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150 मिलियन डॉलर की संपत्ति, फिर भी सादा जीवन जीते हैं दलाई लामा, जानिए कहां से होती है कमाई?

चीन के खिलाफ मुखर रहने वाले तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा 6 जुलाई को 90 वर्ष के हो जाएंगे. इस मौके पर उनके उत्तराधिकारी को लेकर घोषणा की जा सकती है. निर्वासन में रहते हुए भी उनके बयानों का वैश्विक प्रभाव बना रहता है. इस बीच लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि आखिर दलाई लामा के पास कितनी संपत्ति है और उनकी कमाई के स्रोत क्या हैं?

चीन के खिलाफ हमेशा मुखर रहने वाले तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा इस महीने की 6 तारीख को 90 साल के हो जाएंगे. उम्मीद जताई जा रही है कि इस खास मौके पर उनके उत्तराधिकारी को लेकर कोई अहम घोषणा की जा सकती है. भारत में निर्वासन का जीवन जी रहे दलाई लामा को दुनियाभर में शांति और करुणा का प्रतीक माना जाता है. तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुसार अब तक चौदह दलाई लामा हो चुके हैं.

दरअसल, साल 1959 में जब तिब्बत में चीन के खिलाफ विद्रोह हुआ था, तब चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने उसे बलपूर्वक कुचलने की कोशिश की थी. इसी दौरान दलाई लामा ने भारत में शरण ली, और तब से वह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे हैं. निर्वासन में रहकर भी जब वह कोई बयान देते हैं, तो उसका वैश्विक मंचों पर व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है. यही वजह है कि आमजन में दलाई लामा से जुड़ी कई अहम बातों को जानने की जिज्ञासा रहती है. जैसे दलाई लामा के पास मौजूदा समय में कितनी संपत्ति है, उनकी कमाई का मुख्य स्रोत क्या है? 

कितनी है दलाई लामा की संपत्ति?
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा एक बार फिर मीडिया की सुर्ख़ियों में हैं. वजह है आने वाले दिनों में उनके द्वारा अपने उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा की संभावना. दलाई लामा ने संकेत दिए हैं कि उनका संगठन पूर्ववत सक्रिय रहेगा और उनके बाद भी कार्य चलता रहेगा. दलाई लामा, जिनका असली नाम तेनज़िन ग्यात्सो है, वर्ष 1959 में चीन के खिलाफ विद्रोह के बाद भारत में निर्वासन में रहने आए थे. तब से वह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बती सरकार-इन-एक्साइल का नेतृत्व कर रहे हैं. दलाई लामा की निजी जीवनशैली बेहद साधारण और संयमित मानी जाती है. न कोई निजी बंगला, न ही लक्ज़री जीवन. बावजूद इसके, मीडिया रिपोर्ट्स में उनकी कुल नेटवर्थ करीब 150 मिलियन डॉलर (लगभग ₹1250 करोड़) बताई जा रही है. यह आंकड़ा निश्चित रूप से चौंकाने वाला है. लेकिन इस संपत्ति का स्वरूप कुछ अलग है. दलाई लामा स्वयं निजी संपत्ति के मालिक नहीं हैं, और न ही व्यक्तिगत रूप से कोई व्यापार या निवेश करते हैं. यह संपत्ति और धन मुख्यतः उनके नाम से संचालित ट्रस्ट और फाउंडेशन से जुड़ी होती है, जिनका उद्देश्य धर्म, शिक्षा, स्वास्थ्य और वैश्विक शांति से जुड़े कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना है.

कैसे होती हैं उनकी कमाई?
जानकारी देते चले कि एक बौद्ध भिक्षु है इसलिए उनकी कोई भी कमाई निजी नहीं मानी जाती है. जो भी कमाई होती है उनके नाम से जुड़ी संस्थाओं की होती है. दलाई लामा से जुड़ी संस्थाओं की आय का मुख्य रूप से चार स्रोत है. 

1- पुस्तकों की बिक्री – उन्होंने अनेक प्रसिद्ध किताबें लिखी हैं, जो दुनियाभर में बिकती हैं. इनसे रॉयल्टी मिलती है, जो धर्मार्थ संस्थाओं को दी जाती है.

2- भाषण और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में सहभागिता उनके लेक्चर, सेमिनार और वैश्विक मंचों से उन्हें आमंत्रण मिलता है, जिससे मिलने वाला डोनेशन ट्रस्ट को जाता है.

3- पुरस्कार राशि: नोबेल शांति पुरस्कार (1989) समेत कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से मिली धनराशि वे चैरिटी में दान कर चुके हैं.

4- ट्रस्ट और फाउंडेशन फंडिंग  ‘The Dalai Lama Trust’ और ‘Gaden Phodrang Foundation’ जैसी संस्थाओं के ज़रिए दुनियाभर से दान मिलते हैं. 

गौरतलब है कि साल 1939 में उन्हें 4 साल की उम्र में 14वें दलाई लामा के रूप में चुना गया था. हजारों तिब्बतियों के साथ वह हिमाचल के धर्मशाला में रहते हैं और त्सुग्लाखांग मंदिर उनका केंद्र है. दलाई लामा रविवार को 90 साल के हो जाएंगे और अपने ऐलान के मुताबिक वह अपने उत्तराधिकारी का ऐलान कर सकते हैं. माना जा रहा है कि चीन की दखल रोकने के लिए वह परंपरा से हटकर अपने नेतृत्व का उपयोग कर सकते हैं.

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