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दिल्ली ब्लास्ट का देवबंद कनेक्शन... पुलिस ने MBBS के छात्र को लिया हिरासत में, आतंकी उमर की कॉल डिटेल्स ने खोला राज

दिल्ली कार ब्लास्ट की जांच तेज हो गई है. स्पेशल ब्रांच ने देवबंद में छापेमारी कर अल फलाह यूनिवर्सिटी के MBBS छात्र को हिरासत में लिया है. उसका नंबर आतंकी उमर की कॉल डिटेल्स में मिला था. उमर और डॉ. मुजम्मिल ने अल फलाह यूनिवर्सिटी को अपना नेटवर्क चलाने का अड्डा बना रखा था.

19 Nov, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
05:01 PM )
दिल्ली ब्लास्ट का देवबंद कनेक्शन... पुलिस ने MBBS के छात्र को लिया हिरासत में, आतंकी उमर की कॉल डिटेल्स ने खोला राज
Al Falah University

Delhi Car Blast Case: दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट की जांच लगातार तेज गति से आगे बढ़ रही है. राजधानी को दहला देने वाले इस धमाके ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच, एसटीएफ और खुफिया एजेंसियां मिलकर ब्लास्ट के हर छोटे-बड़े सुराग को जोड़ने में जुटी हैं. इसी कड़ी में मंगलवार का दिन जांच के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ. स्पेशल ब्रांच की टीम ने देवबंद में दबिश देकर अल फलाह यूनिवर्सिटी के एक MBBS छात्र को हिरासत में लिया है. बताया जा रहा है कि यह वही छात्र है जिसका नंबर दिल्ली धमाके के आरोपियों की कॉल डिटेल्स में शामिल पाया गया था.

दरअसल, दिल्ली कार ब्लास्ट केस की जांच की प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए और चौंकाने वाले कनेक्शन सामने आ रहे हैं. स्थानीय अधिकारी फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन जांच एजेंसियों की गतिविधियां इस बात का संकेत दे रही हैं कि दिल्ली ब्लास्ट की साजिश बहुत गहरी है.

देवबंद में अचानक दबिश

मंगलवार की सुबह दिल्ली से पहुंची टीम ने देवबंद के एक मोहल्ले में छापेमारी की. यह छापेमारी काफी गोपनीय तरीके से की गई. टीम सीधे एक घर पर पहुंची और फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी में MBBS तृतीय वर्ष का अध्ययन कर रहे छात्र को हिरासत में ले लिया. इस छात्र का नाम भले अभी आधिकारिक रूप से न बताया गया हो, लेकिन सूत्रों के अनुसार उसका नंबर आतंकी उमर की कॉल डिटेल्स में मिला है. उमर वही आरोपी है जिसने दिल्ली में फिदायीन तरीके से कार ब्लास्ट की घटना को अंजाम दिया. उसके साथ इस साजिश का मुख्य चेहरा बताए जा रहे डॉ. मुजम्मिल ने अल फलाह यूनिवर्सिटी को ही अपना गुप्त नेटवर्क चलाने का ठिकाना बना रखा था. इसी कारण अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कई छात्रों और कर्मचारियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया जा रहा है. एजेंसियों को शक है कि यह नेटवर्क विश्वविद्यालयों, मदरसों और कई शहरों के हॉस्टलों तक फैला हुआ था.

डॉ. अदील की डायरी से खुल रहे राज 

जांच की प्रक्रिया के दौरान जब एसटीएफ को डॉ. अदील के किराए के मकान से एक डायरी मिली. यह डायरी धमाके के केस को एक नए मोड़ पर ले आई. डायरी में 30 से अधिक ऐसे मोबाइल नंबर दर्ज थे, जिन्हें संदिग्ध माना जा रहा है. जांच में सामने आया है कि इनमें से अधिकांश नंबर सहारनपुर के निजी विश्वविद्यालयों, मदरसों और छात्र हॉस्टलों से जुड़े लोगों के हैं. संयुक्त टीम इन नंबरों की कॉल डिटेल्स, लोकेशन, इंटरनेट हिस्ट्री और आपसी बातचीत की गहन पड़ताल कर रही है. चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ नंबरों के आगे कोडवर्ड और स्थान भी लिखे गए थे. खुफिया एजेंसियां इसे किसी छिपी गतिविधि या किसी व्यक्ति की पहचान छुपाने का संकेत मान रही हैं. सूत्रों का यह भी कहना है कि डॉ. अदील ने मदरसों और मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे कई कश्मीरी छात्रों से संपर्क स्थापित किया था. अब एजेंसियां इन संस्थानों का भी सूक्ष्म सत्यापन कर रही हैं.

कबाड़ियों और वाहन डीलरों पर कड़ी नजर

जांच में यह भी स्पष्ट हो चुका है कि दिल्ली ब्लास्ट में पुरानी कार का इस्तेमाल किया गया था. इसी कारण सहारनपुर पुलिस ने पुराने वाहनों की खरीद-फरोख़्त पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है. पुलिस ने जिले के सभी पुराने वाहन डीलरों और कबाड़ियों से पिछले महीनों में खरीदी-बेची गई गाड़ियों का पूरा विवरण मांगा है. अधिकारियों का कहना है कि किसी भी पुराने वाहन का इस्तेमाल गलत गतिविधियों में न हो, इसके लिए पूरी जांच की जा रही है. बाहरी राज्यों से लाए गए वाहनों का रिकॉर्ड भी तेजी से खंगाला जा रहा है. पुलिस टीमें डीलरों की दुकानों पर जाकर दस्तावेज, रजिस्टर और बुक्स का मिलान कर रही हैं. साथ ही शहर और देहात में किराए पर रह रहे बाहरी लोगों का सत्यापन भी तेज गति से कराया जा रहा है.

डॉ. फारुख से पूछताछ के बाद छोड़ा 

धमाके की जांच के दौरान दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हापुड़ के पिलखुवा में जीएस मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फारुख को भी हिरासत में लिया था. डॉ. फारुख जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं और उन्होंने भी मेडिकल की पढ़ाई फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से की थी. सूत्रों के मुताबिक, उनके कुछ संदिग्ध लोगों के संपर्क में होने की सूचना मिलने पर यह कार्रवाई की गई थी. 13 नवंबर को उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की गई और मंगलवार को उन्हें छोड़ दिया गया. थाना प्रभारी पिलखुवा के अनुसार डॉ. फारुख एक वर्ष से कॉलेज परिसर में ही रह रहे थे और अब वे वापस अपने कार्यस्थल पर लौट चुके हैं.

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बताते चलें कि दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट की जांच अब कई राज्यों और संस्थानों तक पहुंच चुकी है. देवबंद के MBBS छात्र की गिरफ्तारी से लेकर डॉ. अदील की डायरी में मिले संदिग्ध नंबरों तक, हर नया सुराग यह बताता है कि साजिश का नेटवर्क काफी फैला हुआ था. जांच एजेंसियां तेजी से काम कर रही हैं और आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है. अभी जांच पूरी तरह जारी है और एजेंसियों की नजर हर उस कड़ी पर है जो धमाके तक पहुंचती है.

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