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GST 2.0... दूध, दवा, गाड़ी, बीमा से लेकर जूते, चप्पल और कपड़े तक हुए सस्ते, 12% और 28% के स्लैब खत्म; क्या-क्या हुआ सस्ता, देखें पूरी लिस्ट

बुधवार की शाम जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में बड़ा फैसला लिया गया. अब सिर्फ दो मुख्य जीएसटी स्लैब रहेंगे. 5% और 18% जबकि 12% और 28% स्लैब खत्म कर दिए गए हैं. जीवन रक्षक दवाएं, हेल्थ-लाइफ इंश्योरेंस, दूध, पनीर और अन्य जरूरी चीज़ें टैक्स फ्री कर दी गई हैं. वहीं विलासिता और हानिकारिक वस्तुओं को 40% स्लैब में रखा गया है. ये बदलाव 22 सितंबर से लागू होंगे.

04 Sep, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
02:00 AM )
GST 2.0... दूध, दवा, गाड़ी, बीमा से लेकर जूते, चप्पल और कपड़े तक हुए सस्ते, 12% और 28% के स्लैब खत्म; क्या-क्या हुआ सस्ता, देखें पूरी लिस्ट
Nirmala Sitharaman (File Photo)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा था कि इस दिवाली लोगों को एक बड़ा तोहफ़ा मिलेगा. पीएम मोदी ने ऐलान किया था कि दीपावली पर जीएसटी दरों में बड़ी राहत दी जाएगी. प्रधानमंत्री के वादे से पहले ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक के बाद बड़ा ऐलान कर दिया. बैठक में आम लोगों, छोटे कारोबारियों और किसानों को राहत देते हुए कई जरूरी वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कमी की गई और कुछ को पूरी तरह टैक्स मुक्त कर दिया गया.

अब होंगे सिर्फ दो जीएसटी स्लैब

दरअसल, बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक हुई और इसमें कई बड़े फैसले लिए गए. वित्त मंत्री ने घोषणा की कि अब जीएसटी के केवल दो मुख्य स्लैब रहेंगे. 5% और 18%. जबकि 12% और 28% वाले स्लैब को खत्म कर दिया गया है. हालांकि विलासिता और हानिकारिक वस्तुओं के लिए एक विशेष स्लैब 40% का रखा गया है. ये नए बदलाव 22 सितंबर से लागू होंगे. नए बदलाव से मिडिल क्लास को बड़ी राहत मिलेगी. इस बदलाव के तहत अब 2500 रुपये तक के जूते-चप्पल और कपड़े 5% टैक्स के दायरे में आएंगे. पहले सिर्फ 1000 रुपये तक के सामान पर 5% जीएसटी लगता था, जबकि उससे ऊपर के सामान पर 12% टैक्स लगता था. अगर अब आप 2500 रुपये तक के जूते या चप्पल या कपड़े खरीदते हैं तो आपको पहले के मुकाबले फायदा होगा यानी ये चीजें आपको सस्ती मिलेंगी.

किन सामानों पर मिलेगा लाभ

केंद्र सरकार ने आम जनता की समस्या को समझते हुए दैनिक उपयोग की चीज़ों पर बड़ी राहत दी है.

  • जीरो जीएसटी स्लैब: यूएचटी दूध, छेना, पनीर, पिज़्ज़ा ब्रेड, रोटी और पराठा, शैम्पू, साबुन, तेल समेत रोजमर्रा की इस्तेमाल वाली समान पर भी बड़ी राहत.
  • 5% स्लैब: नमकीन, पास्ता, कॉफी, नूडल्स.
  • 18% स्लैब (पहले 28%): छोटी कारें, बाइक, सीमेंट और टीवी.
  • टैक्स फ्री: 33 जीवन रक्षक दवाएं जिनमें तीन कैंसर की दवाएं शामिल हैं.
  • 40% स्लैब: पान मसाला, सिगरेट, गुटका, बीड़ी, तंबाकू उत्पाद और फ्लेवर्ड कार्बोनेटेड ड्रिंक्स.

शिक्षा से जुड़ी वस्तुएं टैक्स फ्री

इसके साथ ही सरकार ने शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी वस्तुओं को भी जीएसटी से मुक्त कर दिया है. इसमें कॉपी-किताबें, नक्शे-चार्ट, ग्लोब, एटलस, प्रैक्टिस बुक और लैबोरेटरी से जुड़ी सामग्री शामिल है. पहले इन पर 12% टैक्स लगाया जाता था. 

दवाइयों और इंश्योरेंस पर राहत

बैठक में एक और अहम फैसला यह रहा कि 33 जीवन रक्षक दवाओं पर जीएसटी पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है. इसके अलावा व्यक्तिगत हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी को भी टैक्स फ्री कर दिया गया है. इससे गंभीर बीमारियों का इलाज सस्ता होगा और आम लोगों को सीधी राहत मिलेगी.

राज्यों के समर्थन पर सरकार का फोकस

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह फैसला आम जनता, किसानों और लेबर क्लास को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. बैठक में शामिल सभी राज्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. उनका कहना था कि समय की मांग को देखते हुए टैक्स स्लैब को कम करना बेहद ज़रूरी था. काउंसिल की बैठक में लिए गए फैसलों के बाद 22 सितंबर से रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़ी चीज़ें सस्ती हो जाएंगी. इससे आम आदमी की जेब पर बोझ कम होगा और उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी होगी. यह भी साफ हो गया है कि मोदी सरकार अगले चरण में जीएसटी सुधारों को और आसान और पारदर्शी बनाने की दिशा में काम कर रही है. भारत में लागू किए गए इन नए बदलावों से साफ है कि सरकार का ध्यान अब आम लोगों को राहत देने और आर्थिक गतिविधियों को तेज़ी से आगे बढ़ाने पर है. दिवाली से पहले किया गया यह फैसला मोदी सरकार का बड़ा राजनीतिक और आर्थिक दांव माना जा रहा है.

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बताते चलें कि दिवाली से पहले लिया गया यह फैसला केवल आर्थिक सुधार भर नहीं है, बल्कि आम जनता को राहत देने की एक ठोस कोशिश भी है. सरकार का उद्देश्य है कि लोगों की जेब पर बोझ कम हो और साथ ही देश की अर्थव्यवस्था में खपत और विकास को नई गति मिले. जीएसटी दरों में इस बड़े बदलाव ने न सिर्फ छोटे कारोबारियों और किसानों को उम्मीद दी है, बल्कि आम उपभोक्ता के लिए भी त्योहारों की रौनक और बढ़ा दी है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन सुधारों का असर बाज़ार और देश की आर्थिक स्थिति पर कितना सकारात्मक पड़ता है.

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