कायर PAK फौज का क्रूर कारनामा, इधर गाजा पर काटते रहे बवाल, उधर अपने बच्चों पर चलाया बम, काला है उसका इतिहास!
पाकिस्तान और उसकी आर्मी का एक बार फिर बर्बर और क्रूर चेहरा दुनिया के सामने आ गया है. PAK आर्मी का अपने ही लोगों को बम मारकर मारने का इतिहास रहा है. आपने सुना नहीं होगा कि कोई देश अपने ही देश में बम से हमले करता है, लेकिन आतंकिस्तान इसमे माहिर है, उसने फिर ऐसा किया है.
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जब भी दुनिया में बर्बर, जाहिल, कायर और अपने ही मासूम नागरिकों को गोली-बम से मारने वाली फौज के बारे में इतिहास लिखा जाएगा, उसमें सबसे पहले और आखिरी पायदान पर एकमात्र पाक आर्मी रहेगी. ऐसा ही हुआ भी है, ये सच है. तस्वीरें इतनी भयावह हैं कि आपको हम दिखा भी नहीं सकते. दरअसल पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत के एक गांव पर पाकिस्तानी वायुसेना ने सोमवार को आठ बम गिराए. इस हमले में महिलाओं और बच्चों सहित 30 से अधिक लोग मारे गए. इसके बाद पूरा इलाका और पूरा राज्य उबल पड़ा है. पूरी दुनिया उसकी थू-थू कर रही है.
पाकिस्तानी जेएफ-17 लड़ाकू विमानों ने सुबह-सुबह तिराह घाटी के पश्तून बहुल गांव मत्रे दारा पर एलएस-6 बम गिराए. इन भीषण हमले ने गांव के एक बड़े हिस्से को तबाह कर दिया. हमलों और उसके विनाशकारी परिणामों के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसकी दुनिया भर के कई मानवाधिकार संगठनों ने तीखी आलोचना की है. स्थानीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में मलबे के बीच बच्चों सहित कई शव पड़े दिखाई दे रहे हैं, जिनमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं. बचाव दल द्वारा और पीड़ितों की तलाश जारी रहने के कारण हताहतों की संख्या और बढ़ने की आशंका है.
जब एक व्यक्ति की जान लेने के लिए मुशर्फ ने करवाई थी हेलीकॉप्टर से बमबारी
ये कोई पहला मौका नही जब पाक आर्मी ने ऐसी कोई कार्रवाई की है. इससे पहले भी वो अपने लोगों की हत्या बम बरसाकर किया करती थी. ऐसा ही एक वाकया याद आता है जब बलूचों के बड़े नेता नवाब अकबर बुगती की सुनियोजित हत्या की गई थी. तत्कालीन सैन्य तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ के आदेश पर की गई सैन्य कार्रवाई में 26 अगस्त 2006 को बुगती की मौत हो गई थी. तब पाकिस्तानी सेना ने कोहलू में उनके ठिकाने वाली गुफा पर बमबारी की, जिससे गुफा ढह गई और वे मारे गए. यह घटना बलूच अलगाववादी आंदोलन को दबाने के लिए हुई, जिसके कारण व्यापक विरोध और प्रदर्शन हुए.
इस दिन पाकिस्तानी सेना ने गुफा को निशाना बनाया और उस पर भारी हथियारों और हेलीकॉप्टरों से बमबारी क. इस बमबारी के कारण बुगती और उनके साथी मारे गए. इस हत्या के बाद बलूचिस्तान में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन भड़क उठे, क्योंकि बलूच समुदाय इसे सुनियोजित हत्या मानता है.
इस बीच, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की खैबर पख्तूनख्वा शाखा ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि स्थानीय लोगों पर कई बम गिराए गए.
आपको बताएं कि पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी PTI के अलावा स्थानीय विधायक अब्दुल गनी आफरीदी ने पाक एयरफोर्स के हमले में मारे गए बच्चों की दर्दनाक तस्वीरें शेयर की हैं. उन्होंने पूछा कि क्या वो मासूम बच्चे आतंकवादी थे? आपको बताते चलें कि इस हमले में आफरीदी कबीले के लोग ही सबसे ज्यादा मारे गए हैं.
"यह खुला ज़ुल्म है"
उन्होंने एक्स मार्मिक पोस्ट लिखा और कहा: "बच्चे जो कभी खिलखिलाकर हंसा करते थे, आज उनकी लाशों से ज़मीन भर गई है. वे आंगन, जहां माएं अपने बेटों के सपने बुनती थीं, आज मलबे और चीखों से गूंज रहे हैं. युवाओं का खून और मासूम बच्चियों के कटी-फटी देह इस बात की गवाही दे रही है कि ज़ुल्म की कोई हद बाकी नहीं छोड़ी गई. यह कौन सा इंसाफ़ है कि दुश्मनों की बजाय अपने ही नागरिकों पर आग बरसाई जाए? क्या वे मासूम बच्चे आतंकवादी थे जिनके हाथों में खिलौने थे? क्या वे मां अपराधी थीं जो अपने घरों में दुआओं के दीप जला रही थीं? नहीं! यह खुला ज़ुल्म है, यह राज्य का जुल्म है और यह इतिहास के माथे पर एक ऐसा काला धब्बा है जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकेगा.
