी को 8 मिनट से कम समय में 1.6 किलोमीटर की दौड़ लगानी होगी. उसके बाद नागपुर स्थित सेना भर्ती कार्यालय (ARO) में शारीरिक परीक्षण और योग्यता जांच होगी. उसके बाद कैम्पटी राउंड पास करने वाले उम्मीदवारों को उनके संबंधित धर्मों के ज्ञान परीक्षण के लिए नई दिल्ली भेजा जाएगा. 

'यह पद कई वर्षों से है'

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भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि 'आरटी-जेसीओ जैसे पद शुरुआती दौर से ही सेना में रहे हैं, जिनका उद्देश्य सैनिकों का मनोबल बढ़ाना है. युद्ध के समय वह सैनिकों की भूमिका भी निभाते हैं और युद्ध क्षेत्र में अनुष्ठान या प्रार्थना सभा जैसे कार्य भी करते हैं. इसकी भर्ती समय-समय पर होती रहती है.'

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