'हाइड्रोजन बम की ताकत होती तो…’, रिटायर्ड अफसरों के बाद पूर्व DGP विक्रम सिंह का राहुल गांधी पर कड़ा पलटवार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर लगाए आरोपों को लेकर 272 रिटायर्ड अधिकारियों के खुले पत्र से विवाद तेज हो गया है. अब यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं पर बार-बार सवाल उठाना गलत है और राहुल गांधी आरोपों पर शपथपत्र देने से बचते हैं.
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगातार लगाए जा रहे आरोपों के बीच बुधवार को देश के 272 रिटायर्ड जजों और ब्यूरोक्रेट्स द्वारा उन्हें संबोधित एक खुला पत्र लिखे जाने से सियासी बहस तेज हो गई है. अब इस मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि देश के जिम्मेदार नागरिकों ने अत्यंत आक्रोशित होकर यह पत्र लिखा है. उनका कहना है कि यह पत्र इसलिए जरूरी था क्योंकि चुनाव आयोग, सेना, न्यायपालिका जैसी संवैधानिक और प्रमुख संस्थाओं पर बार-बार सवाल उठाने का कोई औचित्य नहीं है.
शपथ पत्र क्यों नहीं देते राहुल गांधी
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा है कि प्रश्नचिन्ह लगाने के बाद जब उन्हें शपथ पत्र देने का अवसर दिया जाता है तो वहां पर कोई जवाब नहीं आता. इससे यह आभास होता है कि आप सिर्फ आरोप लगाते हैं. अगर आपके आरोपों में सच्चाई होती, आपके हाइड्रोजन बम या एटम बम में सामर्थ्य होता तो आप शपथ पत्र जरूर प्रस्तुत करते. उन्होंने कहा कि देश आपका अनर्गल प्रलाप देख रहा है और यह नई-नई ऊंचाइयां प्राप्त कर रहा है. बेहतर होगा कि जमीन पर काम किया जाए. लोगों के दुःख में शामिल हुआ जाए. चरमपंथी लोगों की निंदा की जाए. जाति पर बात नहीं की जानी चाहिए कि कहां कितने सवर्ण हैं और कितने अनुसूचित जाति के हैं. सब एक हैं और भारत में सबका विशेष स्थान है. सबका ख्याल रखने के लिए बाबा साहेब अंबेडकर ने अच्छी व्यवस्था की है.
अपनी भूमिका से भटक रहा विपक्ष: एसपी वैद
विक्रम सिंह ने कहा कि जातीयता का फूट नहीं डालना चाहिए. सबकुछ कहने के बाद भी जनता ने आपको बुरी तरह नकार दिया है. आपकी बातों में सफेद झूठ दिखाई पड़ रहा है. जाति के आधार पर हमारी फौज और न्यायालय को, चुनाव आयोग के अधिकारियों को धमकाने का कोई औचित्य नहीं है. आपके पद को यह शोभा नहीं देता. वहीं इनके पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी. वैद ने कहा कि हम चाहते हैं कि विपक्ष एक मजबूत भूमिका निभाए, लेकिन विपक्ष के नेता को संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बनाना और देश के खिलाफ बोलना शोभा नहीं देता. पहले राहुल गांधी भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाते थे. सुरक्षा बल आपके भी हैं, सिर्फ सरकार के नहीं. उनकी आलोचना करना मतलब देश की आलोचना करना है.
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बताते चलें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयानों, रिटायर्ड अधिकारियों के खुले पत्र और अब पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों की प्रतिक्रियाओं ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है. संवैधानिक संस्थाओं पर उठते सवालों के बीच यह बहस अब राष्ट्रहित, जिम्मेदारी और राजनीतिक मर्यादा के मुद्दे पर नई दिशा लेती दिखाई दे रही है.
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