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पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या, बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने देशभर के पत्रकारों को गम और गुस्से से भर दिया है, उनका शव बीजापुर के चट्टानपारा इलाके में सड़क ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के फार्महाउस के सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ, वे 1 जनवरी से लापता थे

05 Jan, 2025
( Updated: 05 Jan, 2025
04:59 PM )
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या, बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की कहानी भी कुछ यही, जिनका कुसूर सिर्फ़ इतना था कि उन्होंने चंद सवाल खड़े किए थे, एक सड़क की क्वालिटी पर स्टोरी करके भ्रष्टाचार का खुलासा कर दिया था, जिसके बाद ठेकेदार सुरेश चंद्राकर पर इसके बाद जांच बैठ गई, बस फिर क्या था  इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा पत्रकार मुकेश चंद्राकार को, वो भी पता है अपनी जान गंवाकर। 

बताया जा रहा कि कुछ दिन पहले ठेकेदार के भाई नरेश ने मुकेश को मिलने के लिए बुलाया और उसके बाद से पत्रकार मुकेश का कुछ अता पता नहीं चला और जब पता चला तो मुकेश ज़िंदा नहीं थे,  ठेकेदार के घर में बने सेप्टिक टैंक से उनकी लाश बरामद हुई, और इसके बाद बीजेपी ने खुलासा करते हुए जो आरोप कांग्रेस पर लगाए वो और दिल दहला देने वाले थे, छत्तीसगढ़ बीजेपी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कुछ तस्वीरें साझा कि और लिखा "बीजापुर पत्रकार मुकेश चंद्राकर का हत्यारा मुख्य आरोपी कांट्रेक्टर सुरेश चंद्राकर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का खास आदमी हैं, दीपक बैज ने ही सुरेश को कांग्रेस पार्टी के SC मोर्चा का प्रदेश सचिव का पद देकर नवाजा भी हैं, हत्यारी कांग्रेस या कांग्रेस के हत्यारे। राहुल गांधी जवाब दो?'

बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद देश में उबाल है सोशल मीडिया पर कोहराम मचा हुआ है, छत्तीसढ़ की बीजेपी सरकार से भी तमाम सवाल है, ऐसे में सीएम विष्णु देव साय ने इस विभत्स हत्याकांड पर कहा "बीजापुर में युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की नृशंस हत्या में शामिल किसी भी दोषी को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, प्रदेश सरकार ने दोषियों को पकड़ने के लिए हरसंभव कदम उठाए हैं, उन्हें कठोर से कठोर सजा दिलाने के लिए पूरी ताकत से कार्रवाई की जा रही है, यह जघन्य घटना अत्यंत दुखद और निंदनीय है, मैं मुकेश चंद्राकर के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं और उनके साथ इस कठिन समय में खड़ा हूं" 

इस बीच आरोपी सुरेश चंद्राकर के संपत्तियों पर बुलडोज़र भी चलने लगा, उसकी संपत्तियों को ज़मींदोज़ किया जाने लगा, लेकिन सवाल जस का तस है क्या एक पत्रकार के जान कि क़ीमत कुछ नहीं हैं ? क्या मुकेश चंद्राकार के जान गंवाने से ये सिलसिला थम जाएगा ?

बताते चलें कि, मुकेश चंद्राकार वही पत्रकार थे जो नक्सलियों के चंगुल से CRPF के जवान को छुड़ा लाए थे, जब साल 2021 में नक्सली हमले में 23 जवान शहीद हुए थे, और एक जवान को अगवा कर लिया गया था, तब मुकेश चंद्राकर नक्सलियों से बातचीत करके जवान को अपनी बाइक पर बैठा लाए थे, लेकिन आज ऐसे शेरदिल पत्रकार सरकारें नहीं बचा पाई, जिसके बाद सरकारों से सवाल है, कांग्रेस की ख़ामोश चुभ रही है और देश न्याय मांग रहा है, खैर मुकेश चंद्राकर तो नहीं आ पाएंगे, लेकिन अगर ऐसा चलता रहा तो किसी में ज़हमत नहीं होगी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने की। 

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