'माफी, माफी, माफी...', पहले इमरजेंसी, फिर सिख दंगे और अब OBC… शिवराज सिंह चौहान बोले- राहुल गांधी को सिर्फ माफी मांगनी आती है
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पीएम मोदी का विरोध करते-करते कांग्रेस अब देश का ही विरोध करने लगी है. कारगिल विजय दिवस पर उन्होंने कांग्रेस द्वारा कारगिल और ऑपरेशन सिंदूर पर उठाए सवालों को राष्ट्र विरोधी बताया. उन्होंने याद दिलाया कि यूपीए सरकार (2004-2009) के दौरान कारगिल विजय दिवस तक नहीं मनाया गया.
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देश में इन दिनों राजनीति का पारा एक बार फिर चढ़ता नजर आ रहा है. खासतौर पर जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा, सेना के सम्मान और देशभक्ति की हो, तो बयानबाज़ी और भी तेज हो जाती है. इसी कड़ी में एक बड़ा बयान सामने आया है केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से, जिन्होंने कांग्रेस पर देशविरोधी सोच अपनाने का गंभीर आरोप लगाया है. कारगिल विजय दिवस के मौके पर मीडिया से बात करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करते-करते देश का ही विरोध करने लगी है.
क्या कांग्रेस ने कभी सेना के बलिदान को महत्व दिया?
शिवराज सिंह चौहान का बयान महज राजनीतिक प्रहार नहीं था, बल्कि उसमें सेना के प्रति सम्मान और कांग्रेस की नीतियों पर सीधा हमला था. उन्होंने दो टूक कहा कि कारगिल विजय दिवस जैसे गौरवशाली अवसर पर कांग्रेस का रवैया हमेशा ठंडा रहा है. उन्होंने याद दिलाया कि 2004 से 2009 तक जब यूपीए सरकार सत्ता में थी, तब कारगिल विजय दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर न कोई समारोह हुआ, न ही कोई स्पष्ट सम्मान दिखाई दिया. यहां तक कि कांग्रेस के एक सांसद ने यह तक कह दिया था कि "यह युद्ध तो एनडीए सरकार में लड़ा गया, हम क्यों मनाएं?" अब सवाल उठता है कि जब कोई देश युद्ध करता है, तो वह किसी पार्टी या सरकार के लिए नहीं, पूरे राष्ट्र की सुरक्षा और गौरव के लिए करता है. क्या ऐसे बयान देना, जिनमें सेना के अद्भुत शौर्य और बलिदान पर प्रश्नचिह्न लगाना शामिल हो, देशभक्ति है? शिवराज सिंह चौहान के इस सवाल ने केवल कांग्रेस ही नहीं, बल्कि पूरे देश के सामने आत्ममंथन की ज़रूरत खड़ी कर दी है.
ऑपरेशन सिंदूर पर भी कांग्रेस की सोच सवालों के घेरे में
केवल कारगिल युद्ध ही नहीं, हाल ही में भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी कांग्रेस की प्रतिक्रियाएं सवालों में हैं. यह ऑपरेशन भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा किया गया एक साहसिक मिशन था, जिसे लेकर देशभर में गर्व की भावना देखी गई. लेकिन कांग्रेस की ओर से इस पर भी सवाल उठाना, उनके राष्ट्र के प्रति दृष्टिकोण को कटघरे में खड़ा करता है. शिवराज सिंह चौहान ने साफ शब्दों में कहा कि कांग्रेस की सोच अब राष्ट्रहित से दूर होती जा रही है और यह उनके नेताओं की बयानों में साफ झलकता है.
पाकिस्तान जैसी बातें कर रहे हैं कांग्रेस नेता: शिवराज सिंह
शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि कांग्रेस के कुछ नेताओं के बयान ऐसे होते हैं, जो पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश द्वारा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए जाते हैं. यह एक बेहद गंभीर आरोप है, और यदि इसमें तथ्य हैं, तो यह देश की छवि और सुरक्षा दोनों के लिए खतरे की घंटी है. क्या प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करते-करते कांग्रेस ने सच में राष्ट्र के मूल मूल्यों और हितों का विरोध शुरू कर दिया है? इस सवाल का जवाब कांग्रेस को खुद देना होगा.
ओबीसी समाज पर भी राहुल गांधी को घेरा
केवल सेना और सुरक्षा ही नहीं, शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी को सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के मुद्दे पर भी घेर लिया. हाल ही में राहुल गांधी द्वारा ओबीसी समाज से माफी मांगने को लेकर शिवराज ने तीखा तंज कसा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी हमेशा देर से समझते हैं. पहले आपातकाल के लिए माफी, फिर सिख दंगों के लिए, और अब ओबीसी समाज से. सवाल यह है कि माफी मांगना पर्याप्त है या उन वर्गों के लिए वास्तव में कुछ करना जरूरी है?
वही केंद्रीय मंत्री शिवराज ने याद दिलाया कि मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालने का काम कांग्रेस सरकार ने किया था. ओबीसी के लिए जितने भी कल्याणकारी कदम उठाए गए, उन्हें पहले कांग्रेस ने दबाने की कोशिश की. बाद में जब जन दबाव बढ़ा, तो माफी मांगना शुरू कर दिया. उन्होंने चुटकी ली कि माफी मांगना अब राहुल गांधी के राजनीतिक करियर का स्थायी हिस्सा बन गया है. राफेल मामले में माफी, अब ओबीसी पर माफी, और जो अभी कर रहे हैं, उसके लिए भी शायद दस साल बाद माफी मांगनी पड़े.
बताते चलें कि शिवराज सिंह चौहान के इन बयानों ने एक बार फिर राजनीति में बहस को गरमा दिया है. कांग्रेस पर देशविरोधी सोच रखने का आरोप कोई हल्की बात नहीं है. इस बयान के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस की ओर से क्या सफाई आती है. लेकिन एक बात तो साफ है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, सेना का सम्मान और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर अब जनता केवल बयान नहीं, ठोस नीतियों और प्रतिबद्धता की उम्मीद कर रही है.
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