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'वसुंधरा होतीं मुख्यमंत्री तो मजा आता…’, राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत ने दिया भजनलाल को 'फंसा' देने वाला बयान

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अजमेर में मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और RSS प्रमुख मोहन भागवत पर अहम बयान दिए. उन्होंने कहा कि भजनलाल शर्मा के पास मजबूत सलाहकार होना चाहिए और वसुंधरा राजे जैसी अनुभवी नेता को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलना चाहिए था, जिससे बेहतर प्रशासन और विपक्ष से मुकाबला संभव होता.

07 Sep, 2025
( Updated: 07 Sep, 2025
10:07 PM )
'वसुंधरा होतीं मुख्यमंत्री तो मजा आता…’, राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत ने दिया भजनलाल को 'फंसा' देने वाला बयान
Ashok Gehlot (File Photo)

राजस्थान की राजनीति में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने एक बयान देकर विपक्ष पर एक तीर से दो निशाने साध दिए हैं. एक ओर उन्होंने राजस्थान बीजेपी के भीतर आपसी मतभेद को उजागर करने की कोशिश की है, तो वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और RSS प्रमुख मोहन भागवत पर बड़े बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है.

दरअसल, अजमेर सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान अशोक गहलोत ने कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी.  गहलोत ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हाल ही में दिए गए काशी-मथुरा से जुड़े बयान को देश के लिए नुकसानदायक बताया. उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान समाज में तनाव पैदा कर सकते हैं और यह भारत जैसे विविधताओं वाले देश के लिए किसी भी हालत में सही नहीं हैं. गहलोत ने जोधपुर का जिक्र करते हुए कहा कि यह शहर हमेशा भाईचारे और शांति का संदेश देता आया है, इसलिए यहां से ऐसी बातें उठाना बेहद अनुचित है.

RSS पर गहलोत का तंज 

मोहन भागवत के बयान पर गहलोत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि भागवत कहते हैं कि RSS काशी-मथुरा विवाद में हिस्सा नहीं लेगी, लेकिन स्वयंसेवक शामिल हो सकते हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि जब स्वयंसेवक ही RSS हैं, तो यह अलग-अलग बात करने की जरूरत क्यों है. गहलोत ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि पूरा देश चिंतित है कि आखिर यह माहौल किस दिशा में जा रहा है.

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर सवाल

गहलोत ने मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री से कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन जनता और विपक्ष जो सवाल उठा रहे हैं, उनका जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी है. गहलोत ने कहा, 'अभी के मुख्यमंत्री कहां हैं, मैं भी उन्हें ढूंढ रहा हूं. उनके सलाहकार कौन हैं, यह भी समझ नहीं आ रहा.' उन्होंने यह भी कहा कि अच्छे प्रशासन के लिए एक मजबूत सलाहकार होना बेहद जरूरी है, ताकि जनता की समस्याओं का समय पर समाधान हो सके. गहलोत का दावा था कि दो साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, अब जनता को जवाब चाहिए.

वसुंधरा राजे को बताया नचुरल चॉइस

गहलोत ने बीजेपी की आंतरिक राजनीति पर भी तंज कसा और वसुंधरा राजे को अनुभवी नेता करार दिया. उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी में किसी को मुख्यमंत्री बनना चाहिए था, तो वह वसुंधरा राजे थीं. गहलोत ने कहा कि अगर वे मुख्यमंत्री होतीं, तो बेहतर काम होता और विपक्ष को भी उनसे मुकाबला करने में मजा आता.इस बयान को लेकर सियासी हलकों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है. गहलोत का यह कहना कई मायनों में बीजेपी के भीतर खींचतान की ओर इशारा करता है.

योजनाओं को लेकर सरकार पर निशाना

गहलोत ने जनहितकारी योजनाओं के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय लागू की गई चिरंजीवी योजना में लोगों को 25 लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा थी. लेकिन मौजूदा सरकार की आयुष्मान योजना में जनता को राहत नहीं मिल रही. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में पेंशन भी बंद कर दी गई है, जिससे गरीब और जरूरतमंद परिवारों की आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है. गहलोत ने मुख्यमंत्री को सलाह दी कि वे दिल्ली पर निर्भर रहने के बजाय प्रदेश के अधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर नियंत्रण रखें. तभी जनता को असली राहत मिल पाएगी. जोधपुर के ऐतिहासिक महत्व का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा कि वहां से शांति और सौहार्द का संदेश जाना चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में ऐसे बयान नहीं आएंगे, जो समाज में अनावश्यक तनाव बढ़ाएं.

बताते चलें कि अशोक गहलोत के इन बयानों ने राजस्थान की सियासत में एक नई बहस को जन्म दे दिया है. उन्होंने जहां सरकार की नीतियों और मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठाए, वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के काशी-मथुरा वाले बयान को देश के लिए खतरनाक करार दिया. गहलोत का यह कहना कि वसुंधरा राजे बेहतर मुख्यमंत्री हो सकती थीं, अपने आप में बीजेपी की अंदरूनी राजनीति पर बड़ा इशारा है.

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राजस्थान की राजनीति फिलहाल इसी खींचतान और बयानबाजी के बीच उलझी दिखाई दे रही है. अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और बीजेपी इस पर क्या जवाब देते हैं और आने वाले समय में यह राजनीतिक जंग किस दिशा में जाती है.

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