'जब भारत कमजोर था तब तो झुका नहीं, अब कोई क्या झुकाएगा...', विदेश मंत्री का इशारों ही इशारों में ट्रंप को संदेश
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिना नाम लिए अमेरिका को दो टूक संदेश दिया है. उन्होंने टैरिफ समेत कई मुद्दों पर भारत को लगातार दबाव में लाने की कोशिश कर रहे देशों को कहा कि जब भारत कमजोर था तब भी किसी के साथ गठजोड़ नहीं किया था, किसी के सामने झुका नहीं, अब तो स्थिति भी बदली हुई है, भारत भी बदला है, झुकने का कोई सवाल ही नहीं है.
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दुनिया में टैरिफ को लेकर जारी ट्रेड वॉर के बीच भारत को झुकाने की कोशिश करने वाले देशों और तथाकथित शक्तियों को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तगड़ा जवाब दिया है. उन्होंने हिंदुस्तान की इंडिपेंडेंट और सशक्त विदेश नीति को लेकर इतिहास से साक्षात्कार कराते हुए कहा कि जब भारत कमजोर था, संघर्ष कर रहा था तब भी किसी के साथ गठजोड़ नहीं किया, आज तो ऐसा करने की कोई वजह नहीं है.
उन्होंने अमेरिका पर इशारों ही इशारों में तंज कसते हुआ कहा कि कुछ देशों के व्यवहार ने भारत को "स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी" यानी रणनीतिक स्वायत्तता अपनाने के विचार को और मजबूत किया.
'भारत को बनना होगा पड़ोसियों के समक्ष पहला विकल्प'
देश की जानी मानी और जहां से खुद विदेश मंत्री ने पढ़ाई की, उसी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में आयोजित अरावली समिट में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत को दक्षिण एशिया में हर संकट के समय "गो-टू ऑप्शन" बनना होगा. उन्होंने कहा कि पड़ोस और दुनियाभर में राजनीतिक अस्थिरता के इस दौर में भारत को "कोऑपरेशन (सहयोग और मददगार) के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर" खुद तैयार करना होगा.
जब भारत कमजोर था तब नहीं झुका, किसी से गठजोड़ नहीं किया, अब कोई क्या झुकाएगा, अब चीजें बदल गईं हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर की इशारों ही इशारों में ट्रंप को संदेश.#SJaishankar #JNU #Trump pic.twitter.com/qJQ1xVjh2J
— NMF NEWS (@nmfnewsofficial) October 7, 2025
'देना होगा नेवरहुड फर्स्ट पॉलिसी पर जोर'
विदेश मंत्री ने मोदी सरकार की पड़ोसी फर्स्ट पॉलिसी का हवाला देते हुए कहा कि, 'यही नेवरहुड फर्स्ट पॉलिसी का सार है. उन्होंने सलाह दी कि ग्लोबल साउथ के अलावा भारत को इस उपमहाद्वीप में हर संकट में पहला विकल्प बनना चाहिए. उनका इशारा श्रीलंका और अन्य देशों की ओर था जहां चीन ने खाली विकल्प को भरने की कोशिश की और स्ट्रैटेजिक स्पेस हथिया लिया. उन्होंने कहा कि विभाजन के परिणामस्वरूप जो रणनीतिक क्षरण हुआ है, उसे दूर करना होगा."
'दुनिया बदल गई है, भारत को भी बदलना होगा, आगे बढ़ना होगा'
दुनियाभर के देशों में बढ़ रही प्रतिस्पर्धा पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि आज वैश्विक हालात बदल गए हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया परस्पर सहयोग के वादे से हटकर प्रतिस्पर्धा की दिशा में बढ़ रही है. उन्होंने इसकी वजह भी बताई और कहा कि "यह सब कुछ हथियारकरण से प्रेरित है.
कौन अपना कौन पराया, इसकी समझ ही असली चुनौती: जयशंकर
उन्होंने पूरी दुनिया के देशों के समक्ष मौजूद चुनौतियों, परेशानियों का जिक्र करते हुए कहा कि इस स्थिति में अपने लिए स्पेस निकालना कठिन होगा. हालाकि भारत को इस अस्थिरता के बीच अपनी रणनीति बनाकर लगातार आगे बढ़ना होगा. विदेश मंत्री ने कहा कि सारी चुनौती दुनिया के नए वर्ल्ड ऑर्डर यानी कि कौन किसके साथ है, किसके क्या हित हैं, कौन आपका है और कौन पराया है यानी कि इस जटिल परिदृश्य को सही तरह से पढ़ने की है.
'हमें अपना नैरेटिव गढ़ना होगा'
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को दुनिया की शक्ति बनना होगा यानी कि हम अपना नैरेटिव खुद गढ़ना होगा. जयशंकर ने कहा कि भारत को अपने हितों की रक्षा करते हुए, बिना अपने राष्ट्रीय हित से समझौता किए बदलते वैश्विक परिदृश्य में भी लगातार आगे बढ़ना होगा. उन्होंने 3D की नीति पर जोर देते हुए कहा कि, "भारत की दृष्टि से डिमांड, डेमोग्राफिक्स और डेटा जैसे कारक उसकी प्रगति को आगे बढ़ाएंगे. हमें 2047 की यात्रा के लिए अपने विचार, अपनी शब्दावली और नैरेटिव खुद गढ़ने होंगे."
JNU के छात्रों को भी विदेश मंत्री की सलाह
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जयशंकर ने जेएनयू के School of International Studies (SIS) को सलाह दी कि उसे अपनी भूमिका और जिम्मेदारी को नए स्तर पर लेकर जाना चाहिए ताकि भारत एक अग्रणी शक्ति के रूप में उभर सके. उन्होंने कहा, "SIS भारत की क्षमता निर्माण में अग्रणी रहा है और इसने देश में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन को प्रेरित किया है. अब इसे विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में योगदान देना होगा."
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