'चुनाव आयोग अदालत नहीं, प्रशासनिक निकाय है...' पी. चिदंबरम का बड़ा बयान, राहुल गांधी के आरोपों से जुड़ा विवाद गरमाया
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि चुनाव आयोग अदालत नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक निकाय है, जो शिकायतों पर कोर्ट की तरह व्यवहार नहीं कर सकता और जिसकी जिम्मेदारी निष्पक्ष चुनाव कराना है.
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देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बहस एक बार फिर तेज हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ कहा है कि भारत का चुनाव आयोग कोई अदालत नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक निकाय है. ऐसे में याचिकाओं या शिकायतों पर विचार करते समय उसे अदालत की तरह बर्ताव नहीं करना चाहिए.
कांग्रेस नेता चिदंबरम ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “चुनाव आयोग एक प्रशासनिक निकाय है, जिसकी जिम्मेदारी है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाए. यह कोई न्यायिक संस्था नहीं है, जो कोर्ट की तरह सुनवाई और फैसले दे.”
नियम 20(3)(बी) पर उठाए सवाल
पी. चिदंबरम ने निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 20(3)(बी) का जिक्र करते हुए कहा कि यह प्रावधान केवल तब लागू होता है, जब किसी ‘दावे’ को मतदाता सूची में शामिल या अस्वीकार करने का फैसला किया जा रहा हो. उनका कहना है कि यह नियम पूरे विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर हेराफेरी के मामलों पर लागू नहीं होता. उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग का कर्तव्य सिर्फ राजनीतिक दलों के प्रति नहीं है, बल्कि देश के हर मतदाता के प्रति है. “अगर मतदाता सूची में गड़बड़ी का संदेह है, तो आयोग को पारदर्शी और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.”
The ECI is not a Court and cannot behave like a Court in entertaining petitions/complaints
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) August 10, 2025
ECI is an administrative body with responsibility for holding free and fair elections
Besides, Rule 20(3)(b) will apply only to the case of a specific decision made by the ERO accepting…
राहुल गांधी के आरोप से जुड़ा विवाद
चिदंबरम का यह बयान उस समय आया है जब कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से उनके आरोपों के सबूत मांगे हैं. राहुल गांधी ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि पिछले लोकसभा चुनाव में एक मतदाता शकुन रानी ने दो बार वोट डाला. राहुल का आरोप था कि यह जानकारी चुनाव आयोग के अपने आंकड़ों पर आधारित है. उन्होंने कहा था, “इस पहचान पत्र का इस्तेमाल दो बार वोट डालने के लिए किया गया है और पोलिंग बूथ अधिकारी ने टिक का निशान लगाया था.”
चुनाव आयोग का पत्र
सीईओ ने अपने पत्र में राहुल गांधी से अनुरोध किया है कि वे वे दस्तावेज मुहैया कराएं, जिनके आधार पर उन्होंने यह नतीजा निकाला है. पत्र में साफ लिखा गया है, “जांच के लिए कृपया संबंधित साक्ष्य उपलब्ध कराएं, जिससे आरोप की पुष्टि या खंडन किया जा सके.” यह मामला सिर्फ एक मतदाता तक सीमित नहीं है. राहुल गांधी और विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक का आरोप है कि मतदाता सूची में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी हुई है और कई जगह डुप्लीकेट या फर्जी नाम शामिल किए गए हैं.
ECI मुख्यालय तक विपक्ष का मार्च
जानकारी देते चलें कि सोमवार को इंडिया ब्लॉक के सांसद, जिनमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके, शिवसेना (उद्धव गुट) और अन्य दलों के नेता शामिल हैं, दिल्ली स्थित चुनाव आयोग मुख्यालय तक मार्च करेंगे. इस प्रदर्शन का नेतृत्व खुद राहुल गांधी करेंगे. विपक्ष की मुख्य मांग है कि चुनाव आयोग डिजिटल वोटर लिस्ट जारी करे, जिससे आम लोग और राजनीतिक दल उसका स्वतंत्र ऑडिट कर सकें. राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “वोट चोरी ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के मूल सिद्धांत पर हमला है. साफ और पारदर्शी वोटर लिस्ट ही लोकतंत्र की असली सुरक्षा है.”
पारदर्शिता पर जोर
राहुल गांधी का कहना है कि अगर वोटर लिस्ट डिजिटल रूप में सार्वजनिक की जाती है, तो कोई भी नागरिक आसानी से यह जांच सकेगा कि उसके क्षेत्र में मतदाता सूची सही है या उसमें हेराफेरी हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट की मौजूदा प्रणाली कई जगह पर गड़बड़ियों को छिपा देती है. वहीं, चुनाव आयोग का कहना है कि वह सभी आरोपों की जांच करेगा, लेकिन उसके लिए जरूरी है कि राजनीतिक दल या नेता ठोस साक्ष्य पेश करें. आयोग के मुताबिक, वोटर लिस्ट को बार-बार अपडेट किया जाता है और किसी भी गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर तय प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाती है.
क्यों अहम है यह विवाद
भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव आयोग की भूमिका बेहद अहम है. अगर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप साबित होते हैं, तो यह चुनाव की निष्पक्षता पर सीधा सवाल है. यही कारण है कि विपक्ष लगातार आयोग से पारदर्शिता बढ़ाने की मांग कर रहा है. पी. चिदंबरम का बयान इस बहस को और गहरा करता है, क्योंकि वह यह स्पष्ट कर रहे हैं कि चुनाव आयोग का दायरा और जिम्मेदारी सिर्फ तकनीकी नियमों तक सीमित नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की नींव को मजबूत करना भी है.
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बता दें कि अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि राहुल गांधी चुनाव आयोग को कौन से दस्तावेज सौंपते हैं और आयोग इस पर क्या कार्रवाई करता है. साथ ही, विपक्ष का डिजिटल वोटर लिस्ट जारी करने का दबाव आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है.
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