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सनातन की 'तबाही', ईसाईयत की घुसपैठ कराने का षड्यंत्र... नेपाल में थी केपी ओली की खतरनाक प्लानिंग, पूर्व डिप्टी PM ने भारत विरोध के पाखंड को किया बेनकाब

नेपाल के पूर्व डिप्टी पीएम राजेंद्र महतो ने साफ कहा कि नेपाल में खोखले राष्ट्रवाद का नारा दिया जाता है, “भारत विरोध = राष्ट्रवाद”—लेकिन इससे जनता का पेट नहीं भरता, न ही देश का विकास होता है. यह सब सिर्फ अपने अपराध और कुशासन को छिपाने का तरीका है. उन्होंने नेपाल में हो रहे विरोध प्रदर्शन की पूरी स्टोरी हिंदी में बता दी.

Created By: केशव झा
09 Sep, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
08:09 PM )
सनातन की 'तबाही', ईसाईयत की घुसपैठ कराने का षड्यंत्र... नेपाल में थी केपी ओली की खतरनाक प्लानिंग, पूर्व डिप्टी PM ने भारत विरोध के पाखंड को किया बेनकाब

नेपाल की राजधानी काठमांडू में इन दिनों हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं. हजारों की संख्या में युवा सड़क पर हैं, संसद परिसर तक घुस चुके हैं और पुलिस की आंसू गैस व वाटर कैनन के बावजूद आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा. लेकिन इस विरोध की असली वजह क्या है, क्यों नेपाल का युवा सड़क पर उतर आया है, और इस सबके पीछे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की क्या भूमिका है, यह हम आपको विस्तार से बताते हैं.

दरअसल, नेपाल के प्रधानमंत्री ओली पर लंबे समय से भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. सत्ता में बने रहने और अपने खिलाफ उठती आवाजों को दबाने के लिए उन्होंने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया जिसने आग में घी डालने का काम किया. सरकार ने अचानक 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने का आदेश जारी कर दिया, जिनमें फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म भी शामिल थे. यह फैसला उस दौर में लिया गया जब नेपाल के युवा सोशल मीडिया पर ही भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे.

पूर्व उप-प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय मुक्ति पार्टी नेपाल के अध्यक्ष राजेंद्र महतो का कहना है कि ओली ने जानबूझकर ऐसा कदम उठाया ताकि भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाया जा सके. उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी सरकार पर सवाल उठते हैं, तब-तब भारत विरोधी एजेंडा चलाया जाता है. लिपुलेख विवाद को भी उन्होंने इसी पैटर्न का हिस्सा बताया. महतो ने साफ कहा कि सीमा विवाद जैसे मुद्दे बातचीत से सुलझाए जाने चाहिए, न कि खोखले राष्ट्रवाद के जरिए जनता को बरगलाया जाए.

आंदोलन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे नेपाली युवाओं ने लीड किया है. जेन-ज़ी लड़के-लड़कियां सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरे. यह केवल इंटरनेट बंद करने के खिलाफ गुस्सा नहीं है, बल्कि यह भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और कुशासन के खिलाफ एक व्यापक लड़ाई है.

ओली सरकार की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं. विपक्ष लगातार हमलावर है और जनता अब और चुप बैठने को तैयार नहीं दिख रही. हालात इतने बिगड़े कि सरकार को सोशल मीडिया बैन पर आंशिक रूप से पीछे हटना पड़ा और गृह मंत्री ने अपना इस्तीफा भी सौंप दिया. लेकिन सवाल ये है कि क्या सिर्फ इस्तीफे और प्रतिबंध हटाने से जनता का गुस्सा शांत होगा?

नेपाल के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो पिछले 70 वर्षों में सात बार संविधान बदला जा चुका है. यह बताता है कि सत्ता में बैठे दल जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने में बार-बार नाकाम रहे हैं. राजेंद्र महतो का कहना है कि नेपाल की असली ताकत उसकी विविधता है, लेकिन शासक वर्ग ने हमेशा एकतरफा रवैया अपनाया, जिससे जनता में असंतोष गहराता चला गया.

आज नेपाल का युवा यह संदेश दे रहा है कि खोखले राष्ट्रवाद और भारत-विरोधी राजनीति से अब वह गुमराह नहीं होगा. लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही और भ्रष्टाचार को छिपाने की कोशिश अब सफल नहीं होगी. फिलहाल काठमांडू की सड़कों पर गुस्से का उबाल जारी है और साफ है कि इस आंदोलन की असली कीमत ओली सरकार को चुकानी ही पड़ेगी.

