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ऊपर से मुसलमान और दिल से हिंदू कहे जाने पर Governor Arif Mohammad Khan ने दिया दमदार जवाब!

एक मुसलमान होने के बावजूद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सनातन धर्म से जुड़े आयोजनों में शामिल होते रहे हैं और मठ-मंदिरों में जाते रहे हैं, इसीलिये उन पर आरोप लगाया जाने लगा है कि वो ऊपर से मुसलमान और अंदर से हिंदू हैं, ऐसी मानसिकता वालों को अब खुद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए सुनिये क्या कहा ?

आरिफ मोहम्मद खान... देश की राजनीति का ये वो चेहरा है जिसने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का विरोध करते हुए राजीव गांधी की सरकार से इस्तीफा दे दिया था... जिनके एक वोट की वजह से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई थी… लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब यही आरिफ मोहम्मद खान बीजेपी में शामिल हो गये… और आज मोदी सरकार ने उन्हें बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी है...

आरिफ मोहम्मद खान धर्म से भले ही मुसलमान हैं… और इस्लाम धर्म को मानते हैं… लेकिन इसके बावजूद दूसरे धर्मों को सम्मान कैसे दिया जाता है… ये बात भी अच्छी तरह से जानते हैं... यही वजह है कि साल 2024 में जब श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ तो केरल के तत्कालीन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अयोध्या की पावन धरती पर कदम भी रखा... और दंडवत होकर रामलला को प्रणाम भी किया…

और जब इसी साल तीर्थराज प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन हुआ... देश-दुनिया से लाखों करोड़ों श्रद्धालु संगम नगरी पधारे… उस वक्त भी बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान एक मुसलमान होने के बावजूद महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज आए... और अब जब बिहार के जिला मुजफ्फरपुर में स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी के नेतृत्व में श्रीविद्या त्रिकोटि कुमकुमार्चन महायज्ञ का आयोजन हुआ तो इस महायज्ञ में भी शामिल होने के लिए पहुंचे…

जिस तरह से एक मुसलमान होने के बावजूद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सनातन धर्म से जुड़े आयोजनों में शामिल होते रहे हैं और मठ-मंदिरों में जाते रहे हैं... उनके विरोधियों को लगता है ये बात बर्दाश्त नहीं होती है… इसीलिये उन पर आरोप लगाया जाने लगा है कि वो ऊपर से मुसलमान और अंदर से हिंदू हैं... ऐसी मानसिकता वालों को अब खुद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि... मैं चर्च में भी उसी श्रद्धा के साथ जाऊंगा… मंदिर में भी उसी श्रद्धा के साथ जाऊंगा… जिस श्रद्धा से मैं मस्जिद में जाऊंगा…

जिस श्रद्धा के साथ राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान मस्जिदों में जाते हैं… उसी श्रद्धा के साथ वो मंदिरों और चर्च में भी जाते हैं… क्योंकि वो इस्लाम के साथ-साथ दूसरे धर्मों को भी सम्मान देना जानते हैं... और दूसरे धर्मों को सम्मान देने से उनका इस्लाम धर्म खतरे में नहीं पड़ता है… मठ-मंदिरों में जाने के बावजूद वो पहले भी मुस्लिम थे और आज भी मुस्लिम हैं…

आरिफ मोहम्मद खान राजनीति के पुराने खिलाड़ी रहे हैं... जिन्हें साल 1986 में देश की सत्ता में राजीव गांधी की सरकार थी… उस सरकार में आरिफ मोहम्मद खान केंद्रीय मंत्री थे… लेकिन उसी दौरान देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर की एक मुस्लिम महिला शाहबानो से जुड़े तलाक के मामले उसके पति को हर्जाना देने का आदेश सुनाया था… लेकिन राजीव गांधी की सरकार ने संसद के जरिये सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही पलट दिया था… जिसके बाद तत्कालीन पीएम राजीव गांधी पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सामने घुटने टेकने के आरोप लगे... क्योंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पक्ष में नहीं था... राजीव गांधी के इसी कदम के विरोध में आरिफ मोहम्मद खान ने मंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ ही कांग्रेस का साथ भी छोड़ दिया था... जिस पर तत्कालीन कांग्रेस नेता पीवी नरसिम्हा राव ने कहा था कि तुम इस्तीफा क्यों दे रहे हो? तुम्हारा अभी लंबा करियर है, इस मामले में तो अब शाहबानो भी मान गई है, हम कोई समाज सुधारक नहीं हैं, अगर मुसलमान गटर में रहना चाहते हैं तो रहने दो.
लेकिन इसके बावजूद आरिफ मोहम्मद खान नहीं माने… और फिर दोबारा कभी कांग्रेस में नहीं गये... अभी फिलहाल वो बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं… ऐसे नेता के बारे में आपका क्या कहना है अपनी राय हमें कमेंट कर जरूर बताएं... साथ ही संसद में शाहबानो केस को लेकर पीएम मोदी ने साल 2019 में क्या कुछ कहा था वो भी सुन लीजिये…

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