'भारत न्यूक्लियर ब्लैकमेल से डरने वाला नहीं…', एस जयशंकर ने फिर साधा पाकिस्तान पर निशाना, पहलगाम हमले को बताया आर्थिक युद्ध
इजरायल-ईरान के बीच हुए संघर्ष को कम करने के लिए भारत के शांति प्रस्ताव पर भी जयशंकर ने कहा कि हम दोनों देशों की मदद को तैयार हैं. उन्होंने पाकिस्तान को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि हम परमाणु हथियारों की धमकी से डरने वाले नहीं हैं. हम अपने लोगों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएंगे.
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत को एक सभ्यतागत राष्ट्र, बहुलतावादी लोकतंत्र, प्रतिभा का स्रोत, कूटनीतिक सेतु और वैश्विक दक्षिण की आवाज बताया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत जल्द ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के साथ व्यापार समझौता करने में सफल होगा. विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 'न्यूजवीक' के सीईओ डेव प्रगाड़ के साथ एक खास बातचीत में भारत की भूमिका और स्थिति पर अपने विचार साझा किए. मैनहट्टन में जयशंकर ने अपनी यात्रा की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 'द ह्यूमन कॉस्ट ऑफ टेररिज्म' टाइटल से एक प्रदर्शनी का उद्घाटन करके की, जिसे संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की ओर से आयोजित किया गया था.
‘जटिल व्यापार वार्ता के बीच में हैं’
अमेरिका के साथ ट्रेड डील को लेकर जयशंकर ने कहा, " हम एक बहुत ही जटिल व्यापार वार्ता के बीच में हैं, उम्मीद है कि बीच से भी अधिक बीच में. मेरी उम्मीद होगी कि हम इसे एक सफल निष्कर्ष पर ले जाएं. मैं गारंटी नहीं दे सकता, क्योंकि उस चर्चा में एक और पक्ष है. मुझे विश्वास है कि यह संभव है और मुझे लगता है कि हमें अगले कुछ दिनों तक इस क्षेत्र पर नजर रखनी होगी."
उन्होंने कहा कि ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं. जयशंकर ने एशिया और प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रतिकार के रूप में काम करने वाले देशों के क्वाड के भीतर देशों के बीच संबंधों के महत्व को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि आपके पास चार देश हैं, एक तरह से इंडो-पैसिफिक के चार कोने, जिन्होंने वास्तव में यह तय किया है कि एक स्थिर या अधिक समृद्ध इंडो-पैसिफिक बनाने में उनकी साझा रुचि है और वे व्यावहारिक आधार पर काम करने के इच्छुक हैं.
‘चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं’
उन्होंने यह भी कहा कि भारत पड़ोसी चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहता है. जयशंकर ने कहा कि हमारा अमेरिका के साथ बहुत अच्छा तालमेल है. साथ ही, हम चीन के सबसे बड़े पड़ोसी हैं.
‘आतंकियों पर हमला करेगा और अपने लोगों की रक्षा करेगा’
मौके पर पाकिस्तान से बातचीत के प्रस्ताव को लेकर भी सवाल किया गया. जिसे विदेश मंत्री ने सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, " हम अब ऐसी नीति अपना रहे हैं जिसमें आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा. हम यह नहीं मानते कि आतंकी केवल प्रॉक्सी हैं और राज्य का कोई दोष नहीं है. पाकिस्तान इस मामले में पूरी तरह शामिल है. भारत आतंकियों पर हमला करेगा और अपने लोगों की रक्षा करेगा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शांति वार्ता की बात कही, लेकिन जयशंकर ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के बीच अन्य मुद्दों पर बातचीत संभव नहीं है."
उन्होंने कहा कि आतंकवाद को पड़ोसी पर दबाव बनाने का हथियार नहीं बनाया जा सकता. एक अच्छा पड़ोसी और एक आतंकवादी एक साथ नहीं हो सकते. पाकिस्तान को आतंकवाद खत्म करना होगा. इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि हम परमाणु हथियारों की धमकी से डरने वाले नहीं हैं. हम अपने लोगों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएंगे.
आतंकियों को सजा देकर रहेंगे
जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमला एक आर्थिक युद्ध था. इसका मकसद कश्मीर में पर्यटन को तबाह करना था, जो अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. इसका मकसद धार्मिक हिंसा को भड़काना भी था क्योंकि लोगों को मारने से पहले उनके धर्म की पहचान की गई थी.
उन्होंने कहा, 'इसलिए हमने तय किया कि हम आतंकियों को बिना किसी सजा के काम करने नहीं दे सकते. यह विचार कि वे सीमा के उस पार हैं और इसलिए बच जाएंगे, मुझे लगता है, यह एक ऐसा प्रस्ताव है जिसे चुनौती देने की जरूरत है और हमने यही किया.' जयशंकर अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं और मंगलवार को क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए वॉशिंगटन डीसी जाएंगे.
इजरायल-ईरान के सीजफायर पर भी बोले जयशंकर
इजरायल-ईरान के बीच हुए संघर्ष को कम या खत्म करने के लिए भारत के शांति प्रस्ताव पर भी जयशंकर ने बात की. उन्होंने कहा कि भारत का इजरायल और ईरान दोनों के साथ अच्छा रिश्ता है. भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से है जो दोनों से खुलकर और ईमानदारी से बात कर सकता है. भारत ने पहले भी ऐसा करने की कोशिश की है.
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा बहुत जटिल है और आसानी से हल नहीं हो सकता. लेकिन अगर हम किसी भी तरह से मदद कर सकते हैं, चाहे वह इजरायल, ईरान, अमेरिका या आईएईए (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के लिए हो, हम तैयार हैं.
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देश अपने हितों के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहा
जयशंकर ने आगे कहा कि अमेरिका की नीतियों में बदलाव से विश्व व्यवस्था में बड़ा बदलाव आ रहा है. पहले जैसी गठबंधन-केंद्रित दुनिया अब कम हो रही है. अब देश अपने हितों को अधिक स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि चीन और भारत का उदय, रूस की स्थिति और देशों का अपने हितों को प्राथमिकता देना, दुनिया को अधिक व्यक्तिगत और स्वतंत्र दिशा में ले जा रहा है.