Advertisement

'मेरे हाथ में रिमोट कंट्रोल नहीं...', दौसा के सरकारी ऑफिस में 15 अगस्त को नहीं हुआ ध्वजारोहण, हुआ सवाल तो अधिकारी का आया शर्मनाक जवाब

देशभर में 79वां स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया गया. देशभर के तमाम सरकारी विभागों के कार्यालय झंडा फहराया गया.वहीं राजस्थान के दौसा में मत्स्य विभाग का ऑफिस बंद रहा और झंडा नहीं फहराया गया. वीडियो वायरल होने पर अधिकारी ने कहा कि उनकी पोस्टिंग जयपुर है, इतने दूर से झंडा कैसे फहराते, हाथ में कोई रिमोट कंट्रोल तो है नहीं.

16 Aug, 2025
( Updated: 16 Aug, 2025
10:39 PM )
'मेरे हाथ में रिमोट कंट्रोल नहीं...', दौसा के सरकारी ऑफिस में 15 अगस्त को नहीं हुआ ध्वजारोहण, हुआ सवाल तो अधिकारी का आया शर्मनाक जवाब

देश ने शुक्रवार को अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम और देशभक्ति के जोश के साथ मनाया. राजधानी दिल्ली के लालकिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 12वीं बार झंडा फहराया और आत्मनिर्भर भारत का संकल्प दोहराया. पूरा देश तिरंगे के रंग में रंगा नजर आया. हर सरकारी दफ्तर में झंडा फहराया गया, लेकिन राजस्थान के दौसा से आई एक तस्वीर ने इस राष्ट्रीय पर्व की गरिमा को धक्का पहुंचा दिया.

वीडियो वायरल हुआ तो खुला राज

दरअसल, दौसा जिले के मत्स्य विभाग का ऑफिस स्वतंत्रता दिवस के दिन बंद रहा. ऑफिस पर ताला लटका था और वहां झंडा भी नहीं फहराया गया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसके बाद यह मामला तूल पकड़ गया है. दौसा मत्स्य विभाग का ऑफिस जिला मुख्यालय पर है. यह वही जगह है जहां रोजाना कई लोग अपने काम से पहुंचते हैं. लेकिन स्वतंत्रता दिवस के दिन जब लोग यहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि ऑफिस बंद है. न तो कोई अफसर था और न ही कोई कर्मचारी. तिरंगे की जगह ऑफिस के गेट पर ताला लटका मिला. किसी ने इसका वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर डाल दिया. देखते ही देखते यह वीडियो वायरल हो गया और प्रशासन पर सवाल उठने लगे.

अधिकारी ने दी सफाई

जब इस मामले पर अफसर से सवाल हुआ तो जवाब और भी चौंकाने वाला निकला. मत्स्य विभाग के FDO प्रेम सिंह प्रजापत ने कहा कि उनकी पोस्टिंग जयपुर में है. दौसा का अतिरिक्त चार्ज उनके पास है. स्वतंत्रता दिवस के दिन वह जयपुर में ही मौजूद थे. उनका तर्क था, "इतनी दूर से झंडा कैसे फहराता? मेरे हाथ में कोई रिमोट कंट्रोल तो है नहीं." उनके इस बयान ने आग में घी का काम किया. सवाल उठने लगे कि अगर अफसर खुद मौजूद नहीं थे तो उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की. आखिर क्यों एक राष्ट्रीय पर्व पर पूरे जिले का सरकारी दफ्तर बंद पड़ा रहा.

स्टाफ गायब

जांच में यह भी सामने आया कि ऑफिस में कुल चार कर्मचारी हैं. लेकिन उस दिन कोई भी ड्यूटी पर नहीं था. एफडीओ प्रेम सिंह जयपुर में थे. राजपाल नामक कर्मचारी को कोटा पर डेपुटेशन पर भेजा गया है और वे सोमवार को ज्वॉइन करने वाले थे. एक अन्य इंस्पेक्टर वसीम के परिवार में शोक होने के कारण वह छुट्टी पर थे. वहीं महिला कर्मचारी भी परिजनों की तबीयत खराब होने की वजह से नहीं आईं. नतीजा यह हुआ कि पूरे ऑफिस में एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं रहा और स्वतंत्रता दिवस का ध्वजारोहण नहीं हो सका.

विभाग का गोलमोल बयान

इस मामले पर जब विभाग से पूछा गया तो उनका जवाब गोलमोल ही नजर आया. विभाग के अधिकारी ने कहा कि "अगर स्टाफ ही मौजूद नहीं था तो झंडा कौन फहराता. यह कहना मुश्किल है कि ध्वजारोहण हुआ या नहीं. इस बारे में हम जांच करेंगे." उनका कहना था कि ध्वजारोहण के लिए स्थायी स्टाफ की व्यवस्था होनी चाहिए थी. लेकिन सवाल यह है कि जब पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस को लेकर खास तैयारी होती है, तब दौसा जैसे संवेदनशील जिले में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई.

लोगों में गुस्सा, सम्मान पर चोट

जिले में यह मामला चर्चा का विषय बन गया है. लोगों का कहना है कि स्वतंत्रता दिवस सिर्फ सरकारी औपचारिकता नहीं बल्कि राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है. हर नागरिक इस दिन तिरंगे को नमन करता है. ऐसे में किसी भी सरकारी दफ्तर का बंद रहना और झंडा न फहराया जाना सीधा-सीधा राष्ट्रीय पर्व के अपमान जैसा है. स्थानीय लोगों ने इस लापरवाही पर नाराजगी जताई और प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है. उनका कहना है कि जो अफसर और कर्मचारी इस दिन जिम्मेदारी नहीं निभा सके, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए.

सरकार की साख पर सवाल

बीजेपी शासित राजस्थान में यह घटना सरकार की साख पर भी सवाल खड़े कर रही है. विपक्ष ने इसे तुरंत मुद्दा बना लिया है. उनका कहना है कि सरकार राष्ट्रीय पर्वों की मर्यादा तक नहीं बचा पा रही. वहीं सरकार समर्थक भी मान रहे हैं कि यह गलती गंभीर है और इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. इस घटनाक्रम अब बड़ा सवाल यह है कि इस शर्मनाक घटना की जिम्मेदारी कौन लेगा. क्या सिर्फ स्टाफ के छुट्टी पर होने से इतिश्री हो जाएगी. या फिर विभाग और सरकार इस लापरवाही को गंभीरता से लेकर आगे के लिए ठोस कदम उठाएगी.

यह भी पढ़ें

बताते चलें कि दौसा की यह घटना सिर्फ एक विभाग की लापरवाही नहीं बल्कि उस सोच का प्रतीक है, जो राष्ट्रीय पर्वों को औपचारिकता मानकर चलता है. अब देखना होगा कि सरकार और विभाग इस घटना पर कैसी कार्रवाई करते हैं. क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी कुछ दिनों में ठंडे बस्ते में चला जाएगा. लेकिन इतना तय है कि दौसा की इस घटना ने पूरे प्रदेश और देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर हम अपनी आज़ादी की असली कीमत समझ भी रहे हैं या नहीं.

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
'मुसलमान प्रधानमंत्री बनाने का प्लान, Yogi मारते-मारते भूत बना देंगे इनका’ ! Amit Jani
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें