शिवभक्तों का सपना धामी सरकार ने किया पूरा अब भारत से ही होंगे कैलाश के दर्शन
अब धामी सरकार उन शिव भक्तों का सपना भी पूरा करने जा रही है जो पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन करना चाहते हैं। जी हाँ। इसके लिए तैयारियाँ कर ली गई थी।और यही नहीं ख़ास नवरात्र के मौक़े पर यात्रियों के पांच सदस्यीय दल ने पिथौरागढ़ जिले में स्थित ओल्ड लिपुलेख से माउंट कैलाश के दर्शन किए।
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कहते हैं कलयुग में केवल भगवान का नाम ही एक ऐसा सहारा है जो इस जग से तारने के लिए काफ़ी है। श्रध्दालु ना जाने कहां कहां से भागवान के उन स्थानों के दर्शन करने के लिए देवभूमि पहुँचते हैं। जहां भगवान शंकर साक्षात आज भी भक्तों को दर्शन देते हैं। देवभूमि उत्तराखंड वैसे तो अपनी संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत के लिए जानी जाती है लेकिन उस विरासत को संजोए रखना, पहाड़ों की अस्मिता को बचाए रखना और इसी के साथ सनातन धर्म की रक्षा करने के लिए पीएम मोदी के प्रहारी हिंदू हृदय सम्राट मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami को कसर नहीं छोड़ रहे।
सीएम धामी आज राज्य के विकास के लिए दिन रात काम कर ही रहे है इसी के साथ दूर दराज़ से आने वालों यात्रियों को कोई असुविधा ना हो वही पहाड़ों पर रोज़गार के नए अवसर पैदा हो इसके लिए लगे हुए हैं। और इसी कड़ी में अब धामी सरकार उन शिव भक्तों का सपना भी पूरा करने जा रही है जो पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन करना चाहते हैं। जी हाँ। इसके लिए तैयारियाँ कर ली गई थी।और यही नहीं ख़ास नवरात्र के मौक़े पर यात्रियों के पांच सदस्यीय दल ने पिथौरागढ़ जिले में स्थित ओल्ड लिपुलेख से माउंट कैलाश के दर्शन किए। केन्द्र सरकार से हरी झण्डी मिलने के बाद पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली उत्तराखण्ड सरकार ने यात्रा के सफल संचालन के लिए कमर कस ली थी।
कुमाऊं मण्डल विकास निगम ने इसके लिए बाकायदा एक टूर पैकेज घोषित किया है। उत्तराखण्ड विकास परिषद की पहल पर कुमाऊं मण्डल विकास निगम ने माउंट कैलाश के दर्शन के लिए 5 दिवसीय टूर पैकेज बनाया है। इस पैकेज में भगवान शिव के दो अन्य धाम आदि कैलाश और ऊँ पर्वत के दर्शन भी शामिल है। पैकेज के तहत पहले दिन यानी 3 अक्टूबर को कैलाश पर्वत के दर्शन कराए गए। यात्रियों के 5 सदस्यीय दल ने पिथौरागढ़ की 18 हजार फीट ऊंची लिपुलेख पहाड़ियों से दर्शन किए।
आपको बता दें पहले कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए श्रृद्धालुओं को अब तिब्बत जाना पड़ता था, इसके बाद अब वहां जाने की जरूरत नहीं है। कोरोना काल से पहले तक केन्द्र सरकार कुमाऊं मंडल विकास निगम के जरिए कैलाश मानसरोवर यात्रा कराती थी। तब शिव भक्त लिपुपास से पैदल यात्रा कर चीन बार्डर पार कर कैलाश मानसरोवर के दर्शन होते थे। कोरोना काल के बाद से यह यात्रा बंद थी। वहीं, दूसरी ओर भारत चीन विवाद के कारण अभी तक चीन सरकार ने भारत सरकार को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अपनी सहमति नहीं दी है। लंबे समय से शिव भक्त कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने को आतुर थे। इसे देखते हुए सरकार ने भारत की भूमि से ही श्रद्धालुओं को पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कराने का फैसला लिया।
मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार प्रकट करता हुए कहा की भारत की भूमि से ही शिव भक्तों को कैलाश पर्वत के दर्शन् होना बहुत ही सुखद है। साथ ही सीएम ने आने वाले समय में स्थानीय निवासियों के पलायन की समस्या को रोकने की दिशा में तेज़ी काम करने की बात कही और भविष्य में इस यात्रा को और भी अधिक सुगम बनाने के लिए सुविधाओं को विकसित करने के लिए भी कहा शिव भक्तों को इतनी बड़ी सौग़ात देने के लिए सरकार को गाँववालों का साथ मिला जहां पिथौरागढ़ के स्थानीय लोगों ने 18 हजार फीट ऊंची लिपुलेख पहाड़ियों पर एक ऐसा व्यू प्वाइंट खोजा जहां से कैलाश पर्वत साफ दिखाई देता है। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची अफसरों और विशेषज्ञों की टीम ने रोड मैप, लोगों के ठहरने की व्यवस्था, दर्शन के पॉइंट तक जाने का रूट सहित अन्य व्यवस्थाओं के लिए सर्वे किया है। और फिर तेज़ी से इसपर काम शुरू कर सरकार ने इतनी बड़ी सौग़ात यात्रियों को दी।
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