नेपाल के पूरे मामले को समझने के लिए आपको नेपाल की अंदरूनी राजनीति को समझना होगा. और इससे बेहतर क्या होगा कि कोई सत्ता में रहा व्यक्ति, पूर्व उप-प्रधानमंत्री जैसी शख्सियत और एक इनसाइडर आपको पूरे मामले को विस्तार से समझाए. इसी कड़ी में आपको सुनवाते हैं नेपाल के पूर्व डिप्टी पीएम और *राष्ट्रीय मुक्ति पार्टी नेपाल* के अध्यक्ष राजेंद्र महतो को. उनसे NMF News ने पूरे मामले पर विस्तार से बात की. उन्होंने युवाओं के विद्रोह की पूरी *इंसाइड स्टोरी* खोलकर रख दी. उनसे हमने विस्तार से सवाल किए, जिसका जवाब भी उन्होंने बखूबी दिया. महतो ने इस दौरान वामपंथी सरकार के करप्शन की पोल खोली और झूठे भारत-विरोधी नारों की भी हवा निकाल दी.

सवाल: भारत और नेपाल के रिश्तों को हमेशा "रोटी-बेटी का संबंध" कहा गया है. लेकिन नेपाल में जो हालात बने हैं, उनकी वजह आप किसे मानते हैं?

जवाब (राजेंद्र महतो):
सबसे बड़ी वजह है यहां की सरकार और शासन. नेपाल में पहली और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी मिलकर सरकार बनाए हुए हैं, जबकि यह लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ है. जनता हर सेक्टर में असंतुष्ट है. करप्शन आसमान छू रहा है, बेरहमी से लूट चल रही है. इसी को छिपाने के लिए दोनों बड़ी पार्टियां साथ आईं. जब युवा सोशल मीडिया के जरिए विरोध जताने लगे तो सरकार ने 26 सोशल मीडिया एप्स पर बैन लगा दिया. यह लोकतांत्रिक नहीं, बल्कि कुशासन का प्रतीक है.

"भारत विरोध तो बहाना, असल मकसद है करप्शन को छिपाना"

उन्होंने कहा कि नेपाल में भ्रष्टाचार के तमाम मामलों में बड़ी पार्टियों, कांग्रेस और यूएमएल—के नेता शामिल हैं. जनता को गुमराह करने के लिए सरकार बार-बार भारत-विरोध का कार्ड खेलती है. लिपुलेख जैसे मुद्दे भी करप्शन से ध्यान भटकाने के लिए उठाए जाते हैं.

पूर्व डिप्टी पीएम ने साफ कहा कि नेपाल में खोखले राष्ट्रवाद का नारा दिया जाता है—“भारत विरोध = राष्ट्रवाद”—लेकिन इससे जनता का पेट नहीं भरता, न ही देश का विकास होता है. यह सब सिर्फ अपने अपराध और कुशासन को छिपाने का तरीका है.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नेपाल में विविधता को नजरअंदाज किया जा रहा है. यहां मधेशी, आदिवासी, जनजाति, थारू समेत कई समुदाय मिलकर देश का निर्माण हुए थे, लेकिन संविधान और शासन हमेशा एकल सोच पर आधारित रहा है. यही वजह है कि नेपाल में असंतोष और फ्रस्ट्रेशन लगातार बढ़ रहा है.

संस्कृत भाषा और सभ्यता पर हालिया विवाद पर उन्होंने कहा कि नेपाल पूर्वी सभ्यता और सनातन परंपराओं की धरती है, लेकिन ओली सरकार ने पश्चिमी विचारधाराओं को थोपने की कोशिश की. यह भी लोगों के गुस्से का बड़ा कारण है.

उन्होंने बताया कि शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले युवाओं पर गोलियां चलाई गईं, दर्जनों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हैं. सरकार ने सोशल मीडिया बैन वापस तो ले लिया, लेकिन यह तब हुआ जब भारी जन-आंदोलन हो चुका था.

उन्होंने आगे कहा—“अगर सरकार की नियत शुरू से ठीक होती तो इतनी जन-धन की क्षति नहीं होती. गृह मंत्री का इस्तीफा और बैन वापस लेना अब सिर्फ नौटंकी है. इस कुशासन को जनता माफ नहीं करेगी.”

इसके अलावा उन्होंने पूरे प्रदर्शन पर क्या कुछ कहा, इसके लिए आप पूरी बातचीत देख सकते हैं. आपके लिए वीडियो का लिंक नीचे दिया गया है. ⬇️

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टिप्पणियाँ 1

R
Rajeev Rawat
2 months ago

Sanatan ko bachana har ek hindu sanatani ka kartavya h

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