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नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के घुसपैठिए... बिहार चुनाव में करने वाले थे बड़ा खेल, SIR रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. निर्वाचन आयोग की जांच में पाया गया कि मतदाता सूची में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के अवैध नागरिक भी दर्ज हैं. बूथ लेवल ऑफिसरों ने फील्ड में जाकर जब मतदाताओं का सत्यापन किया, तो कई फर्जी नामों का खुलासा हुआ. आयोग ने ऐसे सभी नामों को अंतिम मतदाता सूची में शामिल न करने का फैसला किया है, फिलहाल राज्यभर में मतदाता सत्यापन का काम अंतिम चरण में है.

13 Jul, 2025
( Updated: 03 Dec, 2025
09:42 AM )
नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के घुसपैठिए... बिहार चुनाव में करने वाले थे बड़ा खेल, SIR रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
File Photo

बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, चुनाव आयोग की सक्रियता भी बढ़ती जा रही है. इसी कड़ी में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) के दौरान ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिसने प्रशासन और राजनीति दोनों हलकों में हलचल मचा दी है. निर्वाचन आयोग ने इस प्रक्रिया के तहत राज्य भर में घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी इकट्ठा की, जिसमें बड़ी संख्या में अवैध रूप से आए लोग मतदाता सूची में दर्ज पाए गए हैं.

बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के नाम सूची में
सूत्रों के मुताबिक, बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) जब मतदाताओं के सत्यापन के लिए फील्ड में उतरे, तो उन्हें कई स्थानों पर नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए लोग वोटर के तौर पर पंजीकृत मिले. इस मामले में उचित जांच के बाद ऐसे अवैध नामों को 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. फिलहाल सभी जिलों में मतदाता गणना और फॉर्म भरने का कार्य अंतिम चरण में है.

80% से ज्यादा वोटर्स ने भरे फॉर्म
निर्वाचन आयोग का कहना है कि अब तक 80 प्रतिशत से ज्यादा वोटरों ने अपनी जानकारी जैसे नाम, जन्मतिथि, पता, आधार और वोटर आईडी नंबर के साथ फॉर्म भर दिया है. यह प्रक्रिया 25 जुलाई 2025 तक पूरी की जानी है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि समयसीमा से पहले ही यह कार्य पूरा हो जाएगा. एक अगस्त को मतदाताओं की मसौदा सूची जारी होगी और जिन लोगों के नाम उसमें नहीं होंगे, वे दावा कर सकते हैं.

नाम छूटने पर क्या करें मतदाता?
अगर किसी व्यक्ति का नाम 1 अगस्त को जारी होने वाली ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं आता है, तो वह मतदान रजिस्ट्रेशन ऑफिसर या जिला निर्वाचन पदाधिकारी से संपर्क कर सकता है. आवश्यकता पड़ने पर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष अपील कर सकते हैं. इसके लिए संबंधित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी और अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी.

दस्तावेजों की लंबी लिस्ट से परेशान आम लोग
वर्तमान में BLO दस्तावेजों की लंबी सूची मांग रहे हैं, जिसमें शैक्षणिक प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, बैंक से जुड़ा कोई पुराना दस्तावेज, पेंशन कार्ड, एनआरसी रिकॉर्ड, भूमि या मकान आवंटन पत्र और स्थाई निवास प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज शामिल हैं. इसने आम नागरिकों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए भारी परेशानी खड़ी कर दी है.

तेजस्वी यादव ने उठाए सवाल
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि 80 प्रतिशत से ज्यादा फॉर्म भरे जाने का आयोग का दावा गलत है. उनका कहना है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में कई लोगों को तो यह भी जानकारी नहीं है कि उनका फॉर्म भरा गया है या नहीं. तेजस्वी का आरोप है कि चुनाव आयोग फर्जी अपलोडिंग की शिकायतों पर चुप है और जमीनी हकीकत से उसका आंकड़ा मेल नहीं खाता.

आधार और राशन कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट की सलाह भी अनसुनी
तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मतदाता पहचान पत्र से आधार और राशन कार्ड को लिंक करने को लेकर जो स्पष्ट निर्देश दिए गए थे, उस पर भी आयोग ने कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं दी है. इसके चलते BLO से लेकर आम नागरिक तक सभी भ्रम में हैं. यह स्थिति चुनावी पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है.

चुनाव से पहले आयोग के एक्शन का क्या होगा असर?
बिहार जैसे संवेदनशील राज्य में जहां जातीय समीकरण और सीमा पार से आने वाले लोगों का सीधा प्रभाव चुनावों पर पड़ता है, ऐसे में आयोग द्वारा की जा रही यह कार्यवाही चुनाव से पहले बड़ा मुद्दा बन सकती है. विपक्ष पहले से ही सरकार पर आरोप लगा रहा है कि वह अवैध वोटों की मदद से परिणामों को प्रभावित करना चाहती है.

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गौरतलब है कि बिहार में मतदाता सूची की यह गहन समीक्षा न केवल एक चुनावी औपचारिकता है, बल्कि राज्य की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है. हालांकि इसमें आने वाली तकनीकी और प्रशासनिक बाधाओं को समय रहते हल किया जाना ज़रूरी है. सरकार, विपक्ष और आम नागरिकों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता सूची निष्पक्ष, पारदर्शी और वास्तविक हो, ताकि बिहार में आने वाले चुनाव सही मायनों में लोकतंत्र का उत्सव बन सके.

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