ना मोदी, ना शाह, बदला तो योगी लेंगे, इस बार अखिलेश से टक्कर सीधी है
उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं अयोध्या के मिल्कीपुर को सबसे हॉट सीट माना जा रहा है। क्योंकि यहां के पूर्व विधायक अवधेश प्रसाद को ही पार्टी ने प्रभारी बनाया है।
21 Aug 2024
(
Updated:
10 Dec 2025
10:26 AM
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Yogi Adityanath : ये लाइनें उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath पर सटीक बैठती है। क्योंकि पक्ष-विपक्ष के कुछ जुगनूओं ने योगी को बदलने के लिए साजिशे की लेकिन अपनी की जड़ कुरेद कर बिलों में घुस गए। खैर बीजेपी के भीतर सब कुछ ठीक करने में योगी कामयाब हुए और अब बचा है विपक्ष के झूठ का किला जो आने वाले कुछ महिनों में भरभराकर गिरने वाला है, क्योंकि अयोध्या की कमान खुद योगी के हाथ मे है। जिस फैजाबाद की सीट को अयोध्या के नाम से प्रचारित कर अवधेश प्रसाद को अयोध्या का राजा बता दिया गया । उस फर्जी राजा की जब पोल खुली तो पता चला बलात्कारियों के साथ उनका उठना बैठना है।
लोकसभा चुनाव में विपक्ष के झूठ का हथियार क्या चला विपक्ष योगी पर हमलावर हो गया। लेकिन जवाब देने के लिए योगी ने जवाब देने के लिए खुद कमान संभाली है।उत्तरप्रदेश की दस सीटों पर उपचुनाव होने वाला है। और मिल्कीपुर इनमें सबसे हॉट सीट है। सपा की तरफ से इस सीट के प्रभारी अवधेश प्रसाद ही है। और बीजेपी की तरफ से प्रभारी है योगी अादित्यनाथ। अब योगी के पास लोकसभा में मिली हार का बदला लेने का मौका है। अभी चुनाव का ऐलान भी नहीं हुआ। लेकिन योगी अयोध्या के ताबड़तोड़ दौरे कर रहे है। वैसे योगी के लिए ये चुनौती आसान नहीं थी। लेकिन मायावती एक तरह से संकटमोचक बनकर आई है। क्योकिं जो मायावती अक्सर उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारती है, उन्होने इस बार उपचुनाव लड़ने का मन बनाया है। क्योंकि मायावती का अस्तित्व यूपी से लगभग खत्म हो गया है और उसे जिंदा करने के लिए मायावती इस उपचुनाव में जी जान लगाने वाली है। जिसका फायदा बीजेपी को मिलेगा। मिल्कीपुर से अलग कटेहरी सीट पर योगी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
क्योंकि इस सीट की कमान भी उन्ही के कंधों पर है, और मुकाबला है शिवपाल सिंह यादव से। जो कटेहरी सीट के प्रभारी है। योगी के साथ ही अखिलेश की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। क्योंकि उनकी करहल सीट पर भी चुनाव होना है। साथ ही ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य को भी एक एक सीट का प्रभारी बनाया गया है। इन चुनावों से दोनों डीप्टी सीएम की पार्टी के लिए उपयोगिता का पता चल जाएगा। और पता भी चल जाएगा की सरकार बड़ा है या संगठन। अब देखना दिलचस्प होगा की कौन दांव पर लगी अपनी प्रतिष्ठा को बचा पाता है। योगी या अखिलेश। वैसे आपको क्या लगता है। जिस तरीके से योगी ने खुद पर भरोशा जताया है। इस चुनाव में ना शाह आएंगे ना मोदी आएंगे।
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