Advertisement

चेहरे पर लौटी मुस्कान... विदेश मंत्रालय के सक्रिय हस्तक्षेप से कैमरून में फंसे बोकारो और हजारीबाग के 17 मजदूरों की सुरक्षित स्वदेश वापसी

कैमरून में फंसे बोकारो और हजारीबाग के 17 मजदूरों की सुरक्षित वापसी संभव हो पाई. सवाल यह है कि भारत सरकार ने उनकी मदद के लिए कौन-कौन से कदम उठाए, और क्या भविष्य में ऐसे मामले और भी तेजी से हल होंगे?

25 Aug, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
03:45 AM )
चेहरे पर लौटी मुस्कान... विदेश मंत्रालय के सक्रिय हस्तक्षेप से कैमरून में फंसे बोकारो और हजारीबाग के 17 मजदूरों की सुरक्षित स्वदेश वापसी
विदेश मंत्रालय और भारत सरकार के तत्पर प्रयासों के कारण कैमरून में फंसे बोकारो और हजारीबाग के 17 मजदूर सुरक्षित रूप से भारत लौट आए हैं. इन मजदूरों की कठिन परिस्थितियों में फंसे होने की खबर मिलते ही तुरंत कार्रवाई शुरू की गई. यह कदम उन सभी प्रवासी मजदूरों के लिए उदाहरण है, जो विदेश में काम करते समय विभिन्न समस्याओं का सामना करते हैं.
 
ये मजदूर कैमरून में क्यों फंसे थे?
 
जानकारी के अनुसार, ये मजदूर काम करने के लिए कैमरून गए थे, लेकिन वहां उनकी वेतन भुगतान में देरी, असुरक्षित कार्यस्थल और प्रशासनिक अड़चनों के कारण फंसे रह गए. स्थानीय प्रशासन से संपर्क करने में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. इस कारण उनकी वापसी मुश्किल हो गई थी.
 
विदेश मंत्रालय ने फंसे मजदूरों को कैसे मदद की?
 
विदेश मंत्रालय ने तुरंत स्थिति का मूल्यांकन किया और भारत के कैमरून स्थित दूतावास के माध्यम से मजदूरों तक पहुंच बनाई. मंत्रालय ने वहां के अधिकारियों से समन्वय किया और उनकी सुरक्षित यात्रा और वापसी सुनिश्चित की.
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया :
“हमने सभी जरूरी कागजी कार्रवाई और वीज़ा प्रक्रिया को तेज़ किया ताकि मजदूरों को जल्द से जल्द भारत लौटाया जा सके. उनकी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता थी.” 
 
वापसी में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
 
विदेश मंत्रालय के अनुसार, फंसे मजदूरों की वापसी में कई चुनौतियां थीं:
  • वीज़ा और कागजी प्रक्रिया को समय पर पूरा करना
  • फ्लाइट की उपलब्धता सुनिश्चित करना
  • स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा नियमों का पालन
  • स्वास्थ्य और कोविड-19 नियमों का ध्यान रखना
इन सभी बाधाओं के बावजूद, सक्रिय समन्वय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के कारण सभी 17 मजदूर सुरक्षित रूप से भारत लौट सके.
 
मजदूरों की स्थिति और परिवार का हाल क्या है?
 
वापस आने के बाद मजदूरों को स्वास्थ्य परीक्षण और क्वारंटीन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. सभी का स्वास्थ्य सामान्य पाया गया. उनके परिवार वालों ने भारत सरकार और विदेश मंत्रालय की तारीफ की. मजदूरों ने भी अपने अनुभव साझा किए और कहा कि सरकार के सहयोग के बिना यह सुरक्षित वापसी संभव नहीं होती.
 
क्या यह घटना अन्य प्रवासी मजदूरों के लिए सीख है?
 
विदेश मंत्रालय का यह कदम दिखाता है कि विदेश में फंसे भारतीय मजदूरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार तत्पर है. भविष्य में भी ऐसे मामलों में त्वरित हस्तक्षेप और समन्वय की आवश्यकता बनी रहेगी.
 
कैमरून में फंसे बोकारो और हजारीबाग के 17 मजदूरों की सुरक्षित वापसी सरकारी प्रयास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल है. यह घटना सभी प्रवासी मजदूरों के लिए एक संदेश है कि विदेश में संकट के समय भी वे अकेले नहीं हैं.

यह भी पढ़ें

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
'मुसलमान प्रधानमंत्री बनाने का प्लान, Yogi मारते-मारते भूत बना देंगे इनका’ ! Amit Jani
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें