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नेशनल हेराल्ड मामले में बढ़ीं गांधी परिवार की मुश्किलें, दर्ज हुई नई FIR...जाएगी सोनिया-राहुल गांधी की सांसदी?

नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार मसलन नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने दोनों के खिलाफ एक नई FIR दर्ज की है. इस पूरे केस में राहुल और सोनिया के साथ-साथ कुल अन्य 6 लोगों सहित तीन कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है.

Created By: केशव झा
30 Nov, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
07:20 AM )
नेशनल हेराल्ड मामले में बढ़ीं गांधी परिवार की मुश्किलें, दर्ज हुई नई FIR...जाएगी सोनिया-राहुल गांधी की सांसदी?

नेशनल हेराल्ड से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में गांधी परिवार बुरी तरह घिरती हुई नजर आ रही है. ED की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की EOW ने नई FIR दर्ज की है. इसमें सोनिया गांधी-राहुल गांधी, सैम पित्रोदा के साथ-साथ कुछ 6 लोगों और तीन कंपनियों को आरोपी बनाया गया है. अगर मामला आगे बढ़ता है, केस साबित हो जाता है, सजा होती है तो राहुल-सोनिया की सांसदी भी जा सकती है और उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग सकती है.

'आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी...'

FIR में आरोप लगाया गया है कि क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी यानी आपराधिक साजिश के तहत, धोखाधड़ी से कांग्रेस से जुड़ी कंपनी AJL (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) को अपने कब्जे में लिया गया.

आपको बताएं कि ईडी की शिकायत पर ये FIR 3 अक्टूबर को दर्ज की गई. मालूम हो कि ईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट दिल्ली पुलिस के साथ साझा की थी. कानून और PMLA की धारा 66(2) के तहत ED के पास अधिकार है कि वो किसी एजेंसी या जांच विंग से अनुसूचित अपराध दर्ज करने को कह सकती है.

किस-किस के FIR में हैं नाम?

FIR में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा (इंडियन ओवरसीज कांग्रेस प्रमुख), सुमन दुबे और सुनील भंडारी को आरोपी बनाया गया है. साथ ही साथ तीन कंपनियों मसलन AJL, Young Indian, Dotex Merchandise Pvt Ltd के नाम भी इस FIR में शामिल हैं. इन सबको  प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत आरोपी बनाया गया है.

आरोप है कि डोटेक्स जो कोलकाता की कथित शेल कंपनी है, जिसने Young Indian को ₹1 करोड़ दिए थे. आरोप है कि इस लेन-देन की मदद से Young Indian ने कांग्रेस को ₹50 लाख देकर करीब ₹2,000 करोड़ की संपत्ति वाली AJL पर नियंत्रण पा लिया. इस कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी की अधिकांश हिस्सेदारी है.

वहीं इसी मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी द्वारा दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने का फैसला टाल दिया. अब अदालत 16 दिसंबर को अपना आदेश सुनाएगी, हालांकि ईडी की जांच पर कांग्रेस की दलील थी कि यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है.  

अदालत ने 7 नवंबर को आदेश सुरक्षित रखते हुए ईडी से कुछ अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांगे थे. विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) विशाल गोगने ने कहा था कि कुछ दस्तावेज और वित्तीय लेन-देन की जानकारी को और गहराई से देखना जरूरी है. अदालत ने केस रिकॉर्ड की जांच के बाद बताया कि लेन-देन से जुड़े दस्तावेज, कथित किराए की रसीदें और फंड फ्लो का पूरा पैटर्न विस्तार से देखने के बाद ही फैसला लिया जा सकता है. अदालत ने कहा था, "अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने केस फाइलों की जांच के मद्देनजर जरूरी स्पष्टीकरण दे दिए हैं. आदेश अब 16 दिसंबर को सुनाया जाएगा."

ED ने कोर्ट में क्या कहा?

ईडी का कहना है कि इसमें फर्जीवाड़ा और मनी लॉन्ड्रिंग के स्पष्ट सबूत मिले हैं और यह एक गंभीर आर्थिक अपराध है. वहीं कांग्रेस का दावा है कि यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है. उनका कहना है कि यंग इंडियन का गठन कानूनी नियमों के तहत हुआ और इसमें किसी भी तरह का निजी लाभ शामिल नहीं है.

ईडी ने आरोप लगाया है कि कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर कुछ लोगों ने वर्षों तक फर्जी अग्रिम किराया भुगतान दिखाया और नकली किराया रसीदें जारी कीं. एजेंसी के अनुसार, यह सब एजेएल की संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल करने की योजना का हिस्सा था.

सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर शुरू हुआ केस

इस विवाद की शुरुआत 2012 में हुई, जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने आरोप लगाया कि एजेएल के अधिग्रहण की प्रक्रिया में कांग्रेस नेताओं ने धोखाधड़ी और भरोसे का उल्लंघन किया.

मालूम हो कि इस केस की अगली सुनवाई अब 16 दिसंबर को होगी, जब अदालत तय करेगी कि क्या ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लिया जाएगा या नहीं.

जवाहरलाल नेहरू ने की थी नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना

बता दें कि नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी. इसका प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की ओर से किया जाता था. आर्थिक संकट के कारण 2008 में अखबार बंद कर दिया गया, जिसके बाद विवाद की शुरुआत हुई. साल 2010 में 'यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' नामक कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में खुलासा हुआ कि यंग इंडियन ने 50 लाख रुपए में एजेएल की करीब 2,000 करोड़ रुपए की संपत्तियां हासिल कीं, जबकि उनकी बाजार कीमत कहीं अधिक थी. नवंबर 2023 में ईडी ने कार्रवाई करते हुए लगभग 661 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां और 90.2 करोड़ रुपए के एजेएल शेयर जब्त किए थे, जिन्हें अपराध की आय माना गया है.

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