प्रयागराज के महाकुंभ में श्रद्धालूओं के लिए मुलमलानों ने खोल दिए, मस्जिद, मजार
Mahakumbh Hindu-Muslim Ekta: 28-29 जनवरी की दरमियानी रात जब मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में भगदड़ मची तो कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी. ये वो वक्त था जब श्रद्धालुओं के लिए की गई व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं. लेकिन ऐसे में प्रयागराज के मुसलमान भाई हिंदू श्रद्धालुओं की मदद को आगे आए. उन्होंने हिंदू श्रद्धालुओं के लिए मस्जिदें खोल दीं, ताकि उन्हें किसी भी तरह की तकलीफ न हो. और क्या-क्या किया मुसलमान भाइयों ने चलिए जानते हैं
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अल्फाज ए अली का ये शेर शायद आज के लिए ही बना था। प्रयागराज में चल रहे दुनिया और सनातन से सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में जो भगदड़ हुई वो सबने देखी, ना जाने कितने लोगों ने अपनों को खो दिया। लेकिन इसी घटना के बाद प्रयागराज के मुसलमानों ने जो किया। उसकी कल्पना तो शायद ही किसी ने की होगी। किसी ने सरकार पर सवाल उठा। किसी ने पुलिस पर सवाल उठाए तो किसी ने VIP कल्चर को दोषी ठहराया। कारण जो भी हो लेकिन अंतिम सच यही है कि लोगों ने अपने को खोया है। वो घटना थी तो कुछ देर की। लेकिन जख्म सालों का दे गई। कुंभ में जो हुआ उसका नतीजा ये हुआ कि श्रद्धालुओं को प्रयागराज के बाहर ही रोक दिया गया।कही बीस हजार गाड़ियां थी। कहीं पचास हजार गाड़ियां खड़ी थी, कही दस किलोमीटर लंबा जाम था तो कही, बीस किलोमीटर लंबा जाम था। सबका ध्यान कुंभ की घटना पर था, सीएम को लेकर पीएम तक की प्राथमिकता कुंभ की घटना थी।लेकिन कुंभ में आने के लिए जो लोग प्रयागराज के बाहर खड़े थे उनकी सुध किसी को नहीं थी।तो उनकी सुध ली प्रयागराज के मुसलमानों ने। जिन्होंने इन श्रद्धालुओं को सोने की जगह थी, खाने के लिए खाना दिया, पीने के लिए पानी दिया।
कहते है जब भूख लगती है तो धर्म मजहब ध्यान नहीं रहता, जब सिर पर घच नहीं होती तब भी धर्म मजहब ध्यान नहीं रहता। यहीं किया यहां के मुसलमानों ने। उन्होंने हिंदू श्रद्धालुओं के आराम के लिए मस्जिदें खोल दीं। खाने के लिए लंगर लगाए और ठंड से बचाने के लिए कंबल भी बांटे।
प्रयागराज से कई ऐसे कई विडियोज और तस्वीरें सामने आई। जो इस बात की गवाही दे रही हैं कि देश में हिंदू-मुस्लिम भाईचारा आज भी कितना गहरा है। आज भी लोग राजनीति और धर्म से पहले इंसानियत को रखते है। भगदड़ के बाद का मंजर भयानक था। कुछ लोग रोते-बिलखते अपनों की तलाश करते रहे, तो कुछ अपनों के शव का हाथ थामे रहे कि कहीं बॉडी न खो जाए। हॉस्पिटल में हर तरफ लोग अपनों को ही ढूंढ रहे थे। यहीं वो वक्त था जब हर कोई सब कुछ भुल कर कुंभ मेला श्रेत्र में लगा था, लेकिन उस वक्त मुस्लिमों ने बड़ा दिन दिखाया। 25 से 26 हजार श्रद्धालुओं के लिए मस्जिद, मजार, दरगाह, इमामबाड़े और अपने घरों के दरवाजे खोल दिए। लोगों के रुकने की व्यवस्था की। उन तक चाय-पानी खाना पहुंचाया। जिन्हें दवा की जरूरत थी, उनकी तीमारदारी की। श्रद्धालुओं को 29 जनवरी की रात भी सड़क पर ही काटनी थी। ऐसे में प्रयागराज के मुस्लिमों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल दी। मेला क्षेत्र से 10 किलोमीटर दूर खुल्दाबाद सब्जी मंडी मस्जिद, बड़ा ताजिया इमामबाड़ा, हिम्मतगंज दरगाह और चौक मस्जिद में लोगों को ठहराया। 2500 से ज्यादा कंबल बांटे गए। तो ऐसे में एक तरफ वो आदेश था जो कहता था कि मुस्लिमों का प्रवेश कुंभ मे नहीं होनी चाहिए और दुसरी तस्वीर वो भी है जिसमें यहां के मुसलमान कह रहे है कि जब तक महाकुंभ चलेगा हम श्रद्धालुओं की मदद करते रहेंगें। वाकैई में ऐसी तस्वीर बहुत कम देखने को मिलती है। लेकिन जब भी देखी जाती है, मिशाल कायम हो जाती है। तो राजनीति में फंसे लोगों को ये समझना होगा कि, राजनीति में फंस कर कुछ दिन तो राजनीति की जा सकती है, जहर उगला जा सकता है। लेकिन वापस लौटना इसी रास्ते पर है। भाईचारे का रास्ता, इंसानियत का रास्ता। बाकी कुंभ में जो भी अव्यवस्था हुई वो नहीं होनी चाहिए थी, और उम्मीद करेंगे की आगे ऐसा कुछ ना हो।
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