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'जज कम बोलें, प्रवचन से भी बाज आएं...', SC के पूर्व जस्टिस ने CJI गवई पर ही फोड़ा जूता कांड का ठीकरा, दी नसीहत

SC के पूर्व जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में बीते दिनों हुए जूता कांड का जिम्मेदार CJI को ही ठहरा दिया है. कहा है कि उन्होंने खुद ही घटना को आमंत्रित किया. इतना ही नहीं उन्हें जजों को भी तगड़ी नहीसहत डे डाली है.

Created By: केशव झा
09 Oct, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
05:01 PM )
'जज कम बोलें, प्रवचन से भी बाज आएं...', SC के पूर्व जस्टिस ने CJI गवई पर ही फोड़ा जूता कांड का ठीकरा, दी नसीहत

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. वकील राकेश किशोर के कृत्य की हो रही चौतरफा निंदा के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने इस पूरे प्रकरण का जिम्मेदार CJI गवई को ही ठहराया है. इतना ही नहीं उन्होंने तमाम जजों को सलाह दी है कि उन्हें अदालत में कम बात करनी चाहिए और प्रवचन भी नहीं देना चाहिए.

आपको बता दें कि 72 साल के वकील राकेश किशोर ने बीते दिनों अदालत में सीजेआई गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी. इसके बाद किशोर ने आरोप लगाया था कि वह सीजेआई की सनातन धर्म और देवताओं को लेकर की गई कथित टिप्पणियों से आहत हुआ है.

पूर्व जस्टिस काटजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि, 'मैं सीजेआई पर जूते फेंके जाने की निंदा करता हूं, लेकिन उन्होंने खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति से जड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए खुद ही इस घटना को न्योता दिया था. उन्होंने कहा था, 'आप कहते हैं कि आप विष्णु के बहुत बड़े भक्त हैं. जाएं और जाकर देवता से कहें कि वह खुद ही कुछ करें. जाएं और प्रार्थना करें."

जज कोर्ट में कम बोलें, प्रवचन भी ना दें: काटजू

उन्होंने आगे कहा कि ऐसी टिप्पणियां पूरी तरह से अनुचित, अनुचित और अनावश्यक थीं, जिनका मामले से जुड़े कानूनी मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं था.

'क्या आप पैगंबर मोहम्मद के बारे में भी ऐसा ही कहेंगे?'

क्या होगा अगर एक न्यायाधीश किसी मस्जिद के विध्वंस से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहे, "पैगंबर मोहम्मद से कहो कि इसे पुनर्स्थापित करें?" मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर ऐसी असंयमित टिप्पणी के बाद "सर तन से जुदा" की आवाज़ उठे.

वकील राकेश किशोर का टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन रद्द

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में CJI बीआर गवई से दुर्व्यवहार करने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने सख्त कार्रवाई की है. एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने राकेश किशोर के टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के साथ ही उनका प्रवेश पास (एंट्री कार्ड) भी निरस्त कर दिया है. 

बार एसोसिएशन ने पारित किया संकल्प

एससीबीए की कार्यकारिणी समिति ने गुरुवार को एक संकल्प पारित किया, जिसमें इस घटना को गंभीर कदाचार बताया गया. यह घटना 6 अक्टूबर को हुई थी. समिति ने कहा कि इस प्रकार का अनुशासनहीन और अशिष्ट व्यवहार किसी भी कोर्ट के अधिकारी के लिए बिलकुल अनुचित है और यह पेशेवर आचार संहिता, कोर्ट के शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा के खिलाफ है.

मेंबरशिप भी कैंसिल

एससीबीए की कार्यकारिणी समिति ने विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि राकेश किशोर का एसोसिएशन का सदस्य बने रहना संगठन की गरिमा और अनुशासन के अनुरूप नहीं है. इसलिए, तत्काल प्रभाव से उनकी सदस्यता समाप्त की जाए और उनका नाम एसोसिएशन के सदस्यों की सूची से हटा दिया जाए.

इसके साथ ही राकेश किशोर को एससीबीए की ओर से कोई सदस्यता कार्ड जारी किया गया था, उसे भी निरस्त और जब्त कर लिया गया है. एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के सचिवालय को भी सूचित किया है कि उनका कोर्ट परिसर में प्रवेश पास तुरंत रद्द किया जाए.

कर्नाटक पुलिस ने भी दर्ज की FIR

बार काउंसिल की कार्रवाई के अलावा कर्नाटक पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई बी.आर. गवई के साथ दुर्व्यवहार करने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. अखिल भारतीय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष भक्तवचला की शिकायत पर यह एफआईआर दर्ज की गई है. 

बेंगलुरु में विधान सौधा पुलिस ने 71 वर्षीय राकेश किशोर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 132 और 133 के तहत जीरो एफआईआर दर्ज की है. उन पर किसी लोक सेवक पर हमला करने या उसे उसके कर्तव्यों के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग करने और किसी व्यक्ति का अपमान करने के इरादे से आपराधिक बल का प्रयोग करने का आरोप है.

दर्ज हुई जीरो FIR

जीरो एफआईआर एक ऐसी एफआईआर है जो किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है, चाहे अपराध कहीं भी हुआ हो या पुलिस स्टेशन का अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो. पुलिस सूत्रों ने बताया कि मामला नई दिल्ली स्थित संबंधित पुलिस को स्थानांतरित कर दिया जाएगा. एफआईआर में कहा गया है कि 6 अक्टूबर को वकील राकेश किशोर ने नई दिल्ली स्थित सर्वोच्च न्यायालय के कोर्ट हॉल नंबर 1 में सीजेआई के साथ दुर्व्यवहार किया.

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उस समय, भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन अदालत कक्ष में मौजूद थे. शिकायतकर्ता ने न्यायपालिका की गरिमा और अखंडता की रक्षा के लिए आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करने का अनुरोध किया है.

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टिप्पणियाँ 3

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Vitthal Chavan
1 month ago

हिंदू धर्म का अपमान मत करिये जज सहाब

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Vitthal Chavan
1 month ago

जज ने इस तरह बोलणं अच्छा नही हे

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Ajay
1 month ago

I have heard when a person commits a crime the person who incites him to do so is also held responsible, then in the instant case when it is being said that the lawyer had made a crime then the judge who made him to do so will not be held responsible ? Similarly when the FIR is registered against the lawyer why the judge is spared ? Because he is judge and only weaker will be punished ? It was mentioned that the Supreme Court Bar Association has taken many actions against the lawyer but had they taken any action against the equally responsible judge ? It’s all about judiciary and justice but, from all the incidents does it not appear that it’s gross injustice against the Hindu where if one Hindu devoid of justice shows his frustration the entire judicial system , police system punishes him ? And they all talk about justice !

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