सनातन संस्कृति की गूंज... रशियन डिप्लोमैट ने 'श्री गणेश' बोलकर शुरू की प्रेस कॉन्फ्रेंस, 'सुदर्शन चक्र' प्रोजेक्ट में सहयोग की जताई इच्छा
भारत में भले ही सियासत में मंदिर और सनातन को लेकर बहस होती रहे, लेकिन अब इसकी गूंज दुनिया भर में सुनाई दे रही है. इसका ताजा उदाहरण रूस के वरिष्ठ राजनयिक रोमन बाबुश्किन का बयान है, जिन्होंने प्रेस वार्ता की शुरुआत “श्री गणेश करेंगे” कहकर की. उनके इस अंदाज़ ने दिखाया कि वैश्विक स्तर पर हिंदू संस्कृति और सनातन परंपराओं के प्रति सम्मान लगातार बढ़ रहा है.
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भारत में भले ही कुछ सियासी दल हिंदू मंदिरों और सनातन धर्म को लेकर आपस में बहस करते रहते हों, लेकिन अब पूरी दुनिया में इसकी गूंज सुनाई दे रही है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि विदेशी लोग भी भारतीय संस्कृति और हिंदू त्योहारों में गहरी दिलचस्पी लेने लगे हैं. ताजा मामला भारत के मित्र देश रूस के वरिष्ठ राजनयिक रोमन बाबुश्किन के एक बयान से सामने आया है. बाबुश्किन ने हाल ही में एक प्रेस वार्ता के दौरान अपने संबोधन की शुरुआत इन शब्दों से की– “श्री गणेश करेंगे.” उनका यह बयान साफ इशारा करता है कि सनातन धर्म और हिंदू परंपराओं के प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान और जिज्ञासा लगातार बढ़ रही है. बाबुश्किन के हिंदी बोलने पर हर कोई आश्चर्यचकित रह गया.
शुरुआत करेंगे, श्री गणेश करेंगे: रोमन बाबुश्किन
दरअसल, अमेरिकी टैरिफ बम के बीच भारत में रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन भारत के साथ अपने संबंधों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. इस दौरान रोमन ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हिंदी में की. उन्होंने मीडिया से बातचीत शुरू करते हुए कहा कि शुरुआत करेंगे, श्री गणेश करेंगे. रूस के वरिष्ठ राजनयिक के हिंदी में बातचीत की शुरुआत से हर कोई हैरान रह गया. इतना ही नहीं, बाबुश्किन ने भारत की विदेश नीति और स्वतंत्र रुख की भी सराहना की. उन्होंने अमेरिका द्वारा टैरिफ और प्रतिबंधों के जरिए भारत पर बनाए जा रहे दबाव को पूरी तरह अनुचित ठहराया.यह दर्शाता है कि आज भारत न केवल सैन्य और आर्थिक मोर्चे पर बल्कि अपनी सांस्कृतिक पहचान और सनातन मूल्यों के बल पर भी दुनिया में अपनी अलग जगह बना रहा है.
सुदर्शन चक्र प्रोजेक्ट पर मदद करना चाहेंगे
इसके साथ ही बाबुश्किन ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाल किले से देश की एक नई रक्षा प्रणाली सुदर्शन चक्र का जिक्र करते हुए भी अपनी बातें रखी. उन्होंने कहा भारत के सुदर्शन चक्र डिफेंस सिस्टम में रूस भी साझेदारी कर सकता है. बाबुश्किन ने कहा कि हमें उम्मीद है इस अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली के विकास और विस्तार में रूसी उपकरण अहम भूमिका निभाएंगे. उन्होंने साफ किया कि रूस इस प्रोजेक्ट को सहयोग देने के लिए तैयार है और भविष्य में भी भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में साझेदारी मजबूत होती रहेगी. सुदर्शन चक्र ऐसा डिफ़ेंस सिस्टम होगा जिसके जरिए दुश्मनों के हवाई हमलों से सिर्फ बचाव ही नहीं होगा बल्कि हिटबैक भी किया जाएगा.
भारत-रूस की मजबूत साझेदारी
रोमन बाबुश्किन ने भारत और रूस के बीच रक्षा क्षेत्र की गहरी साझेदारी पर भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि रूस लंबे समय से भारत का भरोसेमंद रक्षा साझेदार रहा है और आगे भी रहेगा. उनके मुताबिक, सैन्य मंचों से लेकर आधुनिक हथियारों की जरूरतों तक रूस हमेशा भारत का पसंदीदा सहयोगी रहा है. सुदर्शन चक्र जैसे अहम प्रोजेक्ट में भी दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावना मजबूत दिखाई दे रही है.
VIDEO | Delhi: Roman Babushkin, Deputy Chief of Mission, Russian Embassy in India surprised everyone welcoming them in Hindi during his press conference.
— Press Trust of India (@PTI_News) August 20, 2025
"Shuruat karengey... Shree Ganesh Karengey!" Babushkin said as he began his media interaction.
(Full video available on PTI… pic.twitter.com/uMpOFVlLkN
अमेरिका के दबाव पर रूस का जवाब
भारत पर रूसी तेल की खरीद रोकने के लिए अमेरिका की ओर से लगातार बनाए जा रहे दबाव पर बाबुश्किन ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रतिबंध और दबाव न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति जरूर है, लेकिन रूस अपनी साझेदारी निभाने के लिए प्रतिबद्ध है. बाबुश्किन ने भरोसा जताया कि ऊर्जा क्षेत्र में आने वाली हर चुनौती का हल भारत और रूस मिलकर निकालेंगे.
भारत-रूस ऊर्जा सहयोग पर बड़ा बयान
बाबुश्किन ने कहा कि पश्चिमी देशों के टैरिफ और प्रतिबंधों की वजह से तेल आयात की कीमतों में करीब पांच प्रतिशत का उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. इसके बावजूद उन्होंने भरोसा जताया कि भारत और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग लगातार मजबूत होता रहेगा. दरअसल, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि अगर भारत रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखता है तो ट्रंप प्रशासन भारत पर सेकेंडरी टैरिफ बढ़ा सकता है. अमेरिका पहले ही भारत पर रूस के साथ ऊर्जा व्यापार को लेकर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगा चुका है.
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गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिका ने भारत को टारगेट तो किया लेकिन रूस से तेल खरीदने वाले सबसे बड़े खरीदार चीन के खिलाफ कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की. इस पर बाबुश्किन का कहना था कि यह दोहरी नीति है और वैश्विक ऊर्जा स्थिरता के लिए नुकसानदेह है.
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