'पहलगाम घटना में हमें दोस्त और दुश्मन का पता चला', RSS चीफ भागवत का बयान, हिंसक प्रदर्शनों और ट्रंप पर भी कही बड़ी बात
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के सौ साल पूरे हो गए हैं. विजयादशमी के मौके पर नागपुर में मुख्य कार्यक्रम में 21 हजार स्वयंसेवक शामिल हुए. इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख (RSS) चीफ मोहन भागवत ने ट्रंप टैरिफ से लेकर पहलगाम हमले तक का जिक्र किया.
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के सौ साल पूरे हो गए हैं. स्थापना दिवस के शताब्दी वर्ष में मुख्य कार्यक्रम नागपुर के रेशमबाग मैदान में मुख्य कार्यक्रम आयोजित है, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे. संघ के विजयादशमी उत्सव की शुरुआत सरसंघचालक मोहन भागवत की शस्त्र पूजा से हुई.
पहलगाम हमला और ट्रंप टैरिफ पर बोले RSS चीफ
संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि धर्म पूछकर आतंकियों ने हिंदुओं की हत्या की. हमारी सरकार और सेना ने पूरी तैयारी के साथ उसका पुरजोर उत्तर दिया. उन्होंने कहा कि इस घटना से हमें दोस्त और दुश्मन का पता चला. हमारी सेना का शौर्य पूरी दुनिया ने देखा. यह घटना हमें सिखा गई कि भले ही हम सभी के प्रति मित्र भाव रखते हैं और रखेंगे, लेकिन अपनी सुरक्षा के प्रति और अधिक सजग रहना पड़ेगा.
मोहन भागवत ने कहा कि नक्सलियों पर शासन-प्रशासन की कठोर कार्रवाई भी हुई है. उग्रवाद को पनपने नहीं देना है. उन्होंने वैश्विक उथल-पुथल, पड़ोसी देशों में हिंसक आंदोलनों का भी उल्लेख किया और कहा कि हिंसा से बदलाव नहीं आ सकता. नेपाल और श्रीलंका में हमने इसका अनुभव किया. कभी-कभी हो जाता है. जनता की अवस्था को ध्यान में रखकर नीति नहीं बनती तो अंसतोष रहता है. अंसतोष इस प्रकार व्यक्त करना किसी के लाभ की बात नहीं है. इस प्रकार के आंदोलन को बाबा साहब ने ग्रामर आफ अनार्की कहा है.ऐसे हिंसक मार्ग से बदलाव नहीं आता है. उथल-पुथल वाली क्रान्ति आई. किसी क्रान्ति ने अपने उद्देश्य को प्राप्त नहीं किया. फ्रांस में नेपोलियन बादशाह बन गया और वही राजतंत्र कायम रहा. साम्यवादी देश पूंजीवादी तंत्र पर चल रहे हैं. इनसे उद्देश्य नहीं प्राप्त होता है.’ मोहन भागवत ने कहा मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने की बात भी कही है.
आज अपने देश में विविधताएं भेद का कारण बन रही है. ये सब होने के बाद भी हम एक बड़े समाज के अंग हैं. हम एक ही हैं, हम विविध भी नहीं हैं. विविधता तो खानपान रहने की जगह की है. आपस का व्यवहार सद्भाव पूर्ण रहना चाहिए. इसकी अवमानना नहीं होनी चाहिए. इसकी चिंता सबको करना चाहिए. इतने बड़े समाज में कभी-कभी कुछ आवाज हो सकती है, होने पर भी सद्भाव पूर्ण व्यवाहार करना चाहिए. कानून हाथ में लेकर निकल आना ये प्रवृत्ति ठीक नहीं है. किसी समुदाय विशेष को उकसाने की प्रवृति पर रोकथाम आवश्यक है. समाज की सज्जन शक्ति को सजग होना पड़ेगा. ये अराजकता का व्याकरण है. इसको रोकना पड़ेगा.
मोहन भागवत ने अमेरिका के टैरिफ का जिक्र कर कहा कि देश को स्वदेशी से मजबूत करना होगा. निर्भरता मजबूरी में नहीं बदलनी चाहिए. उन्होंने पड़ोसी देशों में हुए आंदोलन का जिक्र किया और फ्रांस की क्रांति का भी उल्लेख कर कहा कि क्रांतियां कब निरंकुशता में बदल जाती हैं, पता नहीं चलता. हिंसा से बदलाव नहीं आ सकता.
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने देश को दी विजयादशमी की बधाई
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन की शुरुआत विजयादशमी की बधाई से की. उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में नागपुर के दो महापुरुषों का बहुत बड़ा योगदान है- डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर. पूर्व राष्ट्रपति ने डॉक्टर हेडगेवार से लेकर मोहन भागवत तक, संघ के अब तक के सफर में सरसंघचालकों के योगदान भी गिनाए.
उन्होंने कहा कि कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट से बीजेपी का प्रत्याशी था, तब संघ से मेरा परिचय हुआ. जातिगत भेदभाव से रहित लोग संयोग से संघ के स्वयंसेवक और पदाधिकारी ही थे. उन्होंने कहा कि संघ में जातीय आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता. संघ सामाजिक एकता का पक्षधर रहा है. मेरी जीवन यात्रा में स्वयंसेवकों के साथ जुड़ाव और मानवीय मूल्यों से कैसे प्रेरणा मिली, इसका उल्लेख अपनी आत्मकथा में किया है, जो इस साल के अंत तक प्रकाशित हो जाएगी.
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