हम इस बर्बरता की कड़ी से कड़ी निंदा करते हैं. हम चीख-चीख कर कहते हैं कि शहीदों के खून का हिसाब लिया जाए, उनके परिजनों को न्याय दिया जाए, और इस धरती पर गिरे हुए खून के हर कतरे का सवाल हुक्मरानों के गिरेबान तक पहुँचेगा. अपर तिराह के ये ज़ख्म कभी नहीं भर सकेंगे, और इन मासूम शहीदों की आहें हमेशा ज़ुल्म के खिलाफ़ गूंजती रहेंगी.
क्या इन मासूम बच्चों के कोई अधिकार नहीं हैं?”
गनी के अलावा मानवाधिकार कार्यकर्ता जहनवाज वेशा ने ट्वीट कर इस बर्बरियत के बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से सवाल पूछा है. उन्होंने कहा कि “खैबर पख्तूनख्वा की तिराह घाटी में पाकिस्तानी वायुसेना के हमले में महिलाओं और बच्चों समेत कम से कम 30 लोगों के मारे जाने की खबर है. रात करीब 2 बजे जेट विमानों ने एक गांव पर 8 एलएस-6 बम गिराए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद: क्या इन मासूम बच्चों के कोई अधिकार नहीं हैं?”
'अब किसी की जुबान नहीं खुलेगी'
वहीं इमरान खान समर्थक जिया नाम की एक महिला ने हमले में मारे गए एक बच्चे की बेहद दर्दनाक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “ये ग़ाज़ा या सीरिया नहीं, बल्कि पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा है. लेकिन इस बार आपका गुस्सा शांत रहेगा, क्योंकि ये खैबर पख्तूनख्वा के एक गरीब परिवार का बच्चा है. अब किसी की जुबान नहीं खुलेगी, कोई भौंकेगा नहीं, कोई बकवास नहीं करेगा.”
इसके अलावा MQM नेता मुस्तफा अजीजबादी ने भी तस्वीरें पोस्ट कर पाकिस्तान सरकार से सवाल पूछा, “यह बेहद दुखद घटना है. क्या ये मासूम बच्चे आतंकवादी हैं? सरकार को इसका जवाब देना चाहिए.”
फहीम मरवत नामक एक व्यक्ति ने हमले के लिए सीधे पाकिस्तानी सेना को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा, “आईएसपीआर झूठ फैलाने में व्यस्त है, जबकि तिराह वैली में पश्तून बच्चों के शव मलबे से निकाले जा रहे हैं. गांवों को ‘आतंकवादियों का अड्डा’ कहने से सच्चाई नहीं मिटेगी. पाकिस्तानी सेना ने निर्दोष पश्तून बच्चों और महिलाओं पर बमबारी की थी. दुष्प्रचार नरसंहार को नहीं छिपा सकता.”
पाक की KPK सरकार ने मानी गलती
इस बीच, पाकिस्तान की खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने भी गलती मान ली है. डॉन के अनुसार, इलाके के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “जेट विमानों ने चार घरों को निशाना बनाया, जो पूरी तरह नष्ट हो गए.” मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि घटना के बाद मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने हर प्रभावित परिवार को 10 लाख पाकिस्तानी रुपये देने की घोषणा की है.
पीटीआई केपी ने एक्स पोस्ट में कहा, "खैबर की तिराह घाटी में जेट विमानों की बमबारी के दौरान, स्थानीय आबादी पर कई बम गिरे. पांच घर नष्ट हो गए, और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अब तक मलबे से 20 शव बरामद किए गए हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. मेरे पास इस दुःख और पीड़ा को शब्दों में बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं. कभी ड्रोन, कभी बमबारी ने नफरत के इतने बीज बो दिए हैं कि जब यह लावा फूटेगा, तो कुछ भी नहीं बचेगा." इस घटना की निंदा करते हुए, बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने इसे जानबूझकर निर्दोष लोगों को निशाना बनाना बताया और युद्ध अपराध से कम नहीं बताया.
मीर ने एक्स पोस्ट में कहा, "जब पाकिस्तान अपने अवैध कब्जे वाले देशों के खिलाफ नरसंहार अभियान जारी रखे हुए है, तो दुनिया को अब चुप नहीं रहना चाहिए. पाकिस्तान को एक ऐसा देश घोषित किया जाना चाहिए जो पाकिस्तानी औपनिवेशिक शासन की जंजीरों से मुक्त हो."
बलोच नेताओं ने की एकजुटता की अपील
मानवाधिकार कार्यकर्ता ने बलूचिस्तान के लोगों की ओर से इस कठिन समय में केपी के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि वे उनके दुःख और संघर्ष को साझा करते हैं.
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मीर ने आगे कहा, "हम अपनी अटूट एकजुटता की पुष्टि करते हैं और घोषणा करते हैं कि पश्तून लोगों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. विरोध की आवाजों को दबाया नहीं जा सकता, और हम सब मिलकर सभ्य दुनिया के सामने पाकिस्तान के मानवता के विरुद्ध अपराधों को उजागर करेंगे."
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