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अमेरिका में भारतीय छात्र ने ट्रंप प्रशासन पर ठोका मुकदमा, क्या है पूरा मामला? जानिए

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भारतीय मूल के एक छात्र ने मुक़दमा दायर किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि SEVIS में उनका स्टूडेंट इमिग्रेशन स्टेटस बिना किसी नोटिस या वजह बताए गलत तरीके से खत्म कर दिया गया.

17 Apr, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
07:21 PM )
अमेरिका में भारतीय छात्र ने ट्रंप प्रशासन पर ठोका मुकदमा, क्या है पूरा मामला? जानिए

अमेरिकी में Immigration Policies को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार चर्चा बटोर रहे हैं. शिक्षण संस्थानों को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप सख्ती दिखा रहे हैं. जिस तरह से नई नीतियों के कारण कई प्रवासियों को अमेरिका छोड़ना पड़ रहा है, या वहाँ रहने में दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है, उसे देखते हुए ट्रंप प्रशासन पर मुक़दमा ठोका गया है. ये मुकदमा एक भारतीय और तीन अन्य देश के छात्रों ने किया है. दरअसल इस महीने इनके Student Immigration Status को खत्म कर दिया गया, जिसके बाद ट्रंप प्रशासन पर इन्होंने मुकदमा ठोक दिया है. इन चारों छात्रों को अमेरिका से डिपोर्ट करने का प्लान था, लेकिन इन्होंने मुक़दमा कर अदालत से अपना कानूनी दर्जा फिर से हासिल करने की गुहार लगाई है.


बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने कैंपस एक्टिविज्म की वजह से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीजा रद्द करना शुरू कर दिया है. भारतीयों सहित सैकड़ों छात्रों को ईमेल भेजकर उन्हें अपने-अपने देश वापस जाने के लिए कहा गया है. इतना ही नहीं दुकानों से सामान चुराने या ट्रैफिक रूल तोड़ने जैसे छोटे-मोटे अपराधों के आरोपी छात्रों को भी टारगेट किया जा रहा है.


क्या है पूरा मामला?

Wayne State University में पढ़ने वाले भारत के चिन्मय देवरे, चीन के जियांगयुन बु और क्यूई यांग, नेपाल के योगेश जोशी ने होमलैंड सिक्योरिटी और आव्रजन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि Student Exchange Visitor Information System (SEVIS) में उनका Student Immigration Status बिना किसी नोटिस या वजह बताए गलत तरीके से खत्म कर दिया गया.


क्या होता है SEVIS?

SEVIS डेटाबेस में अमेरिका में गैर-अप्रवासी छात्रों के बारे में जानकारी होती है. इसका मतलब यह है कि अब इन छात्रों का अमेरिका में लीगल स्टेटस नहीं रहेगा और उन्हें तुरंत देश छोड़कर वापस जाना होगा. अमेरिकी जिला न्यायालय, पूर्वी जिला मिशिगन में छात्रों की ओर से American Civil Liberties Union (ASLU) ने यह मुकदमा दायर किया था. छात्रों ने अदालत से अपने legal status को बहाल करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि  न तो उन पर कोई अपराध का आरोप लगाया गया है और न ही उन्होंने कोई इमिग्रेशन कानून तोड़ा है. छात्रों ने तोयहां तक कहा कि वे किसी राजनीतिक मुद्दे को लेकर कैंपस में होने वाले विरोध प्रदर्शनों में भी एक्टिव नहीं थे.


प्रेस रिपोर्ट में क्या कहा गया?

डेट्रॉयट फ्री प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मिशिगन के ACLU के कार्यकारी निदेशक लोरेन खोगाली ने कहा कि ट्रंप प्रशासन इस तरह से काम कर रहा है जैसे कि बुनियादी संवैधानिक जरूरतें उन पर लागू नहीं होती हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस प्रशासन का मकसद कुछ लोगों पर हमला करके हम सभी को आतंकित करना और डर फैलाना है. वे अब उन अंतरराष्ट्रीय छात्रों को निशाना बना रहे हैं जो हमारी Academic Community में अहम योगदान देते हैं और अपने खर्च से हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं.


शिक्षण संस्थान को किया जा रहा टार्गेट 

अमेरिकी उच्च शिक्षण संस्थानों पर ट्रंप प्रशासन लगातार इस तरह के इमिग्रेशन एक्शन ले रहा है, जिसकी वजह से व्हाइट हाउस के अधिकारियों के खिलाफ कई मुकदमे दायर किए गए हैं. न्यू हैम्पशायर, इंडियाना और कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में भी ऐसे मुकदमे दायर किए जा चुके हैं. ट्रंप प्रशासन लगातार अमेरिकी शिक्षण संस्थानों को निशाना बना रहा है और उन पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश में लगा हुआ है. बीते दिनों सरकार की शर्तें न मानने के बाद प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को दी जाने वाली 2.3 अरब डॉलर की फेडरल फंडिंग को भी रोक दिया गया था.

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