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'नोबेल की लालसा में सब कर दिया तहस-नहस', पूर्व अमेरिकी NSA और करीबी ने ही ट्रंप को बता दिया 'क्रेडिटजीवी', भारत की नाराजगी की बताई वजह

डोनाल्ड ट्रंप की पहली सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन ने भारत के प्रति ट्रंप प्रशासन की नीतियों की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि ट्रंप ने भारत के साथ दशकों से चली आ रही साझेदारी को तहस-नहस कर दिया. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने स्काई न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के हफ्तों में भारत के साथ दशकों की साझेदारी को बिगाड़ दिया है. ट्रंप ने भारत को रूस और चीन के करीब जाने के लिए मजबूर किया है.

Created By: केशव झा
02 Sep, 2025
( Updated: 02 Sep, 2025
07:28 PM )
'नोबेल की लालसा में सब कर दिया तहस-नहस', पूर्व अमेरिकी NSA और करीबी ने ही ट्रंप को बता दिया 'क्रेडिटजीवी', भारत की नाराजगी की बताई वजह
Image: John Bolton / Donald Trump (File Photo)

अमेरिका में इन दिनों ट्रंप की दादागिरी के खिलाफ खुलकर बातें हो रही हैं. दुनिया की चौथी और जल्द तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की कगार पर खड़े भारत, जो कि उसका महत्वपूर्ण व्यापारिक और रणनीतिक साझेदार है, उसके साथ संबंधों की तिलांजलि देने पर खूब आलोचना हो रही है. कहा जा रहा है कि जिस हिंदुस्तान को 25 सालों से चीन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण शक्ति के तौर पर तैयार किया जा रहा था उसे एक झटके में ड्रैगन के खेमे में धकेल दिया गया. 

अब स्थिति ऐसी है कि भारत में लोग अमेरिका पर रत्ती पर भरोसा करने को तैयार नहीं है. ये बात कोई भारतीय नहीं बल्कि US के ही दिग्गज, सलाहकार, डिप्लोमेट, प्रोफेसर और पत्रकार कह रहे हैं. इसी बीच पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने ट्रंप की धज्जियां उड़ाकर रख दी हैं. ये वही बोल्टन हैं जिन्हें ट्रंप ने अपना NSA नियुक्त किया था और जब सलाह पसंद नहीं आई तो फायर कर दिया और करीब 10 दिन पहले कथित तौर पर टैरिफ नीतियों को लेकर आलोचना पर FBI से छापा तक मरवा दिया.

कड़ी मेहनत से बने थे भारत-अमेरिका के मजबूत रिश्ते: बॉल्टन

अमेरिका के पूर्व NSA जॉन बोल्टन ने कहा कि पश्चिमी दुनिया, खासकर अमेरिका ने दशकों तक मेहनत की थी कि भारत को उसके शीतयुद्ध काल के सहयोगी सोवियत संघ और बाद में रूस से गहरे रिश्तों से कैसे दूर रखा जाए. भारत को आधुनिक हथियारों की खरीद के लिए रूस पर निर्भर रहने से रोकने और चीन से पैदा हो रहे खतरे के प्रति आगाह करने की कोशिश की गई. यही सोच “एशियन सिक्योरिटी क्वाड”—जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका—में भारत की भागीदारी से और मजबूत हुई.

'ट्रंप ने सारा संतुलन बिगाड़ दिया'

हाल के हफ्तों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसी नीतियां अपनाईं जिनसे यह पूरा संतुलन बिगड़ गया. अब भारत रूस के और नज़दीक होता जा रहा है, साथ ही चीन के साथ भी रिश्तों में गर्माहट दिख रही है. दशकों की मेहनत से बनाए गए समीकरण अचानक कमजोर हो गए हैं. इसे सुधारा जा सकता है, लेकिन इसमें समय लगेगा और शुरुआत कहीं दिखाई नहीं दे रही.

छह महीने पहले तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच नज़दीकी रिश्तों, जिसे “ब्रोमांस” कहा जा रहा था, की चर्चा थी. मगर अब हालात पलट चुके हैं. ट्रंप ने पुतिन के खिलाफ दबाव बनाने की कोशिश में भारत पर 50% टैरिफ लगा दिए. भारत के नज़रिए से यह बड़ा झटका था, क्योंकि उसे भरोसा था कि व्यापार समझौते के लिए बातचीत से रास्ता निकल आएगा. लेकिन ट्रंप ने ब्रिटेन की तरह भारत को भी नज़रअंदाज़ किया और सीधे 25% टैरिफ थोप दिए.

बोल्टन ने बताई भारत की नाराजगी की वजह

विडंबना यह रही कि रूस और चीन, जो रूस से ऊर्जा के सबसे बड़े खरीदार हैं, उन पर ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया. इससे भारत गुस्से में आ गया. कश्मीर में आतंकी हमले के बाद जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा तो ट्रंप ने इसे शांत कराने का श्रेय खुद को देते हुए नोबेल शांति पुरस्कार का हकदार बताया, जिससे भारत बेहद नाराज़ हुआ.

किस बात पर सब कुछ खराब हो गया?

तनाव तब और बढ़ गया जब जम्मू-कश्मीर में हुए एक आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालात बिगड़े और फिर धीरे-धीरे शांत हुए. ट्रंप ने दावा किया कि इस संकट को उन्होंने ही शांत कराया और इसे अपनी “छह-सात युद्ध रोकने की उपलब्धियों” में गिनाया, ताकि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिल सके. इस बयान से भारत बेहद नाराज़ हो गया.

इधर, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि दुनिया को डिकप्लिंग यानी अलगाव की बजाय इंटीग्रेशन यानी जुड़ाव की राह पर चलना चाहिए. उन्होंने “समावेशी आर्थिक वैश्वीकरण” और “साझा सुरक्षा समुदाय” की बात की. इसे भले ही एक प्रचार मंच कहा जा सकता है, लेकिन यह दिखाता है कि चीन की हकीकत में महत्वाकांक्षा क्या है—पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया, मध्य एशिया और पूर्व सोवियत गणराज्यों पर प्रभाव बढ़ाने की.

क्या है एशियाई क्वाड?

उन्होंने आगे कहा कि पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका, दशकों से भारत को सोवियत संघ और रूस से पुराने रिश्तों, खासकर हथियारों की खरीद, से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने भारत को चीन के खतरे के बारे में चेतावनी दी, जिसका प्रतीक एशियाई सुरक्षा चतुर्भुज (जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका) है. बोल्टन ने यह भी बताया कि ट्रंप प्रशासन ने कई कदम उठाए, जैसे व्यापार वार्ताओं को अचानक रोकना, जिससे भारत नाराज हुआ.

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बोल्टन इस समय मौजूदा सरकार की नजर में हैं. पिछले हफ्ते उनके घर और दफ्तर पर छापेमारी की गई. अमेरिकी मीडिया के अनुसार, छापेमारी का कारण बोल्टन के पास गोपनीय दस्तावेजों का होना बताया जा रहा है.

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