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वक्त दें, बख्श दें, हम सामूहिक सरेंडर करना चाहते हैं...टूटी नक्सलियों की कमर, तीन राज्यों के CM को लिखी चिट्ठी

केंद्र सरकार के मार्च 2026 तक देशभर से नक्सल समस्या को जड़ से खत्म करने की डेडलाइन से पहले ही नक्सलियों की कमर टूट गई है. MMC स्पेशल जोन यानी कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जोन ने 15 फरवरी तक सामूहिक सरेंडर की इच्छा जताई है. इस दौरान उन्होंने सरकार से ऑपरेशन ना करने की गुहार लगाई है.

Created By: केशव झा
24 Nov, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
08:25 AM )
वक्त दें, बख्श दें, हम सामूहिक सरेंडर करना चाहते हैं...टूटी नक्सलियों की कमर, तीन राज्यों के CM को लिखी चिट्ठी

मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के मोदी सरकार के प्रयासों और गृह मंत्री अमित शाह की डेडलाइन से पहले ही नक्सलियों की कमर टूटती हुई नजर आ रही है. देश में जोर-शोर से चल रहे उग्र माओवाद और नक्सल विरोधी अभियान के बीच इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है. कुख्यात नक्सली माडवी हिडमा के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद जोनल कमेटियों में हड़कंप मच गई है. इसी कड़ी में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ स्पेशल जोनल कमेटी (MMC जोन) के प्रवक्ता ने इन तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों मसलन देवेंद्र फडणवीस, मोहन यादव और विष्णु देव साई को चिट्ठी लिखी है और सामूहिक सरेंडर की इच्छा जताई है. 

MMC स्पेशल जोन ने अपने ही दो सीनियर नक्सली नेताओं की तर्ज पर सरेंडर कर मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जाहिर की है. आपको बता दें कि बीते दिनों महाराष्ट्र में नक्सलियों के नेता भूपति और छत्तीसगढ़ में सतीश हथियार को त्यागकर अपने साथियों के साथ सरेंडर कर दिया.

जानकारी के मुताबिक MMC जोन के सभी नक्सली एक साथ सरेंडर करेंगे. हालांकि जारी पत्र के मुताबिक सरकार से सरेंडर के लिए समय देने की मांग की गई है. कहा गया है कि MMC जोन के नक्सलियों ने एक-दूसरे से बातचीत करने और उन्हें तैयार करने के लिए 15 फरवरी 2026 की समयसीमा रखी है.

इतना ही नहीं उन्होंने तीनों मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया है कि उनकी इस डेडलाइन तक सुरक्षा बलों को कोई भी एंटी नक्सल ऑपरेशन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा माओवादियों ने मुख्यमंत्रियों से कुछ दिनों के लिए न्यूज नेटवर्क बंद करने का भी अनुरोध किया है.

PLGA सप्ताह मनाने से पीछे हटे नक्सली!

MMC ने अपने पत्र में यह भी सरकार को भरोसा दिलाया है कि वे जल्द ही आने वाला अपना सालाना PLGA हफ्ता यानी कि (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी वीक) इस साल नहीं मनाएंगे. उन्होंने सुरक्षा बलों से अनुरोध किया है कि इस अवधि के दौरान नक्सलियों के खिलाफ सालाना ऑपरेशन भी न चलाएं. इन नक्सलियों ने पत्र में वादा किया है कि वे जल्द ही एक और पत्र जारी करेंगे और सामूहिक सरेंडर की तारीख की घोषणा करेंगे.

केंद्र सरकार की डेडलाइन के अंदर सरेंडर!

आपको बता दें कि केंद्र सरकार के डेडलाइन के भीतर सरेंडर करने का MMC ने वादा तिया है. अगर ऐसा होता है तो केंद्र सरकार के नक्सल-मुक्त भारत अभियान में बड़ी सफलता मानी जाएगी. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इन्हें और समय देती है या नहीं क्योंकि हो सकता ये डेडलाइन की आड़ में कहीं मोबलाइज और अंडरग्राउंड न हो जाएं.

कौन था माडवी हिडमा?

ये चिट्ठी उस वक्त आई है जब सुरक्षाबलों को बीते महीनों में दो बड़ी सफलताएं मिली हैं. जहां बीते हफ्ते खूंखार नक्सली माडवी हिडमा को उसकी पत्नी राजे सहित मार गिराया गया. यह मुठभेड़ मारेडुमिली वन क्षेत्र में उस समय हुई जब छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और ओडिशा की पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान माओवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद तलाशी अभियान में लगे हुए थे. मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों में शीर्ष माओवादी कमांडर और भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति के सदस्य माडवी हिडमा शामिल था.

हिडमा को भारत में सबसे वांछित माओवादी कमांडर माना जाता था. 43 वर्षीय हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन की बटालियन संख्या एक का प्रमुख है, जिसे सबसे घातक माओवादी हमला इकाई कहा जाता है.

50 लाख रुपए का इनामी हिडमा, भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति में छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र का एकमात्र आदिवासी था. उसे 2010 में दंतेवाड़ा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 76 जवानों के नरसंहार का मास्टरमाइंड बताया गया था. यह भारत में सुरक्षा बलों पर माओवादियों द्वारा किया गया सबसे घातक हमला था.

उस पर 2013 में छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में शीर्ष कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोगों की हत्या में शामिल होने का भी संदेह था. हिडमा को 2021 में छत्तीसगढ़ के सुकमा में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 22 जवानों की हत्या का मास्टरमाइंड भी माना जाता है.

 हिडमा से पहले बसवाराजू भी मारा गया था!

शीर्ष माओवादी कमांडर की हत्या छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की कई सफलताओं के बाद हुई है. यह मुठभेड़ प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के लिए आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र में फिर से संगठित होने के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई, जिसे कभी माओवादी गतिविधियों का गढ़ माना जाता था.

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वहीं मई में सुरक्षाबलों ने नारायणपुर-बीजापुर-दंतेवाड़ा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में मुठभेड़ में 27 नक्सलियों को ढेर कर दिया. मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने एक करोड़ रुपए के इनामी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को भी मार गिराया था. इसी के बाद नक्सलियों के हौसले पस्त हो गए और देशभर में सरेंडर करने लगे.

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